हरियाणा में बिजली 4 गुना महंगी: 900 रुपये वाला बिल हुआ 4 हजार रुपये, उद्योगों में नाराजगी

नरेंद्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana News: उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) ने मई माह में अपनी बिजली दरों में भारी वृद्धि की घोषणा की है, जिसके बाद जून महीने में उपभोक्ताओं को अपने बिलों में जबरदस्त बढ़ोतरी का सामना करना पड़ा है। इस बदलाव ने आम जनता से लेकर उद्योग-धंधों तक को प्रभावित किया है, जिससे सरकार और संबंधित विभागों पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि उत्तर हरियाणा में बिजली दरें कैसे बदली हैं, इन बदलावों का क्या कारण है, और इससे संबंधित सभी प्रमुख पहलुओं का विश्लेषण करेंगे।
बिजली दरों में अचानक बढ़ोतरी का कारण
उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) ने मई माह में अपनी बिजली दरें बढ़ाने का निर्णय लिया। इस कदम का मुख्य कारण कंपनी का वित्तीय घाटा और बढ़ती लागतें हैं। पिछले 8 वर्षों में पहली बार दरों में वृद्धि की गई है, जो कि 2017 के बाद पहली बार है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि इस बढ़ोतरी का मुख्य उद्देश्य अपने घाटे को पूरा करना है, जो कि अब तक 4500 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
वित्तीय घाटा और उसकी वजहें
UHBVN का घाटा मुख्य रूप से पिछले कई वर्षों से वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसकी प्रमुख वजहें हैं:
सर्विसिंग का विस्तार और लागत में वृद्धि: नई तकनीकों और नेटवर्क के विस्तार के चलते लागत में वृद्धि।
कम राजस्व संग्रह: उपभोक्ताओं से वसूलने में देरी और वसूली की कमी।
शिक्षा और सब्सिडी: सरकार की सब्सिडी और अनुदान की सीमित पूंजी।
मौजूदा दरों का अपर्याप्त होना: पुरानी दरें लागत की बढ़ती घटनाओं के साथ मेल नहीं खाती थीं।
2017 के बाद से इस तरह की कोई दर वृद्धि नहीं की गई थी और अब 8 वर्षों बाद यह कदम उठाया गया है।
स्लैब आधारित दरें और उनकी स्थिति
पहले बिजली की दरें स्लैब वाइज तय थीं, जिसमें 50 यूनिट या उससे अधिक खपत पर 2.50 रुपए से 6.30 रुपए प्रति यूनिट का चार्ज लगता था। लेकिन अब, नई दरों के अनुसार, 5 किलोवाट से अधिक के लोड होने पर प्रति यूनिट का चार्ज बढ़कर 6.50 से 7.50 रुपए हो गया है। इसका मतलब है कि उपभोक्ताओं का बिल तेजी से बढ़ रहा है।
फिक्स चार्ज का जोड़
कंपनी ने अब 75 रुपए प्रति किलोवाट का फिक्स चार्ज भी जोड़ दिया है, जिससे 10 किलोवाट कनेक्शन पर हर महीने अतिरिक्त 750 रुपए का बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। यह फिक्स चार्ज पहले मौजूद नहीं था, और अब यह उपभोक्ताओं के मासिक बिल में सीधे तौर पर जुड़ गया है।
रहने वाले उपभोक्ता: जिनका बिल पहले लगभग 1000 रुपए आता था, अब लगभग 4000 रुपए तक पहुंच गया है।
व्यापार और उद्योग: औद्योगिक उपभोक्ताओं को भी भारी भरकम बिलों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है।
उपभोक्ताओं और उद्योगों की प्रतिक्रिया
पंचकूला जैसे शहर में जहां घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या बड़ी है, वहां की जनता ने बढ़े हुए बिलों को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। कई लोगों का कहना है कि उनके बिजली बिल चार गुना तक बढ़ गए हैं, जिससे उनका जीवन यापन और घरेलू बजट बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
उद्योगों का विरोध
बहादुरगढ़ में उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भी इस बढ़ोतरी का विरोध किया है। चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने एक बैठक में बिजली मंत्री अनिल विज को पत्र लिखकर कहा है कि हरियाणा के पड़ोसी राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और दिल्ली में फिक्स चार्ज बहुत कम है। वहां उद्योगों को राहत देने के लिए फिक्स चार्ज को घटाया जाना चाहिए।
उद्योगों का पलायन: यदि सरकार ने जल्द ही राहत नहीं दी, तो उद्योग अपने स्थान बदलने पर मजबूर हो सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड: बिजली की खपत और मांग
मई और जून में तेज गर्मी के कारण बिजली की खपत में अचानक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस वर्ष जून में 11 जून को तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंचने के साथ ही बिजली की मांग अपने पिछले 6 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 60.65 लाख यूनिट तक पहुंच गई।
खपत का विश्लेषण
2020 से 2025 तक का रिकॉर्ड: 2025 में, जून में पहले 19 दिनों में 900.09 लाख यूनिट बिजली खर्च हुई, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में उच्चतम है।
2024 की तुलना में कमी: हालांकि इस साल जून के पहले 2 हफ्तों में खपत 2024 की तुलना में थोड़ी कम रही, फिर भी कुल खपत बहुत अधिक है।
गर्मी का प्रकोप: तापमान का अत्यधिक बढ़ना और हीटवेव के कारण घरों, कार्यालयों, और उद्योगों की बिजली खपत में वृद्धि।
खपत का बढ़ना: लगातार गर्मी और भीषण तापमान के चलते लोग एयर कंडीशनर, फ्रिज, और अन्य उपकरणों का अधिक प्रयोग कर रहे हैं।
बिजली कंपनी का तर्क: घाटा और दरें बढ़ाने का कारण
UHBVN के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने 8 वर्षों के बाद बिजली दरों में वृद्धि की है। उनका तर्क है कि वर्तमान में कंपनी का घाटा लगभग 4500 करोड़ रुपए है।
दर वृद्धि का उद्देश्य: इस घाटे को कम करना और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना।
आवश्यकता: पिछले कई वर्षों से बिजली की दरें अपर्याप्त थीं, और वित्तीय संकट के चलते यह कदम आवश्यक हो गया है।
घाटे का विश्लेषण और योजनाएं
मौजूदा घाटे का समाधान: इस बार की दर वृद्धि से, कंपनी का 3000 करोड़ रुपए का घाटा पूरा करने का लक्ष्य है।
आय का स्रोत: अधिकतम आय उद्योगों और व्यावसायिक संस्थानों से आएगी, जिनसे लगभग 2500 करोड़ रुपए वसूले जाएंगे। रेसिडेंशियल सेक्टर से लगभग 500 करोड़ रुपए की वसूली का लक्ष्य है।
प्रभाव और चुनौतियां
उपभोक्ताओं का बोझ: घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं को भारी बिलों का सामना करना पड़ेगा।
उद्योगों का प्रभाव: महंगाई और बढ़े हुए लागत के कारण कई उद्योग प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं या स्थान बदल सकते हैं।
सामाजिक असंतोष: बढ़ती कीमतों के कारण जनता में असंतोष फैल सकता है, जिससे सरकार और निगम के लिए राजनीतिक दबाव बढ़ेगा।
क्षेत्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा
बिजली की कीमतों में अचानक वृद्धि से न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है। यदि उद्योग पलायन करते हैं, तो इससे स्थानीय रोजगार और क्षेत्रीय विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भविष्य की संभावनाएं और समाधान
यह जरूरी है कि सरकार और संबंधित विभाग इस स्थिति को संभालने के लिए उचित कदम उठाएं। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
राहत योजनाएं: कम आय वाले घरों और छोटे उद्योगों के लिए सब्सिडी या राहत पैकेज लागू किए जाएं।
दर में सुधार: फिक्स चार्ज को कम कर उद्योगों को राहत दी जाए, जैसे कि पड़ोसी राज्यों में किया जा रहा है।
ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा की बचत और दक्षता को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम शुरू किए जाएं।
वित्तीय सुधार: कंपनी की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए नई रणनीतियों का विकास किया जाए।
ज्वलंत मुद्दा
उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) की नई दरें एक ज्वलंत मुद्दा बन चुकी हैं, जो न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित कर रही हैं। बढ़ती कीमतों, बढ़ते घाटे और उद्योगों में नाराजगी के बीच, यह आवश्यक है कि सरकार और निगम मिलकर ऐसी नीतियां बनाएं जो जनता और उद्योग दोनों के हितों की रक्षा कर सके। ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता, पारदर्शिता और न्यायपूर्ण दरों का निर्धारण ही इस संकट का समाधान हो सकता है, ताकि हरियाणा का आर्थिक और सामाजिक विकास बिना किसी बाधा के जारी रह सके।