Digital Arrest : नोएडा में ठगी का नया तरीका, डिजिटल अरेस्ट कर इंजीनियर युवती से 11 लाख रुपये से अधिक की ठगी, जानें- पूरी वारदात

नोएडा, BNM News: Digital Arrest उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के नोएडा में डिजिटल ठगी का मामला सामने आया है। यहां आईटी इंजीनियर युवती को डरा धमकाकर आठ घंटे तक घर में अकेले रहने को मजबूर किया गया और  11.11 लाख रुपये ठग लिये। पुलिस ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। सेक्टर-34 स्थित धवलगिरी अपार्टमेंट निवासी आईटी इंजीनियर सीजा टीए ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।  नोएडा के सेक्टर- 36 स्थित साइबर अपराध थाने के प्रभारी निरीक्षक ने शिकायत के हवाले से बताया कि पीड़िता के पास 13 नवंबर को अंजान नंबर से फोन आया और उसने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया (ट्राई) का कर्मचारी बताया। उन्होंने बताया कि इसके बाद फोन करने वाले ने पीड़िता को धन शोधन मामले में फंसाने का डर दिखाकर आठ घंटे तक अकेले रहने को मजबूर किया और इसके बाद उसके बैंक खाते से 11.11 लाख रुपये ट्रांसफर कर लिये। उन्होंने बताया कि भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है और जांच की जा रही है।

इजीनियर युवती के साथ ऐसे हुई ठगी

आईटी इंजीनियर सीजा टीए के पास 13 नवंबर को अंजान नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को ट्राइ का कर्मचारी बताया। कॉल करने वाले ने कहा कि युवती के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सिम कार्ड खरीदा गया है जिसका प्रयोग मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है। उसे बताया गया कि सिम का इस्तेमाल कर दो करोड़ रुपये निकाले गए हैं। कॉलर ने आगे की जांच का हवाला देते हुए कॉल ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद स्काइप कॉल कर कथित रूप से एक तरफ मुंबई पुलिस, दूसरी तरफ क्राइम ब्रांच और कस्टम के अधिकारी बन युवती को डराया धमकाया गया। करीब आठ घंटे तक स्काइप कॉल से युवती की निगरानी कर बंधक बनाए रखा गया। इस दौरान युवती से कई तरह के सवाल पूछे गए। किसी से बात करने की अनुमति नहीं दी गई। जालसाजों ने आठ घंटे बाद खाते में 11.11 लाख रुपये ट्रांसफर कराने के बाद कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। इस मामले में साइबर क्राइम थाने में पिछले सप्ताह मुकदमा दर्ज किया गया था। साइबर क्राइम थाने की प्रभारी निरीक्षक रीता यादव के मुताबिक जालसाजों ने पुलिस की वर्दी पहन कर स्काइप कॉल कर युवती को डराया था।

क्या है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट में मोबाइल या लैपटॉप से स्काइप पर वीडियो कॉलिंग कर या अन्य एप के जरिये किसी पर नजर रखी जाती है। उसे डरा धमका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है। यानी वीडियो कॉल के जरिये आरोपी को उसके घर में या जहां वो है वहीं एक तरह से कैद कर दिया जाता है। इस दौरान पीड़ित न तो वह किसी से बात कर सकता है और न कहीं जा सकता है।

एप डाउनलोड कराकर भी रखी जाती है निगरानी

डिजिटल अरेस्ट का इस्तेमाल साइबर जालसाज करते हैं। जालसाज पुलिस क्राइम ब्रांच, सीबीआई, ईडी के अधिकारी बनकर एप डाउनलोड कराकर वर्चुलअ जांच का झांसा देते हैं। पीड़ित से पुलिस के अंदाज में पूछताछ की जाती है। जिसके बाद मनी लॉंड्रिंग, मानव तस्करी, हवाला कारोबार से लेकर ड्रग्स तस्करी में शामिल होने का आरोप लगाकर लाखों की वसूली की जाती है। आरोपी न तो किसी से मदद मांग सकता है और न किसी को अपनी कहानी बता पाता है। उसे जो निर्देश मिलते हैं, उसी के हिसाब से काम करता है।

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