Exclusive Interview : कम फिल्में की हैं, बहुत अच्छी की हैं : मोना सिंह

Exclusive Interview With Mona Singh: टेलीविजन से अभिनय सफर शुरू करने वाली अभिनेत्री मोना सिंह ने साल 2009 में प्रदर्शित फिल्म थ्री इडियट्स से फिल्मों में कदम रखा था। पिछले 15 वर्षों में उन्होंने हालिया प्रदर्शित फिल्म मुंजा समेत सिर्फ छह फिल्में की। अब तक 80 करोड़ रुपये से ज्यादा कमा चुकी मुंजा से मोना का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है। फिल्मों के साथ-साथ डिजिटल प्लेटफार्म पर भी लगातार काम कर रही मोना से बातचीत :

पिछले 15 वर्षों में सिर्फ छह फिल्में ही की, क्या फिल्मों से मनपसंद आफर नहीं मिले या प्राथमिकताएं अलग रही?
मैंने कभी किसी प्रोजेक्ट को सिर्फ फिल्म या उसमें किसी बड़े स्टार को देखकर हां नहीं बोला। मैं हमेशा देखती हूं कि बतौर कलाकार मैं उसमें क्या कर रही हूं और दर्शकों के नजरिए से यह प्रोजेक्ट कैसा है? अगर मुझे किसी प्रोजेक्ट में कुछ अलग या चुनौतीपूर्ण नहीं दिखता है, तो मैं मना कर देती हूं। ना बोलने में मुझे कभी कोई दबाव नहीं महसूस हुआ है। इसीलिए मैंने बहुत कम फिल्में की है, लेकिन जितनी भी की है बहुत अच्छी की है। फिर आप थ्री इडियट्स, लाल सिंह चड्ढा, मुंजा किसी भी फिल्म की बात करें।

अभिनेत्री लारा दत्ता ने कहा था कि उम्र बढ़ने के साथ उनके लिए विकल्प बढ़ गए हैं, क्या आप अपने लिए भी ऐसा कुछ देखती हैं?
मेरे जैसे कलाकारों के लिए डिजिटल प्लेटफार्म ने तो पूरा खेल ही बदल दिया है। मैं जिस तरह का काम करना चाहती थी वो टीवी में नहीं हो रहा था, 30 साल की उम्र में भी। वो सब मुझे डिजिटल प्लेटफार्म पर मिला है। यहां लेखकों, निर्माताओं और कलाकारों को अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए ढेर सारे पंख मिल गए हैं। मैं स्वयं को भाग्यशाली मान रही हूं कि मुझे 40 वर्ष की उम्र पार करने के बाद इतनी चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं निभाने के मौके मिल रहे हैं। इस उम्र के पार कलाकार के अंदर का डर और असुरक्षा की भावनाएं खत्म हो जाती है। वह ज्यादा निडर और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।

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आपने डर और असुरक्षा की भावना का जिक्र किया, वो किन चीजों को लेकर होती है?
मेरा डर था कि पता नहीं काम मिलेगा या नहीं मिलेगा। कलाकारों की अपनी असुरक्षा की भावना होती है कि आगे जाकर पता नहीं क्या होगा? टीवी में अब कुछ नया बचा नहीं है, जो कुछ नया कर सकूं और फिल्मों में ऐसे अनोखे विषय बनते नहीं है। तो डर था कि कलाकार आगे क्या करेगा? मुझे खुशी है कि डिजिटल प्लेटफार्म के भारत में आने बाद लोगों ने इसे खुले दिल से स्वीकार किया। इससे कलाकारों को काम मिलेगा या नहीं, वाली असुरक्षा की भावना खत्म हो गई हैं।

बिना किसी बड़े स्टार या बड़े बजट के मुंजा की इतनी बड़ी सफलता का क्या कारण देखती हैं?
मैं हमेशा से यही मानती आई हूं कि फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कहानी होती है। स्टार से बड़ा कहानी और कंटेंट होता है। उस कहानी को निर्देशक कितने अच्छी तरीके से पर्दे पर दर्शाता है वो मायने रखता है। जब मुंजा की तरह किसी क्षेत्रीय कहानी पर आधारित या कुछ अनोखी फिल्में बनती है तो उन्हें देखने दर्शक अपने परिवार और बच्चों के साथ जाते हैं। यही कारण है कि यह फिल्म चल रही है।।

 

आपने इंस्टाग्राम बायो में स्वयं को रीडर, ड्रीमर, स्टार गेजर और ट्रैवलर के बाद, सबसे अंत में एक्टर बताया है। क्या अभिनय आपकी सबसे आखिरी प्राथमिकता है?
(हंसते हुए) मैंने वह तो ऐसे ही मस्ती में लिखा है। मुझे बहुत से लोगों ने बोला भी है कि आप उसको बदल क्यों नहीं रही हैं आपको एक्टर सबसे पहले लिखना चाहिए, फिर मन में आता है कि मैं खुद से ही एक्टर क्या बताऊं। हां, मैं अपनी जिंदगी में ड्रीमर (सपने देखने वाली) जरूर रही हूं। जिंदगी में बड़े सपने देखा, इसीलिए इतनी अच्छी जिंदगी में जी रही हूं। इसलिए मैं ड्रीमर सबसे पहले लिखती हूं।

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पढ़ने के अलावा क्या कुछ लिखने का भी शौक है?
लिखना मुझे नहीं पसंद है, क्रिएटिव क्षेत्र में लिखने का काम मेरे पति बहुत अच्छा करते हैं। मैं उन्हें अपने सुझाव जरूर देती हूं, बाकी तो मैं किताबें बहुत पढ़ती हूं। मैं क्राइम, कामेडी, हल्की फुल्की कहानियां, सेहत और यात्रा से जुड़ी हर तरह की किताबें पढ़ना पसंद करती हूं। इसके अलावा मुझे सफर करना, खाना बनाना और गाना गाने का भी शौक है।

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फिर क्या आगे गायिकी को भी पेशेवर तौर पर अपनाने की तैयारी है?
अब तो बहुत सारे कलाकार गा भी रहे हैं। हाल में देखें तो फिल्म चमकीला में परिणीति चोपड़ा ने काफी अच्छा गाया है। मेरे माता-पिता को भी हमेशा लगता था कि मैं भी अपना कोई रिकार्ड निकालूं, अपना एल्बम रिकार्ड करूं। उम्मीद करती हूं कि मैं भी किसी गायक के साथ मिलकर कुछ रिकार्ड कर सकूं। मुझे मौका मिला तो मैं जरूर करूंगी।

इन सीरियल्स में किया काम

 

‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ (2003-06) ‘राधा की बेटियां कुछ कर दिखाएंगी’ (2008-09), ‘क्या हुआ तेरा वादा’ (2012-2013)

फिल्में :’3 इडियट्स’ (2009), ‘ऊट पटांग’ (2011)

रियलटी शो ‘झलक दिखला जा’ की विजेता

 

मोना सिंह रियलटी शो ‘झलक दिखला जा’ के पहले सीजन की विजेता है। इसके बाद उन्होंने इस शो के दूसरे और चौथे सीजन को होस्ट भी किया है। वे ‘एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ के अब तक पांचों सीजन को होस्ट कर चुकी हैं। ‘फेमिना मिस इंडिया’, ‘शादी तीन करोड़ की’ और ‘स्टार या रॉक स्टार जैसे कई रियलिटी शोज भी मोना ने होस्ट किए हैं।

 

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