Rakesh Tikait: अपने आंसुओं से किसान आंदोलन की धार बदलने वाले राकेश टिकैत कहां हैं? जानिए दिल्ली मार्च पर क्या है प्लान
नई दिल्ली/मुजफ्फरनगर, BNM News: Rakesh Tikait: 2020-21 के किसान आंदोलन नायक रहे राकेश टिकैत इस बार अधिक सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। हालांकि, अब इस मामले में उनकी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने किसानों के आंदोलन को उचित करार दिया है। उन्होंने एक मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि किसान ठीक कर रहे हैं। जब उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा तो विरोध प्रदर्शन ही रास्ता बच जाता है। राकेश टिकैत ने कहा कि देश में किसानों के कई संगठन हैं। वे अपने- अपने तरीके से प्रदर्शन करते रहते हैं। अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखते हैं। इस बार भी किसान अपनी मांग को लेकर दिल्ली आ रहे हैं। उनकी बात सुनी जानी चाहिए। राकेश टिकैत 2020-21 के किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। गाजीपुर बॉर्डर पर उनके आंसुओं ने किसान आंदोलन की धार ही बदल दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार को प्रस्तावित कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था।
दीवारें खड़ी करना, कील बिछाना उचित नहीं
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को लेकर जो कर रही है, वह गलत है। पंजाब और हरियाणा से आने वाले किसानों के लिए दीवारें खड़ी करना, कील बिछाना, किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। किसानों से बातचीत कर मुद्दे का हल निकाला जाना चाहिए। राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी ओर से 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया गया है। उन्होंने साफ कहा कि न हम किसानों से दूर हैं। न ही दिल्ली से दूर हैं। अगर किसी प्रकार की गलत बात होती है तो हम सब एक साथ हैं।
#WATCH | On farmers' 'Delhi chalo' protest, farmer leader Rakesh Tikait says, "MSP guarantee law and Swaminathan Committee report, Electricity amendment bill and debt waiver are the issues of the farmers across the country. There are several farmer unions and they have different… pic.twitter.com/UCcVGDsRPo
— ANI (@ANI) February 13, 2024
राकेश टिकैत ने साफ की रणनीति
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने पंजाब- हरियाणा के किसानों के प्रदर्शन पर रणनीति साफ कर दी है। उन्होंने कहा है कि किसानों को अगर दिक्कत हुई तो हम भी इस मामले में समर्थन में उतरेंगे। उन्होंने दिल्ली बॉर्डर किसानों को रोके जाने पर साफ किया है कि उन्हें दिल्ली आने दें। दिल्ली आने का अधिकार हर किसी को है। उन्हें क्यों रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को वार्ता करके मुद्दे का हल निकालना चाहिए।
इनकी बात को भी सुना जाना चाहिए
राकेश टिकैत ने कहा कि पाकिस्तान बॉर्डर पर कील- कांटे लगने चाहिए। दिल्ली बॉर्डर पर इस प्रकार की व्यवस्था क्यों हो रही है। दीवारें खींच दी गई। उसमें बड़े- बड़े भाले लगा दिए गए। यह अन्याय है। इनकी बात को भी सुना जाना चाहिए। उन्होंने साफ किया कि अगर किसानों से अत्याचार हुआ तो हम दिल्ली से दूर नहीं है। हम भी किसानों के साथ खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि सभी किसान संयुक्त मोर्चे के तहत आते हैं। कुछ लोगों ने पहले आंदोलन का ऐलान कर दिया। कुछ लोग बाद में जुड़ेंगे। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों से किसी प्रकार की दिक्कत हुई तो सभी साथ आएंगे।
200 से अधिक किसान संघों का आंदेालन
किसान आंदोलन 2024 को लेकर 200 संगठन दिल्ली मार्च पर निकले हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की ओर से 2020- 21 में आंदोलन चलाया गया है। 2020 के आंदोलन में राकेश टिकैत ने बड़ी भूमिका निभाई थी। इस आंदोलन में सरवन सिंह पंढेर के नेतृत्व में किसान मजदूर मोर्चा का आंदोलन शुरू किया है। 2020 के आंदोलन में पंढेर ने भाग नहीं लिया था। वे खुद को गैर राजनीतिक संगठन बता रहे हैं। मोर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन फॉर्मूले को लागू करने की व्यापक मांग को लेकर दिल्ली की राह पर है। इस आंदोलन में अब तक राकेश टिकैत सक्रिय तौर पर दिख नहीं रहे हैं।
16 फरवरी को बंद का आह्वान
संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से 16 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल और ग्रामीण बंद का आह्वान किया गया है। यह किसान हितों के लिए हानिकारक मानी जाने वाली सरकारी नीतियों के खिलाफ असंतोष को प्रदर्शित करेगा। इसको लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ‘दिल्ली चलो’ से दूर दिख रहे हैं। वे 16 फरवरी के भारत बंद की रणनीति को सफल बनाने में जुटे हैं। वे किसानों से देशव्यापी हड़ताल में शामिल होने और उस दिन कृषि गतिविधियों से दूर रहने का आग्रह कर रहे हैं। वे किसानों के हित के लिए व्यापक समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे है। हालांकि, विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद अब उन्होंने अपना रुख साफ कर दिया है।
ना वो किसान हमसे ज्यादा दूर हैं और ना दिल्ली हमसे ज्यादा दूर
मंगलवार को किसानों को एकजुट करने के लिए बेंगलुरू पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश में बड़ी पूंजीवादी कंपनिया हैं। उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी बना ली है और इस देश पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में दिक्कतें आएंगी ही, अगर उनके (किसान) साथ कोई अन्याय हुआ। सरकार ने उनके लिए कोई दिक्कत पैदा की तो ना वो किसान हमसे ज्यादा दूर हैं और ना दिल्ली हमसे ज्यादा दूर है। राकेश टिकैत ने कहा कि जब देश का विपक्ष कमजोर होता है तो देश में तानाशाहों का जन्म होता है। सब राजनीतिक पार्टियां एक हैं। सत्ता वाले भी और विपक्ष वाले भी। ये अपनी सरकार बचाएं…। जब देश का राजा ही ये कह रहा है कि हम 400 सीट जीतेंगे तो फिर देश में चुनाव की जरूरत कहां रह गई?… आप इसी चुनाव का नवीकरण कर लीजिए। आप क्यों देश को पागल बना रहे हैं…।”
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