शंभू बॉर्डर से किसानों का दिल्ली मार्च:हरियाणा पुलिस ने फूल बरसाने के बाद दागे आंसू गैस के गोले, 5 किसान घायल

नरेन्‍द्र सहारण , शंभू बॉर्डर : Kisan Andolan: पंजाब के 101 किसानों का शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली कूच करने का प्रयास एक बार फिर हरियाणा पुलिस द्वारा रोके जाने के कारण तनावपूर्ण स्थिति में बदल गया। रविवार को दोपहर 12 बजे किसान शंभू बॉर्डर से दिल्ली के लिए पैदल रवाना हुए थे, लेकिन बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक लिया। किसानों और पुलिस के बीच तीखी बहस हुई, जो बाद में टकराव में बदल गई।

परमिशन लेटर और पहचान को लेकर विवाद

हरियाणा पुलिस ने किसानों से दिल्ली जाने के लिए परमिशन लेटर की मांग की। पुलिस का कहना था कि बिना अनुमति के दिल्ली कूच करना संभव नहीं है। इसके जवाब में किसानों ने तर्क दिया कि शांतिपूर्ण तरीके से पैदल यात्रा करने पर किसी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि किसानों ने पहले ही 101 लोगों की सूची जारी कर दी है, लेकिन पुलिस उनके पहचान पत्र की जांच कर रही थी। इस पर किसानों ने नाराजगी जताई और बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई।

पुलिस का आरोप: किसान पहचान छिपा रहे हैं

हरियाणा पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों में शामिल कुछ लोग उनकी पहचान नहीं करने दे रहे थे। पुलिस का यह भी आरोप था कि कुछ प्रदर्शनकारी हथियार लेकर आए थे। हालांकि, किसानों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और उनका उद्देश्य केवल अपनी मांगें रखना है।

किसानों पर फूल और आंसू गैस के गोले

पुलिस के इस कार्रवाई के दौरान एक अजीब दृश्य भी देखने को मिला। आंसू गैस के गोले दागने के बाद पुलिस ने किसानों पर फूल भी बरसाए। इस घटनाक्रम को लेकर किसान और पुलिस दोनों ही पक्षों में असमंजस बना रहा। आंसू गैस के हमलों में अब तक चार किसान घायल हो चुके हैं।

घायलों के लिए किसानों की तैयारी

किसानों ने हर स्थिति का सामना करने के लिए पहले से तैयारी कर रखी थी। आंसू गैस के प्रभाव को कम करने के लिए उन्होंने 500 मीटर के दायरे में पानी के टैंकर, नमक, मास्क और चश्मे का इंतजाम किया। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 10 एंबुलेंस और 7 अन्य गाड़ियां भी तैनात थीं।

मीडिया पर प्रतिबंध और दूरी की सलाह

हरियाणा और पंजाब पुलिस ने मीडिया को घटनास्थल से दूर रहने की सलाह दी है। इस पर किसान नेताओं ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि मीडिया को घटनाओं की निष्पक्ष कवरेज से रोका जा रहा है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।

किसानों की मांगें: एमएसपी और अन्य मुद्दे

यह आंदोलन मुख्य रूप से केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग को लेकर हो रहा है। इसके अलावा किसानों ने 13 अन्य मांगें भी रखी हैं। हालांकि, सरकार की ओर से अब तक इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है।

पिछली घटनाओं की गूंज

यह पहली बार नहीं है जब किसानों और पुलिस के बीच इस तरह का टकराव हुआ हो। 6 दिसंबर को भी किसानों ने दिल्ली कूच करने की कोशिश की थी, लेकिन हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर उन्हें रोक दिया। उस दिन की झड़प में 8 किसान घायल हुए थे, जिसके बाद सरवन सिंह पंधेर ने किसानों को वापस बुला लिया था।

पुलिस और किसानों की तैयारी

 

हरियाणा पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में जवान तैनात किए हैं। शंभू बॉर्डर पर पुल के ऊपर और नीचे करीब 1000 जवान, 3 वज्र वाहन और आंसू गैस के गोले स्टॉक में रखे गए हैं। दूसरी ओर, किसानों ने भी अपनी तैयारियां पूरी कर रखी हैं। उन्होंने घायलों की देखभाल और आंसू गैस के प्रभाव से बचाव के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए हैं।

आंदोलन का अगला कदम

 

सरवन सिंह पंधेर ने स्पष्ट किया है कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष करेंगे। उन्होंने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने और किसानों के मुद्दों को सुलझाने की अपील की है।

शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच चल रही यह खींचतान देशभर का ध्यान खींच रही है। यह आंदोलन न केवल किसानों की मांगों को लेकर है, बल्कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी से भी जुड़ा हुआ है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और किसान संगठनों के बीच समाधान की कोई राह निकलती है या यह आंदोलन और उग्र होता है।

 

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