Kisan Andolan: शंभू बॉर्डर से किसानों का जत्था आज फिर दिल्ली के लिए करेगा कूच, हरियाणा बार्डर पर और सख्त की गई सुरक्षा

पटियाला, बीएनएम न्‍यूज : Kisan Andolan: शंभू बॉर्डर पर शुक्रवार को दिल्ली कूच की तैयारी में जुटे 101 किसानों के जत्थे और हरियाणा पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद किसान आंदोलन ने नया मोड़ ले लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को फिर से दिल्ली कूच की घोषणा की है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रधान सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हमने शनिवार शाम तक केंद्र सरकार से बातचीत की उम्मीद की, लेकिन जब कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई, तो हमने रविवार को शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली की ओर पैदल कूच करने का निर्णय लिया है।

पैदल कूच पर रोक क्यों?

सरवन सिंह पंधेर ने सवाल उठाया कि केंद्र और हरियाणा सरकार ने पहले वादा किया था कि किसान बिना ट्रैक्टर-ट्राली के दिल्ली जाना चाहें तो उन्हें रोका नहीं जाएगा। अब जब किसान शांतिपूर्ण जत्थे के रूप में पैदल दिल्ली कूच करना चाहते हैं, तो उन्हें क्यों रोका जा रहा है? उन्होंने शुक्रवार की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि पुलिस के साथ हुई झड़प में 20 किसान घायल हुए। पंधेर ने आरोप लगाया कि सरकार का यह रवैया किसानों के प्रति असंवेदनशीलता को उजागर करता है।

केंद्र सरकार पर भ्रम फैलाने का आरोप

पंधेर ने केंद्रीय कृषि मंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे किसानों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “शिवराज चौहान दावा कर रहे हैं कि सरकार किसानों को 50% न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दे रही है। लेकिन यह लागत निकालने के लिए भी पर्याप्त नहीं है।” पंधेर ने कहा कि केंद्र सरकार बातचीत के मूड में नहीं है और किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रही है।

आमरण अनशन और स्वास्थ्य चिंताएं

पंजाब के संगरूर जिले में खनौरी बॉर्डर पर भाकियू सिद्धूपुर के प्रांतीय प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन शनिवार को 12वें दिन भी जारी रहा। उनकी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति चिंता का विषय बन गई है। उनके डॉक्टर शौर्य कंबोज ने बताया कि उनका वजन साढ़े आठ किलो कम हो गया है, और किडनी पर असर पड़ने के साथ शुगर और बीपी का स्तर भी असामान्य है।

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

हरियाणा पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए राज्य के सभी प्रमुख बॉर्डर प्वाइंट्स पर सुरक्षा को सख्त कर दिया है। शंभू बॉर्डर पर लोहे की ग्रिल को वेल्डिंग कर मजबूत बनाया गया है। पुलिस ने वाटर कैनन, आंसू गैस और दंगा नियंत्रण वाहन तैनात किए हैं। जींद में दातासिंहवाला, खनौरी बॉर्डर और सिरसा जिले के डबवाली पर भी भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। यहां पैरामिलिट्री फोर्स के एक हजार से अधिक जवान तैनात हैं।

मीडिया पर भी प्रतिबंध

 

हरियाणा पुलिस ने पंजाब पुलिस से आग्रह किया है कि शंभू बॉर्डर पर किसानों और मीडिया के बीच एक किलोमीटर की दूरी बनाए रखी जाए। डीजीपी के इस पत्र से सरकार की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश की कोशिश के आरोप लग रहे हैं।

किसानों की मांगें और सरकार की प्रतिक्रिया

 

किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है। उनका कहना है कि एमएसपी पर कानून और किसानों के हितों की रक्षा के लिए ठोस नीतियां बनाई जानी चाहिए। दूसरी ओर, सरकार दावा कर रही है कि किसानों के साथ संवाद स्थापित किया जा रहा है। लेकिन किसानों के अनुसार, अब तक उन्हें बातचीत के लिए बुलाया तक नहीं गया।

किसानों की नाराजगी

शुक्रवार की घटनाओं और किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर रोक से उनकी नाराजगी और बढ़ गई है। उनका कहना है कि सरकार के वादे खोखले साबित हो रहे हैं, और पुलिस बल के माध्यम से उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है।

आंदोलन की दिशा

किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करेंगे। उनका आंदोलन सरकार के रवैये पर निर्भर करता है। यदि बातचीत का रास्ता नहीं खुलता, तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है।

सरकार और किसानों के बीच संवादहीनता की स्थिति और तनावपूर्ण माहौल ने पूरे देश का ध्यान इस आंदोलन की ओर खींचा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में इस गतिरोध को हल करने के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच क्या कदम उठाए जाते हैं।

 

 

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