पीठ का सपना साकार कर गोरखपुर आए गोरक्षपीठाधीश्वर योगी का जोरदार स्वागत, खूब झूमे-नाचे युवा, बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे
गोरखपुर, BNM News। ढोल नगाड़ों की थाप पर श्रीराम चित्रांकित केसरिया ध्वजा लहराते, झूमते-नाचते युवा, महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे। सीएम की सवारी पर अहर्निश फूलों की बारिश। जगह-जगह सत्कार का नयनाभिराम नजारा पेश करते लोक कलाकारों के दल, मानव श्रृंखला बनाकर खड़े और जय श्रीराम, योगी जी को है धन्यवाद का गगनभेदी उद्घोष करता लोगों का उत्साहित हुजूम। हृदयांकित भावनाओं का आवेग समेटकर, मंद मंद मुस्कनिया के बीच हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। सबकुछ। अभूतपूर्व, अनिर्वचनीय और अविस्मरणीय। अवसर था अयोध्याधाम के नव्य, भव्य दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में श्रीरामलला नूतन विग्रह की अलौकिक, अविस्मरणीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सुफल आयोजन कराकर पहली बार गोरखधाम पधारे गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अभूतपूर्व अभिनंदन का।
हर विषम-सम स्थिति-परिस्थिति में नेतृत्व गोरक्षपीठ का ही रहा
यूं तो गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी बीते करीब सात साल से अपने गृह क्षेत्र गोरखपुर में आते ही रहते हैं। पर, शनिवार (27 जनवरी) को उनका आगमन उपलब्धि के उस शिखर को स्पर्श करने के बाद हुआ, जिसकी परिकल्पना, संघर्ष और परिणाम तक गोरक्षपीठ की केंद्रीय भूमिका रही। यह उपलब्धि है करीब पांच सौ सालों की संघर्षमय प्रतीक्षा के बाद अयोध्याधाम में नव्य, भव्य, दिव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में श्रीरामलला के भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह की। श्रीरामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए आंदोलन को रणनीतिक रूप देना हो, आंदोलन को विश्वव्यापी बनाकर निर्णायक दिशा देनी हो या फिर मंदिर को मूर्त रूप देकर श्रीरामलला के नूतन विग्रह की प्रतिष्ठा, हर विषम-सम स्थिति-परिस्थिति में नेतृत्व गोरक्षपीठ का ही रहा।
गोरक्षपीठ की पीढ़ियों का सपना साकार हुआ
1949 में श्रीरामलला के प्राकट्य की दैवीय घटना के समय ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ की पूर्वाभासी उपस्थिति तो नब्बे के दशक में परिणामजन्य आंदोलन का नेतृत्व व मार्गदर्शन ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने किया। श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ के आजीवन अध्यक्ष रहे महंत अवेद्यनाथ का सपना और जीवन की आखिरी इच्छा ही श्रीराम मंदिर निर्माण की रही। उनकी इस इच्छा को, राम मंदिर आंदोलन की प्रेरणा से संन्यास मार्ग चुनने वाले उनके उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ ने जीवन का मिशन ही बना लिया। अपने संसदीय कार्यकाल में योगी ने सड़क से सदन तक राम मंदिर के लिए अलख जगाई तो मुख्यमंत्री बनने के बाद और राम मंदिर के लिए सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद अपने गुरु के सपने को पूरा करने में प्राणपण से कार्य किया। उनकी ही देखरेख में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों हुआ तो 22 जनवरी 2024 को श्रीरामलला अनुष्ठानपूर्वक इस मंदिर में विराजमान भी हुए। इसके साथ ही साकार हुआ गोरक्षपीठ की पीढ़ियों का सपना।
स्वागत, अभिनंदन में पलक पांवड़े बिछाए
गोरक्षपीठ के गुरुजनों के संकल्प व स्वप्न को मूर्त करने वाले गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ का इंतजार तो इस पीठ की अवस्थिति से पहचान रखने वाले गोरखपुरवासी 22 जनवरी से से कर रहे थे। पांच दिन की प्रतीक्षा के बाद शनिवार को जैसे ही योगी के कदम गोरखधाम पर पड़े, लोगों ने सत्कार, स्वागत, अभिनंदन में पलक पांवड़े बिछा दिए। एयरपोर्ट से लेकर गोरखनाथ मंदिर तक सीएम योगी के स्वागत की ऊष्मा ऐसी तपी की कड़ाके की ठंड ने भी मानों अपने पैर पीछे खींच लिए हों। स्वागत के लिए स्वतः स्फूर्त बन गई मानव श्रृंखला के बीच मुख्यमंत्री के काफिले का आगे बढ़ना आप ही रोड शो जैसा नजारा बना रहा था।
पूरे शहर में हुआ सीएम का स्वागत
मुख्यमंत्री के एयरपोर्ट से निकलते ही इसके बाहर, नन्दा नगर, एम्स के सामने, कूड़ाघाट गुरुंग तिराहा, मोहद्दीपुर स्मार्ट व्हील्स के सामने, नहर रोड, गुरुद्वारा के सामने, मोहद्दीपुर चौराहा, रेल म्यूजियम के सामने, विश्वविद्यालय चौराहा, पुलिस लाइन मोड़, यातायात तिराहा, धर्मशाला बाजार, विश्वकर्मा मंदिर, तरंग क्रासिंग, तरंग-गोरखनाथ ओवरब्रिज रोड, झूलेलाल मंदिर, श्रीरामजानकी हनुमान मंदिर, गोरखनाथ मंदिर के गेट और मंदिर परिसर में प्रवेश तक हर उम्र के लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर, हाथ व मशीनों से पुष्प वर्षा कर, केसरिया ध्वज लहराकर अपने गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री का जोरदार स्वागत किया। स्वागत में फूलों की बारिश तो इतनी हो रही थी कि सुरक्षा कर्मियों को बार-बार सीएम की सवारी को साफ करना पड़ रहा था। स्वागत में खड़े सबकी जुबां पर जय श्रीराम का उद्घोष था तो रामकाज के सुफल परिणाम के लिए धन्यवाद योगी जी का नारा।
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