सरकारी अधिवक्ता ने बर्बाद किए 10 मिनट, हाई कोर्ट ने ठोंका 25 हजार हर्जाना; जानें क्या है पूरा मामला
लखनऊ, BNM News: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार को उप्र सरकार पर यह कहकर 25 हजार रुपये का हर्जाना ठोंक दिया कि सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट का 10 मिनट का बहुमूल्य समय बर्बाद कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह रकम हाई कोर्ट लीगल सर्विसेस सब कमेटी में एक हप्ते के भीतर जमा की जाए। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि सुनवाई के दौरान इस रंग-भंग के लिए जिम्मेदार से यह रकम वसूल की जाए। यह आदेश जस्टिस अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने सोमवार को रजित राम वर्मा की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
प्रतिउत्तर शपथपत्र पढ़ने के लिए थोड़ा समय दिया जाए
यह याचिका पिछले वर्ष दाखिल की गई थी, जिस पर सरकार ने अपना प्रति शपथपत्र भी दाखिल कर दिया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता ने सरकार के प्रति शपथपत्र के जवाब में अपना प्रतिउत्तर शपथपत्र दाखिल किया, जिसे कोर्ट ने रिकार्ड पर ले लिया। इसके बाद याची के अधिवक्ता ने अपनी बहस प्रारंभ कर दी। जब उसकी बहस समाप्त हुई तो कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से सरकार का पक्ष जानना चाहा। सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि उसे अभी थोड़ी देर पहले ही याची के प्रतिउत्तर शपथपत्र की प्रति दी गई है, अत: उन्हें प्रतिउत्तर शपथपत्र पढ़ने के लिए थोड़ा समय दे दिया जाए।
सुनवाई टालने से कोर्ट का बहुमूल्य 10 मिनट बर्बाद हो गया
सरकारी अधिवक्ता के समय मांगने पर जस्टिस मोईन ने गंभीर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि उन्हें समय चाहिए था तो बहस प्रारंभ होने से पहले बता देते। उन्होंने मामले के सारे तथ्यों एवं कानून पर गौर कर लिया है और याची के अधिवक्ता ने भी अपना पक्ष रख दिया है तो ऐसे में मुकदमे की सुनवाई टालने से कोर्ट का बहुमूल्य 10 मिनट अनावश्यक बर्बाद हो गया। यह कहते हुए कोर्ट ने समय बर्बाद करने पर राज्य सरकार पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगा दिया। हालांकि, कोर्ट ने इस मुकदमे की सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी।