Gyanvapi Controversy: जानें क्यों ज्ञानवापी परिसर स्वामित्व विवाद में मंदिर पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया कैविएट
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। Gyanvapi Controversy: ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व संबंधी विवाद में मंदिर पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है, ताकि अगर मस्जिद पक्ष हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देता है तो सुप्रीम कोर्ट उनका पक्ष सुने बगैर एकतरफा कोई आदेश न जारी करे। गुरुवार को मंदिर पक्ष की ओर से पांचो मामलों में एडवोकेट आन रिकार्ड वकील भक्ति वर्धन सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की गई। स्वयंभू भगवान विश्वेसर की ओर से निकट मित्र विजय शंकर रस्तोगी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की गई हैं।
ताकि सुप्रीम कोर्ट मामले में उसे सुने बगैर एकतरफा कोई आदेश न जारी करे
कैविएट दाखिल करने का मतलब होता है कि संबंधित मामले में जिसमें कैविएट दाखिल की गई है, उसमें कोई भी आदेश पारित करने से पहले अदालत कैविएट दाखिल करने वाले पक्षकार को भी सुने। यानी उसे भी पक्ष रखने का मौका मिले और कोर्ट एकतरफा कोई आदेश न जारी कर दे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गत मंगलवार 19 दिसंबर को मस्जिद पक्ष की पांच याचिकाएं खारिज करते हुए ज्ञानवापी परिसर में स्वामित्व विवाद से जुड़े मंदिर पक्ष के मुकदमे की सुनवाई को हरी झंडी दे दी थी। उस फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी पर स्वामित्व का दावा और मांग करने वाले मंदिर पक्ष के 1991 में दाखिल किये गए मुकदमे को सुनवाई योग्य माना था और कहा था कि यह मुकदमा पूजा स्थल कानून 1991 से बाधित नहीं है। इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा था कि यह राष्ट्रीय महत्व का सिविल वाद है न कि दो व्यक्तिगत लोगों के बीच का विवाद। यह विवाद देश के दो बड़े समुदायों को प्रभावित करता है। पिछले 32 साल से सिविल वाद लंबित है और 25 वर्षों तक अंतरिम आदेश के कारण सुनवाई रुकी रही।
मुकदमे को सुनवाई योग्य मानने के हाई कोर्ट के फैसले को मस्जिद पक्ष सुप्रीम कोर्ट में दे सकता है चुनौती
हाई कोर्ट ने फैसले में कहा था कि राष्ट्रहित में यह वाद यथाशीघ्र तय होना चाहिए। दोनों पक्ष देरी की रणनीति अपनाए बगैर सुनवाई में सहयोग करें। हाई कोर्ट ने वाराणसी की जिला अदालत को यथासंभव छह महीने में इस सिविल वाद को निपटाने का आदेश दिया है। मस्जिद पक्ष की ओर से हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है और इसी संभावना को देखते हुए मंदिर पक्ष ने कैविएट दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में आजकल सर्दियों की छुट्टी चल रही है। कोर्ट में एक जनवरी तक छुट्टियां है उसके बाद कोर्ट खुलेगा। ऐसे में संभावना है कि मस्जिद पक्ष छुट्टियों के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल कर देगा और कोर्ट से मामले पर जल्दी सुनवाई का भी आग्रह किया जा सकता है क्योंकि हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिला अदालत को लंबित वाद पर जल्दी सुनवाई पूरी करनी है। 1991 से लंबित इस मामले की सुनवाई 25 वर्ष रुकी रही क्योंकि हाई कोर्ट ने 1998 में सुनवाई पर रोक लगा दी थी।