Haryana Assembly Election 2024: बंसी लाल और भजनलाल के वारिसों पर बढ़ा भाजपा का भरोसा, देवीलाल परिवार का जादू कम

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में 10 साल से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोकसभा चुनाव से सबक लेते विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बदली है। अभी तक पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के परिवार को तरजीह देती आ रही पार्टी ने अब पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसी लाल के परिवारों पर ज्यादा भरोसा दिखाया है।

भजन और बंसी लाल के परिवारों का प्रभाव का इस्तेमाल

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं स्वर्गीय बंसी लाल की पुत्रवधू किरण चौधरी को राज्यसभा भेज चुकी पार्टी ने अब पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को तोशाम विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह, स्वर्गीय भजन लाल के पौत्र भव्य बिश्नोई को न केवल आदमपुर और भतीजे दुडाराम बिश्नोई को फतेहाबाद से दोबारा चुनावी रण में उतारा, बल्कि कुलदीप बिश्नोई के नजदीकियों में शामिल रणधीर पनिहार को नलवा, मनमोहन भड़ाना को समालखा और रणबीर गंगवा को बरवाला से टिकट दिया है। भजन और बंसी लाल के परिवारों का भिवानी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, हिसार और फतेहाबाद सहित अन्य जिलों में खासा प्रभाव है, जिसका भाजपा को सीधा फायदा मिलेगा।

रणजीत सिंह चौटाला का टिकट काट दिया

इसके उलट, भाजपा ने रानियां विधानसभा क्षेत्र से दावेदार देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह चौटाला का टिकट काट दिया है। उधर, डबवाली में देवीलाल के पौत्र आदित्य देवीलाल पर संकट मंडरा रहा है। टिकट कटने के पूर्वाभास पर मार्केटिंग बोर्ड का चेयरमैन पद छोड़ आदित्य देवीलाल अब इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के संपर्क में हैं, जबकि रानियां में रणजीत सिंह चौटाला निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।

भाजपा ने चौटाला परिवार की मदद से बनाई सरकार

वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बहुमत के जादुई आंकड़े से चूकी भाजपा की सरकार बनवाने में चौटाला परिवार ने अहम भूमिका निभाई थी। रानियां से निर्दलीय विधायक बने रणजीत सिंह चौटाला ने न केवल सबसे पहले अपना समर्थन भाजपा को दिया, बल्कि पांच अन्य निर्दलीय विधायकों को भी अपने साथ लाकर सरकार गठन का रास्ता साफ कर दिया। इसके अलावा दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी से गठबंधन में अहम भूमिका निभाई। भाजपा ने रणजीत चौटाला को कैबिनेट मंत्री तो बनाया ही, लोकसभा चुनाव में भी कुलदीप बिश्नोई की दावेदारी को दरकिनार कर उन्हें हिसार में प्रत्याशी बना दिया। नतीजे उम्मीद के अनुरूप नहीं आए। इसके बाद चौटाला परिवार के नुमाइंदों से भाजपा का भरोसा कम होता चला गया।

 

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