Haryana Election 2024: कांग्रेस में कम नहीं हो रही गुटबाजी, विरोध से हो रहा भाजपा को फायदा; और चुनौतियां भी कम नहीं

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Election 2024: कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशियों और भाजपा सरकार की 10 साल की एंटी इंकमबेंसी के चलते पार्टी के पक्ष में बनी हवा के बावजूद अब इतना आसान नहीं लग रहा। ऐसे में हरियाणा में कांग्रेस के लिए कई चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। 25 मई को होने वाले मतदान से पहले अपने पक्ष में माहौल को बनाए रखना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। एक तो मजबत संगठन नहीं होने के चलते भाजपा के मुकाबले कांग्रेस बूथ स्तर तक पहुंचने में पिछड़ रही है। दूसरा, प्रदेश के प्रमुख नेताओं की गुटबाजी भी पार्टी के लिए घातक है। अभी तक हरियाणा में पार्टी के स्टार प्रचारक नहीं उतर पाए हैं। अभी तक सिरसा को छोड़कर पूरे प्रदेश में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ही कमान संभाले हुए हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा सिरसा जाने से बच रहे

 

ये दोनों प्रमुख नेता चुनाव में सिरसा जाने से बच रहे हैं। दूसरी तरफ, भाजपा के वर्तमान सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल की पूरे प्रदेश के 86 विजय संकल्प रैलियां कर चुके हैं। इसके अलावा 16 मई से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी हरियाणा में दस्तक देकर धड़ाधड़ रैलियां करके माहौल बनाने का प्रयास करेगा।

कमजोर पड़ रहा कांग्रेस का प्रचार

 

कई सर्वे के बाद 26 अप्रैल को जब कांग्रेस ने प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे तो उस समय प्रदेश में अचानक से कांग्रेस की हवा बनी। लोगों में चर्चा थी कि इस बार कांग्रेस हरियाणा में कई सीटों पर जीत सकती है। आम व्यक्ति से लेकर सट्टा बाजार और चुनावी विश्लेषक तक कांग्रेस की पांच सीटों पर जीत तय मान रहे थे, लेकिन जहां भाजपा ने पूरे प्रदेश में पूरी ताकत के साथ जमीनी स्तर पर काम तेज कर दिया है और दूसरी तरफ कांग्रेस का प्रचार कमजोर पड़ रहा है।

चुनावी रण में उतरेंगे कई नेता

 

हरियाणा में चुनाव में अब महज 10 दिन का समय बचा है। प्रचार अब आठ दिन और चलेगा। दोनों पार्टियों का आकलन करें तो अब तक भाजपा 86 विजय संकल्प रैलियां कर चुकी है। मनोहर और नायब सिंह सैनी की जोड़ी अधिकतर विधानसभा हलकों को कवर कर चुकी है। वहीं, देरी से प्रत्याशी उतारने के चलते भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र अब तक सात लोकसभा क्षेत्रों में 28 रैलियां ही कर पाए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पंचकूला में रोड शो कर चुके हैं और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा भी हरियाणा में प्रचार में उतर चुके हैं। 16 मई से उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी प्रचार को धार देने आएंगे।

भाजपा के शीर्ष नेताओं की होनी है रैलियां

 

इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बारी आएगी। पीएम नरेंद्र मोदी की चार रैलियां और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के तीन कार्यक्रम तय हो चुके हैं। वहीं, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरेग की रैलियां और रोड शो तय हो चुका है।

दो गुटों में बंटी है कांग्रेस

वहीं जनसंपर्क में भाजपा इसमें भी कांग्रेस से बहुत आगे है। जिला, ब्लॉक से लेकर मंडल स्तर और बूथ स्तर से पन्ना प्रमुख तक भाजपा ने प्रचार में उतार दिए हैं और मतदाताओं के घर-घर दस्तक देनी शुरू कर दी है। वहीं कांग्रेस ने 40 नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है। इनमें मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी केंद्रीय नेता हैं। इनके अलावा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, अजय माकन, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल व सचिन पायलट समेत अन्य नाम शामिल हैं। इनमें से कई नेताओं को हरियाणा आना है। इनके अलावा हरियाणा के ही नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह, कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला सिर्फ सिरसा लोकसभा क्षेत्र तक सीमित हैं, जबकि अन्य विधायक और पूर्व विधायक भी अपने-अपने हलकों में ही सक्रिय हैं।

बेरोजगारी व खिलाड़ियों का मुद्दा नहीं भुना पाई पार्टी

चुनाव की घोषणा से पहले महिला पहलवानों के यौन शोषण का मुद्दा पूरे देश में गूंजा, लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में कामयाब नहीं रही, जबकि आंदोलन के समय कांग्रेस ने खुलकर खिलाड़ियों का साथ दिया था, लेकिन चुनाव में इस मुद्दे को लेकर कांग्रेसी नेता सरकार को घेरने में सफल नहीं हुए। इसके अलावा किसानों के मुद्दों पर भी कांग्रेस नेता उनके साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं।
-चुनाव से पहले तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में बेरोजगारी दर बढ़ने का मुद्दा कई बार उठाया, लेकिन चुनाव आते-आते यह मुद्दा भी ठंडा पड़ गया है।

विरोध से भी भाजपा को फायदा

चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि किसान आंदोलन के नाम पर भाजपा और जजपा प्रत्याशियों के विरोध किए जाने से भी भाजपा को फायदा मिलने की संभावना है। इससे मतदाता मुखर व साइलेंट दो भागों में बंट गए हैं। जो शांत हैं, वह अधिकतर भाजपा के साथ जा सकते हैं।

भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi  के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्‍शन

You may have missed