Bhiwani-Mahendragarh Lok Sabha Seat: धर्मबीर सिंह ने महेंद्रगढ़ जिले में तो राव दान सिंह ने झोंकी भिवानी में ताकत, जानें क्या कहता है चुनावी समीकरण

धर्मबीर सिंह और राव दान सिंह।

नरेन्द्र सहारण, नारनौल: Bhiwani Mahendragarh Lok Sabha: तीन जिलों में बंटे भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान में चुनाव भिवानी बनाम महेंद्रगढ़ हो चुका है। 17 लाख 93 हजार मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र में जहां महेंद्रगढ़ जिले में सर्वाधिक 7 लाख 29 हजार मतदाता हैं, वहीं भिवानी में 6 लाख 58 हजार 655 मतदाता हैं। यहां एक बात गौर करने वाली यह है कि बेशक भिवानी जिले में विधानसभा केवल तीन हैं पर मतदाताओं की संख्या के मामले में चार विधानसभा वाले महेंद्रगढ़ जिले से केवल करीब 70 हजार ही कम वोट हैं। वैसे पुराने भिवानी जिले में दादरी भी शामिल रहा है और इन दोनों को मिला लिया जाए तो इन दोनों जिलों के मतदाताओं का आंकड़ा साढ़े दस लाख को पार कर जाएगा। जाहिर है कि लोकसभा क्षेत्र तीन जिलों में बंटेगा तो चुनावी गणित का आकलन भी इसी तर्ज कर होने लगा है।

धर्मवीर सिंह का महेंद्रगढ़ जिले पर सर्वाधिक फोकस

 

यहां स्पष्ट कर दें कि भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह भिवानी जिले से संबंध रखते हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह भी भिवानी जिले के गांव प्रहलागढ़ में पैदा हुए हैं और उन्होंने अपनी कर्मभूमि महेंद्रगढ़ को बनाया हुआ है। वे दोनों जिलों में अपना बराबर दावा कर रहे हैं तो जजपा प्रत्याशी राव बहादुर सिंह महेंद्रगढ़ जिले की चौधर के नाम से लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले दस साल से इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह हर गांव और घर तक अपनी पहुंच बनाए हुए हैं। दो लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव लिए धर्मबीर सिंह के पास कई विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। ऐसे में वह भी तीनों जिलों पर समानांतर संपर्क बनाए हैं। इसके बावजूद वह महेंद्रगढ़ जिले पर सर्वाधिक फोकस कर रहे हैं और दो दिन से लगातार इस क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने में जुटे हैं।

कई गांवों तक पहुंचना कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनौती

 

धर्मबीर सिंह अहीरवाल में यादव वोटों में सेंध लगाने के लिए कवायद कर रहे हैं। इसी मकसद को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने घनिष्ठ दोस्त केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का सोमवार को अटेली विधानसभा क्षेत्र में दौरा करवाया और अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली भी भिवानी के बजाय महेंद्रगढ़ के पाली में रखवाई है। धर्मबीर सिंह सुबह से लेकर देर रात तक मतदाताओं के बीच रहते हैं। महज कुछ घंटे ही आराम करते हैं। इसी तरह कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह जाट मतदाताओं में पकड़ मजबूत करने में जुटे हैं और वे पिछले एक सप्ताह से भिवानी और दादरी जिले में जुटे हुए हैं। इन जिलों में राव दान सिंह कोई सत्ता विरोधी लहर तो नहीं है, लेकिन चुनौती यह है कि वहां पर उनकी टीम नहीं है। लोहारू हलके के कई ऐसे गांव हैं, जिन तक पहुंचना कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनौती है। हालांकि वह लगातार जुटे हुए हैं और देर रात तक चुनाव प्रचार कर रहे हैं। अभी तक वह विधानसभा चुनाव लड़ते आ रहे हैं और पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। 40 गांव से अचानक एक हजार से अधिक गांवों में संपर्क बनाना और हर बूथ पर कार्यकर्ताओं की फौज खड़ा करना उनके लिए बड़ी चुनौती है।

राव बहादुर सिंह से कांग्रेस को नुकसान

 

कांग्रेस प्रत्याशी स्टार प्रचारकों की मदद से अपनी पकड़ को मजबूत करने की कवायद भी कर रहे हैं। इधर, जजपा प्रत्याशी राव बहादुर सिंह पिछले एक साल से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इनेलो की टिकट पर राव बहादुर सिंह ने दो लाख 75 हजार वोट लिए थे। अब वे अपने पुराने रिकार्ड तक पहुंचने के लिए ताकत झोंके हुए हैं। महेंद्रगढ़ जिले की चौधर के नाम से यादव मतदाताओं को रिझा रहे हैं। हालांकि, देखने वाली बात यह होगी कि उनको इसमें कितनी सफलता मिलती है। हां यह बात अलग है कि जितना राव बहादुर सिंह को समर्थन अधिक मिलेगा, उतना ही कांग्रेस प्रत्याशी के वोटों का नुकसान होने का गणित भी कुछ राजनीतिक पंडित लगा रहे हैं। फिलहाल तो यहीं कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनाव भिवानी बनाम महेंद्रगढ़ होता दिखाई दे रहा है।

 

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