Haryana Election Result: भाजपा का साथ छोड़कर कहीं के नहीं रहे हरियाणा के तीन सूरमा, हाथ मल रहे होंगे नेता
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana Election Result:राजनीति में यह कहा जाता है कि जो अवसर खो देता है, वह बहुत कुछ खो देता है। इस कहावत को हरियाणा के तीन प्रमुख नेताओं पर पूरी तरह लागू किया जा सकता है- पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर, पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला। भाजपा ने इन्हें बहुत सम्मान और अवसर दिया, लेकिन ये नेता इसे पूरी तरह से नहीं समझ पाए और भाजपा का साथ छोड़ दिया। परिणामस्वरूप, प्रदेश के मतदाताओं ने इन नेताओं को उनके वास्तविक राजनीतिक स्थान का एहसास करा दिया।
अशोक तंवर को कांग्रेस में शामिल किया
हरियाणा के चुनावी परिदृश्य में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच विवाद के चलते कांग्रेस ने भाजपा के नेता अशोक तंवर को अपनी पार्टी में शामिल किया। तंवर ने पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपनी पहचान बनाई थी और कांग्रेस ने उन्हें सिरसा से सांसद भी बनाया था। हालांकि, टिकट आवंटन को लेकर हुड्डा से विवाद के बाद तंवर ने कांग्रेस छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने अपना राजनीतिक रास्ता खुद बनाने की कोशिश की, फिर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में शामिल हुए, लेकिन कहीं भी बात नहीं बनी। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए और सिरसा से चुनाव लड़ा, हालांकि भाजपा का समर्थन होने के बावजूद उन्हें कांग्रेस की कुमारी सैलजा के सामने हार का सामना करना पड़ा।
अशोक तंवर की यह हार उनके लिए यह संकेत है कि चुनाव में पार्टी समर्थन भी पर्याप्त नहीं होता अगर राजनीति में विश्वास और सही दिशा की कमी हो। अब कांग्रेस में आने के बाद भी वे कहीं के नहीं रहे।
बड़ी चुनौती का सामना कर रहे बृजेंद्र सिंह
हिसार के पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह की स्थिति भी कुछ वैसी ही बनी। बृजेंद्र सिंह ने कांग्रेस में शामिल होकर अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाई, लेकिन उन्हें न तो हिसार से टिकट मिला और न ही सोनीपत से। भाजपा में रहते हुए उनके पास राजनीति में ऊंचे पद पर पहुंचने का मौका था, लेकिन अब वे अपने राजनीतिक करियर में बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। भाजपा ने उनके परिवार को कई राजनीतिक ऊंचाइयों पर पहुंचाया था, लेकिन वे अब खुद हार का सामना कर रहे हैं।
भाजपा के साथ धोखा देने वालों में शामिल रहे रणजीत सिंह चौटाला
अब सबसे बड़ी अप्रत्याशित स्थिति भाजपा के साथ धोखा देने वाले रणजीत सिंह चौटाला की है। इनेलो के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के भाई और पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के छोटे बेटे, रणजीत चौटाला ने पिछला चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीता था और भाजपा सरकार को समर्थन दिया था। वे पांच साल तक बिजली और जेल मंत्री रहे। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल होकर उन्होंने हिसार से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद, जब भाजपा ने उन्हें रानियां से टिकट देने से मना किया, तो उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी। अब उनकी हार के साथ उनके राजनीतिक भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
इन तीनों नेताओं की स्थितियां साबित करती हैं कि पार्टी के समर्थन का मूल्य और अवसर का सही उपयोग करना राजनीति में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
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