हरियाणा में बिजली निगम की घोर लापरवाही, उपभोक्ता को भेजा 355 करोड़ रुपये का बिल
नरेन्द्र सहारण , गन्नौर: Sonipat News: हरियाणा में बिजली निगम की लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। गन्नौर के उमेदगढ़ गांव के रहने वाले उपभोक्ता लवेश गुप्ता को बिजली निगम ने 355 करोड़ रुपये का बिजली बिल भेज दिया। इस भारी-भरकम बिल ने न केवल उपभोक्ता बल्कि पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। इतना भारी बिल देख लवेश गुप्ता दंग रह गए और उन्होंने तुरंत निगम के अधिकारियों से संपर्क किया। उन्होंने निगम से इस त्रुटि को सुधारने की मांग की।
क्या था 355 करोड़ रुपये के बिल में?
25 दिन की बिलिंग साइकिल में लवेश गुप्ता के बिल में कई बड़े शुल्क जोड़े गए थे। इनमें से प्रमुख हैं:
फिक्स चार्ज: ₹33,904
एनर्जी चार्ज: ₹199 करोड़ 49 लाख 72 हजार 648
फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट: ₹14 करोड़ 9 लाख 99 हजार 128
पीएलई चार्ज: ₹134 करोड़ 99 लाख 93 हजार 541
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी: ₹2 करोड़ 99 लाख 99 हजार 814
म्युनिसिपल टैक्स: ₹4 करोड़ 27 लाख 20 हजार 113
इन सभी शुल्कों को मिलाकर कुल ₹355 करोड़ रुपये का बिल उपभोक्ता को थमाया गया।
निगम की तकनीकी त्रुटि का खुलासा
गन्नौर सब-डिवीजन के सिटी एसडीओ सचिन दहिया ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक तकनीकी त्रुटि के कारण हुआ। उन्होंने बताया कि यह समस्या उन उपभोक्ताओं में आई, जिन्होंने हाल ही में अपने बिजली लोड को बढ़वाया था। इस त्रुटि का असर 16 उपभोक्ताओं के बिलों पर पड़ा था। हालांकि, सभी बिलों को ठीक कर दिया गया है, और संबंधित उपभोक्ताओं को सूचित भी किया गया है।
78 लाख का बिल बना 723 रुपये का
यह कोई पहला मामला नहीं है जब हरियाणा बिजली निगम की लापरवाही सामने आई है। एक अन्य घटना में, बसंत विहार की निवासी सरोज बाला को पहले ₹78 लाख 16 हजार 100 का बिजली बिल भेजा गया। इसमें दो दिनों में 9,99,322 यूनिट बिजली खपत दिखाई गई थी, जो किसी भी घरेलू उपभोक्ता के लिए असंभव है।
सरोज बाला के इस बिल में शामिल शुल्क इस प्रकार थे
फ्यूल सरचार्ज एडजस्टमेंट: ₹4,69,681
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी: ₹99,932
म्युनिसिपल टैक्स: ₹1,51,297
सरोज बाला के बेटे और पेशे से अधिवक्ता विकास गुप्ता ने इस मामले की शिकायत की। उनकी शिकायत के बाद निगम ने बिल को संशोधित कर ₹723 रुपये का बिल जारी किया।
बिजली निगम की लापरवाह प्रणाली
बिजली निगम की यह लापरवाही उपभोक्ताओं के लिए बड़ा सिरदर्द बन रही है। उपभोक्ताओं का कहना है कि उन्हें भारी-भरकम बिल देखकर मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। बिजली विभाग की ऐसी गलतियां न केवल उपभोक्ताओं का समय और ऊर्जा बर्बाद करती हैं, बल्कि उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती हैं।
प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता
इस प्रकार की घटनाओं ने बिजली निगम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि निगम को अपनी बिलिंग प्रणाली को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाना चाहिए। यदि ऐसी समस्याओं का समाधान तुरंत न किया जाए, तो यह लोगों के बीच असंतोष और प्रशासन पर अविश्वास बढ़ा सकता है।
सरकार और विभाग का रुख
इन मामलों के बाद यह देखना होगा कि बिजली विभाग अपनी प्रणाली में सुधार के लिए क्या कदम उठाता है। उपभोक्ताओं को उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी त्रुटियां न हों और निगम की प्रणाली को अधिक भरोसेमंद बनाया जाए।
हरियाणा बिजली निगम की इन गलतियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तकनीकी और प्रशासनिक प्रणाली में सुधार की अत्यंत आवश्यकता है। उपभोक्ताओं को सही बिल और सेवाएं प्रदान करने के लिए निगम को अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेना चाहिए। जब तक यह नहीं होता, ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का कारण बनी रहेगी।
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