Haryana News: अरविंद केजरीवाल के बयान पर हरियाणा सरकार का कड़ा एक्शन: आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस दर्ज

नरेन्‍द्र सहारण,  चंडीगढ़: Haryana News: हरियाणा सरकार ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विवादास्पद बयान पर सख्त संज्ञान लिया है, जिसमें उन्होंने यमुना नदी के पानी में जहर मिलाने का आरोप लगाया था। सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 2-डी और 54 के तहत सोनीपत के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में केजरीवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने यह जानकारी देते हुए पुष्टि की कि केजरीवाल के खिलाफ आपराधिक धाराओं में भी मामला दर्ज किया जा रहा है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 2-डी में आपदा की परिभाषा दी गई है, जबकि धारा 54 झूठी चेतावनी जारी करने से संबंधित है। इस अधिनियम के तहत यदि कोई व्यक्ति झूठी अफवाह फैलाता है, तो उसे एक साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति की झूठी जानकारी की वजह से दूसरे को नुकसान पहुंचता है तो उस व्यक्ति के लिए दो साल तक की सजा का प्रावधान भी है। चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, विपुल गोयल ने कहा कि केजरीवाल का बयान न केवल बेतुका है, बल्कि लोगों को भ्रमित करने का प्रयास भी है। उन्होंने कहा कि ऐसे घटिया और गैर-जिम्मेदाराना बयानों के लिए चुनाव आयोग भी केजरीवाल के खिलाफ कड़े कदम उठाएगा।

हरियाणा की जनता में भी भय फैलाने का काम

 

गोयल ने जोर दिया कि दिल्ली को आपूर्ति किया जा रहा पानी वही है, जिसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री भी पीते हैं। केजरीवाल ने जिस प्रकार का बयान दिया, उससे न केवल दिल्ली बल्कि हरियाणा की जनता में भी भय फैलाने का काम किया है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार ने यमुना को साफ करने में पूरी तरह से विफलता का सामना किया है और चुनाव में अपनी छवि को बचाने के लिए उन्होंने हरियाणा की जनता पर शर्मनाक और निराधार आरोप लगाए हैं।

मिथ्या प्रचार

 

हरियाणा की जनता यमुना नदी को आराध्य मानती है, और इस प्रकार के मिथ्या प्रचार न केवल हरियाणा का अपमान है, बल्कि दिल्ली के लोगों को गुमराह करने की साजिश भी है। विपुल गोयल ने यह स्पष्ट किया कि केजरीवाल का दावा है कि उन्होंने कथित ‘जहरीले पानी’ को दिल्ली में आने से रोक दिया, लेकिन उनके पास इस दावे का कोई प्रमाण नहीं है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने भी इस दावे की वास्तविकता के बारे में जानकारी मांगी है।

मंत्री ने बताया कि दिल्ली के सत्रह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स में से केवल 17 ही कार्यात्मक हैं, और यही बात दिल्ली सरकार की अक्षमता और यमुना नदी की बिगड़ती स्थिति को दर्शाता है। इस कुप्रबंधन का असर केवल दिल्ली के लोगों पर नहीं, बल्कि हरियाणा के फरीदाबाद, पलवल, सोनीपत और नूंह जिलों के लोगों पर भी पड़ रहा है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में कुल 11 अध्याय और 79 धाराएं हैं। इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) का गठन किया गया है। एनडीएमए की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं, जबकि एसडीएमए की अध्यक्षता संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री करते हैं। यदि कोई व्यक्ति आपदा या उसकी गंभीरता के बारे में झूठी चेतावनी देता है तो इसके लिए सख्त दंड का प्रावधान है। झूठी बयानबाजी और दहशत फैलाने के मामले में भी उचित सजा का प्रविधान है।

राजनीतिक संघर्ष और तगड़ा हो सकता है

 

इस मामले में अब अदालत सुनवाई करेगी और तय करेगी कि केजरीवाल के खिलाफ दायर मामले में क्या कार्रवाई की जाएगी। आने वाले समय में इस स्थिति को लेकर राजनीतिक संघर्ष और तगड़ा हो सकता है क्योंकि दोनों पक्ष एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। हरियाणा सरकार का मानना है कि यह मामला केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि यह राज्य के लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।

इस घटनाक्रम ने दो राज्यों के बीच राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल कैसे इस चुनौती का सामना करते हैं और क्या उनके खिलाफ दायर किया गया मामला उन्हें चुनावी रणनीति में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना कराता है। हरियाणा की जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी और इस विवाद में उनकी स्थिति राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

अंत में, यह कहना उचित होगा कि ऐसे बयानों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, जो समाज में डर और भय फैलाने का काम करते हैं। लोकतंत्र में स्वस्थ बहस और संवाद ही प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए। इसके साथ ही, सरकार को भी चाहिए कि वह सही जानकारी देकर जनता को गुमराह होने से बचाए, ताकि किसी भी प्रकार की भ्रामक जानकारियों से समाज में विद्वेष न फैले।

 

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