Haryana News: सरकारी नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार के अतिरिक्त अंकों पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी हरियाणा सरकार

नायब सैनी।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana News: सरकारी नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले अतिरिक्त अंकों पर हाई कोर्ट की रोक के खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सरकार के पक्षकारों का तर्क है कि हाई कोर्ट के फैसले का असर उन गरीब परिवारों पर पड़ेगा जिनके घर में कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी पर नहीं है और जिन्हें भर्तियों में सरकार सामाजिक-आर्थिक आधार के अतिरिक्त अंक देकर सक्षम बनाना चाहती है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि ‘समाज के गरीब, कमजोर और वंचित वर्ग को आगे लाने के लिए अतिरिक्त पांच नंबर देने की एक महत्वाकांक्षी योजना हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई थी। इसके विरुद्ध हाई कोर्ट ने निर्णय दिया और इसे निरस्त कर दिया। हरियाणा सरकार के नाते हम संवैधानिक और कानूनी प्रक्रियाओं के तहत इस लड़ाई को जारी रखेंगे और माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। गरीबों, कमजोर और वंचितों को न्याय दिलाने की यह लड़ाई हरियाणा सरकार अंतिम विकल्प तक लड़ती रहेगी। ‘वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक्स हेंडल पर लिखा है कि ‘हम अंत्योदय के संकल्प को लेकर चले थे और इस संकल्प को पूरा करने के लिए ही समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े और कमजोर वर्गों के अतिरिक्त पांच अंक देने की योजना बनाई गई थी, जिसे हाई कोर्ट द्वारा रद कर दिया गया है। कानून की अपनी प्रक्रिया और मर्यादाएं हैं। मैं हरियाणा परिवार के उन सभी गरीब और कमजोर वर्ग को यह विश्वास दिलाता हूं कि जिन्हें इस योजना का लाभ मिला था, उन्हें न्याय दिलाने के लिए हम हमेशा साथ खड़े रहेंगे।’

प्रदेश सरकार ने बिजली निगमों में सहायक अभियंता की भर्ती में सामाजिक-आर्थिक मानदंड के 20 अंक, तृतीय श्रेणी की भर्तियों में साढ़े सात अंक (सीईटी में पांच और नोलेज टेस्ट में 2.5) और चतुर्थ श्रेणी पदों की भर्ती में 10 अंक देने का प्रविधान किया हुआ है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सामाजिक-आर्थिक मानदंड के अंक देने की सरकार की नीति को समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए रद कर दिया है।

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टीजीटी के 7471 पदों की भर्ती भी बेअसर

 

एडवोकेट जनरल कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक खंडपीठ के सामने दो मामले थे। पहला मामला तृतीय श्रेणी में सीईटी (सामान्य पात्रता परीक्षा) स्कोर को सिंगल बेंच द्वारा रद करने के फैसले के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की अपीलों और दूसरा मामला सामाजिक-आर्थिक मानदंड के अंकों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का था। खंडपीठ ने सामाजिक-आर्थिक मानदंड के अंक देने की नीति को निरस्त कर दिया है। इसके अलावा एचएसएससी की तरफ से दायर अपीलें भी रद हो गई हैं। अब ग्रुप सी के लिए सीईटी का स्कोर सिर्फ प्राप्त अंकों के आधार पर बनेगा। इसमें सामाजिक-आर्थिक मानदंड के अंक नहीं जुड़ेंगे। ग्रुप सी पदों पर नालेज टेस्ट दोबारा होगा। इसी तरह ग्रुप डी के सीईटी में सामाजिक-आर्थिक आधार के अंक नहीं जुड़ेंगे। चूंकि ग्रुप डी का रिजल्ट बिना सामाजिक-आर्थिक मानदंड के अंकों के घोषित हुआ है, इसलिए चयनित युवाओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। टीजीटी के 7471 पदों का रिजल्ट घोषित करने में भी कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि इसमें सामाजिक-आर्थिक मानदंड के अंक नहीं जुड़ेंगे। एक्सपीरियंस का मामला भी इन्हीं नंबरों से जुड़ा था। ग्रुप सी के जो उम्मीदवार नियुक्त हुए हैं, वे तब तक नौकरी पर बने रहेंगे, जब तक कि दोबारा रिजल्ट जारी नहीं हो जाता।

 

 

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