Haryana LS Results 2024: जानें कैसे हरियाणा में लोकसभा चुनाव में कम मतदान को फायदेमंद मान रही भाजपा कांग्रेस को गांवों में सत्ता विरोधी मतों का लाभ मिलने की आस
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana LS Results 2024: हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान इस बार एक अलग ही तरह का खेल देखने को मिला। कहा जा रहा है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से विपक्षी दलों ने अपने सोच वाले कुछ अधिकारियों एवं कर्मचारियों का जमकर दुरुपयोग किया। सरकार में उच्च पदों पर बैठे इन अधिकारियों एवं निचले स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों ने लोगों की बुढ़ापा पेंशन जारी नहीं की। इसके पीछे सोच यही थी कि जब लोगों को समय से पेंशन नहीं मिलेगी तो वह आक्रोश स्वरूप सत्तारूढ़ दल भाजपा के उम्मीदवारों के विरुद्ध मतदान करेंगे। राजनीतिक साजिश सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रही। शहरी निकाय विभाग की ओर से सैकड़ों दुकानदारों को ऐसे नोटिस जारी कर दिए गए, जिसमें यह संदेश था कि आपने गलत ढंग से दुकानें खोल रखी हैं। यदि उन्हें बंद नहीं किया तो कानूनी कार्रवाई हो सकती है और जुर्माना भी लग सकता है।
लोगों को तंग, उत्पीड़ित एवं प्रताड़ित किया गया
पेंशन नहीं मिलने और दुकानें बंद करने के नोटिस मिलने से परेशान लोग जब भाजपा उम्मीदवारों के पास पहुंचे तो उस समय इसे सरकारी सिस्टम की खामी मान लिया गया। इसकी खोज खबर लेने पर प्रशासनिक सचिवों ने बताया गया कि जल्दी ही पेंशन जारी हो जाएगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। चुनाव आचार संहिता में स्पष्ट प्रविधान है कि यदि किसी सरकारी योजना का लाभ पहले से मिल रहा है तो उसे चुनाव के दौरान रोका नहीं जा सकेगा। वह निरंतर मिलता रहेगा। राज्य के मुख्य सचिव ने चुनाव आचार संहिता लगने से पहले प्रशासनिक सचिवों को यह स्पष्ट आदेश दिया था कि राज्य में किसी भी व्यक्ति को अनावश्यक तंग नहीं किया जाएगा। मगर न केवल तंग, बल्कि उन्हें उत्पीड़ित एवं प्रताड़ित करने की भी बात सामने आ रही है।
विपक्ष की राजनीतिक साजिश का हिस्सा
प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर 25 मई को हुए मतदान के बाद जब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने समीक्षा बैठक की तो उसमें कहा गया कि लोगों तक पेंशन नहीं पहुंचना और दुकानें बंद करने के नोटिस जारी करना विपक्ष की राजनीतिक साजिश का हिस्सा था। इसमें शामिल अधिकारियों को चिह्नित किया जा चुका है और राज्य चुनाव आयोग के पास उनकी शिकायत भेज दी गई है। कहा जा रहा है कि चार जून को मतगणना के बाद ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध सरकार अपने स्तर पर तो कार्रवाई करेगी ही, साथ ही चुनाव आयोग से भी कड़ी कार्रवाई का आग्रह करेगी। भाजपा उम्मीदवारों की समीक्षा बैठक में भी कुछ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों द्वारा कोई सहयोग नहीं किए जाने का मुद्दा उठा।
प्रशासनिक असहयोग की तैयार होगी लिस्ट
बैठक में कहा गया कि रैलियों की मंजूरी नहीं दी गई। हेलीकाप्टर उड़ाने एवं लैंड कराने के समय पर सवाल उठाए गए। सभी भाजपा उम्मीदवारों से कहा गया है कि वे चुनाव में आई बाधाओं एवं प्रशासनिक असहयोग की पूरी लिस्ट बनाकर दें, ताकि इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में ऐसे षड्यंत्र का सामना न करना पड़े।
जीत का अंतर कम होगा, लेकिन भाजपा जीत हासिल करेगी
राज्य में इस बार पिछले चुनाव में हुए 70 प्रतिशत मतदान की अपेक्षा 65 प्रतिशत मतदान हुआ है। भाजपा कम मतदान प्रतिशत को अपने पक्ष में मान रही है। उसकी दलील है कि विश्लेषक अधिक मतदान को सत्ता विरोधी लहर के रूप में गिनते हैं। ऐसे में कम मतदान भाजपा उम्मीदवारों की जीत की तरफ इशारा कर रहा है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। करनाल से संजय भाटिया और फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर देश के उन तीन सांसदों में शामिल थे, जिन्होंने सबसे अधिक मतों के अंतर यानी साढ़े छह लाख मतों से जीत हासिल की थी। भाजपा के रणनीतिकारों का समीक्षा बैठक में मानना था कि इस बार जीत का अंतर कम होगा, लेकिन पार्टी जीत हासिल करेगी। रोहतक और सिरसा दो लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा की जीत का अंतर काफी कम हो सकता है, लेकिन बाकी आठ सीटों पर ठीक मार्जिन से भाजपा चुनाव जीत सकती है।
कम मतदान सत्ता विरोधी लहर का नतीजा: कांग्रेस
वहीं कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि कम मतदान सत्ता विरोधी लहर का नतीजा है। पूरे प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के स्टार प्रचारक के रूप में घूमे। रोहतक में उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा एवं सिरसा में पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने चुनाव लड़ा। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत का अंतर काफी और बाकी कुछ सीटों पर कम हो सकता है। भाजपा के साथ साझीदार रही जननायक जनता पार्टी एवं इंडियन नेशनल लोकदल ने यह लोकसभा चुनाव औपचारिकता में लड़ा है। यदि इनेलो को छह प्रतिशत वोट नहीं मिले तो उसके चुनाव चिह्न ऐनक के छीनने का खतरा पैदा हो सकता है।
भाजपा एवं कांग्रेस के अपने- अपने दावे
ऐसे में मुख्य मुकाबला भाजपा एवं कांग्रेस में रहा है। भाजपा का दावा है कि गांवों में कुल वोटिंग का 70 प्रतिशत वोट उसके उम्मीदवारों को मिला है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि गांवों में भाजपा के विरुद्ध वोट पड़े हैं, जो उसे मिले हैं। भाजपा के रणनीतिकारों के अनुसार गांवों में भाजपा को वोट देने वाला वह वर्ग है, जो गरीब कल्याण की योजनाओं से लाभान्वित हुआ है, जिन्हें तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की पारदर्शी नौकरियां मिली हैं, जिनके खाते में सरकारी योजनाओं का लाभ और धन आया है। वहीं कांग्रेस के रणनीतिकारों की दलील है कि गांवों में किसानों एवं वर्ग विशेष ने भाजपा की अनदेखी करते हुए कांग्रेस को वोट दिए हैं। कुछ मिलकार चार जून के चुनाव नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, जो प्रदेश में भविष्य की राजनीतिक दिशा तय करेंगे।
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