Haryana News: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में एमएसपी की गारंटी का मुद्दा एक बार फिर गरम

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ः  हरियाणा के विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का मुद्दा एक बार फिर गरम है। लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे ने राजनीतिक दलों के समीकरण बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई है।

एमएसपी का कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलनरत किसान संगठनों को कांग्रेस, इनेलो और आम आदमी पार्टी हवा दे रही हैं तो सत्तारूढ़ भाजपा और साढ़े चार साल सरकार में भागीदार रही जजपा किसानों के लिए किए काम गिना रही हैं।

फसलों पर एमएसपी बढ़िया पर गारंटी भी मिले

एमएसपी की गारंटी में छिपी वोटों की चांदी तलाश रहे राजनीतिक दलों से परे किसान संगठनों का अपना अलग गणित है। वे फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के सत्तारूढ़ भाजपा के फैसले का स्वागत तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही एमएसपी की गारंटी भी चाहते हैं।

यह अलग बात है कि हरियाणा देश में एकमात्र ऐसा राज्य है, जो अब सभी 24 फसलों की एमएसपी पर खरीद कर रहा है। राज्य में 14 फसलें कई साल पहले से एमएसपी पर खरीदी जा रही थी और 10 फसलें एमएसपी पर खरीदने की घोषणा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हाल फिलहाल की है।

हरियाणा में 14 फसलों की खरीदी एमएसपी पर हो रही

हरियाणा में सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा जिन 14 फसलों की खरीद एमएसपी पर हो रही है, उनमें गेहूं, चावल, सरसों, जौ, चना, धान, मक्का, बाजरा, कपास, सूरजमुखी, मूंग, मूंगफली, अरहर और उड़द हैं। पांच अगस्त को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने 10 और फसलों रागी, सोयाबीन, काला तिल (नाइजर सीड), कुसुम, जौ, मक्का, ज्वार, जूट, खोपरा और मूंग (समर) की एमएसपी पर खरीदने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है।

10 फसलों की एमएसपी और खरीदी होगी

इस संबंध में राज्यपाल की ओर से अध्यादेश जारी कराया जा चुका है, जिसके बाद कुल 24 फसलों की खरीद एमएसपी पर होगी। हालांकि किसान संगठनों का जोर फसलों की एमएसपी पर खरीद का कानून बनाने पर है ताकि खुले बाजार में भी फसलों का न्यूनतम दाम मिलना सुनिश्चित हो सके। साथ ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट भी किसान संगठन लागू कराना चाहते हैं।

हरियाणा में साढ़े 16 लाख किसान कर रहे खेती

हरियाणा में करीब साढ़े 16 लाख किसान हैं जिनके पास 36 लाख 46 हजार हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है। कुल कृषि योग्य भूमि में से 67.58 प्रतिशत सीमांत और छोटे किसानों की है। जिन किसानों के पास ढाई एकड़ तक जमीन है, उन्हें सीमांत किसान के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ढाई एकड़ से पांच एकड़ जमीन के मालिकों को छोटे किसान कहा जाता है। प्रदेश में कुल 7.78 लाख (48.11 प्रतिशत) सीमांत किसानों के पास 3.60 लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है और 3.15 लाख (19.47%) छोटे किसानों के पास 4.63 लाख हेक्टेयर है।

शंभू बार्डर पर छह महीने से डटे किसान

बड़ी संख्या में किसान 13 फरवरी से शंभू बार्डर पर डटे हुए हैं। दिल्ली कूच के लिए निकले पंजाब के किसानों को शंभू और खनौरी बार्डर पर रोक दिया गया था, जिसके बाद पुलिस और किसानों की झड़प में एक किसान की मौत हो गई और कई घायल हुए। अब सुप्रीम कोर्ट शंभू बार्डर को आंशिक रूप से खाेलने का आदेश दे चुका है। मामले के समाधान के लिए कमेटी बनाने को लेकर हरियाणा और पंजाब सरकार अपनी तरफ से विशेषज्ञों के नाम कोर्ट को सौंप चुके हैं।

किसानों के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं : नायब सैनी

पिछले दस वर्षों में केंद्र और हरियाणा की भाजपा सरकार ने किसानों के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। किसान सम्मान निधि, खराबे का पूरा मुआवजा, बिचौलिया सिस्टम खत्म कर किसानों के खाते में सीधे भुगतान सहित अन्य योजनाओं से किसान खुशहाल हुए हैं।

हरियाणा अकेला ऐसा प्रदेश हैं जहां 14 फसलों की खरीद हमने एमएसपी पर शुरू की और आगे 24 फसलों की खरीद एमएसपी पर की जाएगी। जहां तक आंदोलनरत किसानों की बात है, उनका एक विशिष्ट वर्ग है, जिनकी अपनी विचारधारा है। मामले में राजनीति कर रहे विपक्षी दल बताएं कि जिन राज्यों में उनकी सरकार है, वहां किसानों को क्या सुविधाएं दे रहे हैं।

भाजपा के राज में खून के आंसू रो रहे किसान : हुड्डा

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते किसानों को कर्ज माफी, बिजली बिल माफी और एमएसपी दी, लेकिन भाजपा ने उन्हें लाठी, डंडे और गोलियां दी। तत्कालीन प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह की सरकार में मुख्यमंत्रियों की समिति के अध्यक्ष के रूप में मैंने 15 दिसंबर 2010 को केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कृषि कानूनों में सुधार की जरूरत बताते हुए उन्हें तत्काल लागू करने की बात कही थी, लेकिन भाजपा की सरकार ने किसानों के हितों के उलट काम किया। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आज तक लागू नहीं हुई। भाजपा के राज में किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं।

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