Haryana News: महाबीर सिंह गुड्डू ने हरियाणवी संस्कृति को दिलाई पहचान, पद्मश्री अवॉर्ड पर मुख्यमंत्री समेत कई लोगों ने दी बधाई - Bharat New Media

Haryana News: महाबीर सिंह गुड्डू ने हरियाणवी संस्कृति को दिलाई पहचान, पद्मश्री अवॉर्ड पर मुख्यमंत्री समेत कई लोगों ने दी बधाई

नरेन्द्र सहारण, जींद। Haryana News: हरियाणा की संस्कृति को देश-विदेश में पहचान दिलाने वाले प्रदेश के लोक कलाकार महावीर सिंह गुड्डू को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना है। इसके बाद प्रदेश का नाम रौशन करने के लिए महावीर गुड्डू को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उप मुख्यमंत्री दुष्यतं चौटाला व कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बधाई दी। महावीर सिंह गुड्डू ने बताया कि उनके पास 24 जनवरी की शाम को 4 बजे मंत्रालय से फोन आया था कि उनको पद्मश्री अवार्ड देने के लिए नामित किया गया है। वह ऑफिशियल लिस्ट का इंतजार करते रहे, इसलिए उन्होंने किसी के सामने इस बात का खुलासा नहीं किया। गुड्डू ने बताया कि बधाई के लिए उनके पास मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उपमुख्यमंत्री और कृषि मंत्री का भी फोन आया था। उन्होंने बताया कि इस अवॉर्ड के लिए प्रदेश सरकार ने उनके नाम की सिफारिश की थी।

देश-विदेश में अलग पहचान रखता है बम लहरी

 

आपको बात दें कि जींद निवासी पद्मश्री महावीर सिंह गुड्डू हरियाणवी संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले कलाकार हैं। लोक कला के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्होंने शिव गायन और बम लहरी को पहली बार कॉलेजों के मंच पर जगह दी। धोती-कुर्ता में एकल हरियाणवी नृत्य की शुरुआत भी महावीर गुड्डू ने की। उनकी कला को देखते हुए उन्हें हिसार डिवीजन के मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर का एडिशनल डायरेक्टर नियुक्त किया गया। वे जींद जनपद के गंगोली गांव के रहने वाले हैं। वह शिक्षा विभाग में प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त हैं। 50 साल साल से भी अधिक समय से प्रस्तुति दे रहे हैं। उनका गाया हुआ हरियाणवी संस्कृति का बम लहरी हरियाणा ही नहीं, देश-विदेश में अलग पहचान रखता है। नाहर सिंह की वीर गाथा को सैकड़ों बार मंचों पर गाकर युवाओं में देशभक्ति का जोश भर चुके हैं।

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हरियाणवी संस्कृति का किया प्रसार

आपको बता दें कि शिव गायन को पहले साधु संत गाते थे, लेकिन महावीर गुड्डू ने धोती, कुर्ता और खंडका पहनकर मंच पर शिव गायन की शुरुआत की। इसी तरह बम लहरी को जंगम जोगी गलियों और मेलों में गाते थे। इसको भी उन्होंने मंच पर जगह दी। गुड्डू ने विलुप्त प्राय घोड़ा नाच को भी अपने साथियों के साथ मिल कर नया आयाम दिया। उन्होंने धोती-कुर्ता पहनकर पहली बार मर्दाना डांस की शुरुआत की। देश विदेश में हरियाणवी आर्केस्ट्रा के कई शो किए। इसमें गांव के कलाकारों को शामिल किया गया। महाबीर गुड्डू ने नाहर सिंह की वीर गाथा के अलावा चौ. देवीलाल, पंडित लख्मीचंद, चौ. रणबीर सिंह, चौ. छोटूराम की जीवन गाथा भी गाई है।

कई पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित

 

महावीर गुड्डू ने देश के साथ-साथ विदेश में भी हरियाणवी संस्कृति और कला का जलवा बिखेरा है। उनके कार्यक्रम अमेरिका के न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी में हुए हैं। ब्रिटेन के लंदन में भी उन्होंने कला की प्रस्तुति दी। हरियाणा सरकार भी उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित कर चुकी है। उन्हें हरियाणा सरकार ने 2010 में पंडित लख्मीचंद राज्य पुरस्कार और 2014 में हरियाणा कला रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्हें 2019 में पंडित लख्मीचंद शिक्षा एवं संस्कृति पुरस्कार मिला। पिछले साल उन्हें भारत सरकार के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया।

 

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