Haryana News: अयोग्य नगरपालिका अध्यक्षों और सदस्यों को हटा सकता राज्य चुनाव आयोग, हाई कोर्ट ने लगाई मुहर

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) अधिनियम, 2018 और हरियाणा नगरपालिका (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। इस निर्णय के तहत, हरियाणा राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को नगरपालिका अध्यक्षों और सदस्यों को वैधानिक अयोग्यता के आधार पर हटाने का अधिकार दिया गया है।

इस निर्णय ने करनाल निवासी और नगरपालिका के निर्वाचित अध्यक्ष सतीश कुमार की याचिका को खारिज कर दिया। सतीश कुमार ने इन संशोधनों को चुनौती देते हुए इसे संवैधानिक प्रविधानों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया था। जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने यह फैसला देते हुए हरियाणा राज्य विधानसभा की विधायी क्षमता की पुष्टि की और संशोधन को संविधान सम्मत ठहराया।

संविधान के अनुच्छेद 243 पर आधारित तर्क

 

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि हरियाणा सरकार द्वारा पारित संशोधन संविधान के अनुच्छेद 243 और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय एनपी पोन्नुस्वामी बनाम रिटर्निंग ऑफिसर का उल्लंघन करते हैं। सतीश कुमार ने एसईसी द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस को भी चुनौती दी थी। उनका कहना था कि नोटिस प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और प्रक्रियागत नियमों का पालन किए बिना जारी किया गया था।

अदालत ने इन तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि अनुच्छेद 243 स्पष्ट रूप से राज्य विधानसभाओं को अधिकार देता है कि वे नगर पालिका सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित नियम बना सकते हैं और ऐसे मामलों में निर्णय लेने के लिए एक प्राधिकरण नामित कर सकते हैं।

संशोधन क्यों है संवैधानिक रूप से वैध?

 

हाई कोर्ट ने कहा कि हरियाणा राज्य विधानसभा को ऐसे संशोधन करने का पूरा अधिकार है क्योंकि यह विधायी क्षमता के अंतर्गत आता है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि संशोधन संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत राज्य विधानसभाओं को प्राप्त अधिकारों के अनुरूप है।

अदालत ने कहा कि नगरपालिका जैसे निकायों में लोकतांत्रिक अखंडता बनाए रखने के लिए वैधानिक उपाय आवश्यक हैं। राज्य चुनाव आयोग को अयोग्यता के मामलों में निर्णय लेने का अधिकार देना संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता है। यह अधिकार इस उद्देश्य से दिया गया है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों की पात्रता और उनकी जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

एसईसी के अधिकारों पर अदालत की मुहर

 

हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को वैधानिक अयोग्यता के आधार पर निर्णय लेने का अधिकार पूरी तरह संवैधानिक ढांचे के अनुरूप है। अदालत ने कहा कि एसईसी का यह अधिकार न केवल संवैधानिक है, बल्कि लोकतंत्र की पारदर्शिता और अखंडता को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।

याचिकाकर्ता के तर्क खारिज

 

याचिकाकर्ता सतीश कुमार ने यह भी दावा किया था कि हरियाणा नगरपालिका संशोधन अधिनियम प्रक्रियात्मक न्याय और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। इसके जवाब में अदालत ने स्पष्ट किया कि एसईसी द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए जारी किया गया था।

अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि की अयोग्यता से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए राज्यों को उचित वैधानिक उपाय करने का अधिकार है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसा कोई कानून संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए इसे लागू करना आवश्यक है।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बनाए रखने की जरूरत

 

हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि इस तरह के संशोधन लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और अखंडता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। निर्वाचित प्रतिनिधियों की अयोग्यता के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार एसईसी को देने से यह सुनिश्चित होता है कि प्रतिनिधियों की जवाबदेही बनी रहे।

कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान राज्यों को चुनावी विवादों और अयोग्यता के मुद्दों से निपटने के लिए उपाय अपनाने की अनुमति देता है। संशोधित अधिनियम न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती देता है, बल्कि स्थानीय निकायों के प्रशासन में अनुशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

महत्वपूर्ण फैसला और संभावित प्रभाव

 

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का यह फैसला हरियाणा नगरपालिका संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को लेकर उठे सवालों पर विराम लगाता है। यह निर्णय न केवल राज्य चुनाव आयोग की भूमिका को मजबूत करता है, बल्कि राज्य विधानसभा की विधायी क्षमता पर भी जोर देता है।

यह फैसला भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है, जहां स्थानीय निकायों के प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए इसी तरह के वैधानिक उपायों की आवश्यकता हो।

हरियाणा नगरपालिका संशोधन अधिनियम, 2018 और 2019 पर हाई कोर्ट का यह निर्णय स्थानीय निकाय प्रशासन में सुधार और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला इस बात का प्रमाण है कि संवैधानिक ढांचे के भीतर रहकर राज्य सरकारें अपने प्रशासनिक तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक कदम उठा सकती हैं।

 

VIEW WHATSAAP CHANNEL

भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi  के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्‍शन

You may have missed