Haryana News: IPS की सम्मानित अधिकारी स्मिति चौधरी का आकस्मिक निधन: जीवन यात्रा, परिवार और संघर्ष की कहानी

इस तस्वीर में स्मिति चौधरी (बाएं) पति राजेश कुमार (दाएं) के साथ हैं।

नरेंद्र सहारण, जींद : Haryana News: 27 जून, 2025 का दिन भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए एक बहुत ही दुखद घटना लेकर आया। हरियाणा की प्रतिष्ठित महिला IPS अधिकारी 48 वर्षीय स्मिति चौधरी का निधन हो गया। उन्हें लिवर की गंभीर बीमारी के कारण अंतिम सांस लेने का मौका मिला। वह अपने पति महाराष्ट्र पुलिस में IG राजेश कुमार के पास नासिक में थीं जहां उन्होंने अंतिम क्षण बिताए। यह खबर पूरे प्रदेश और देश में शोक की लहर दौड़ा गई है, क्योंकि स्मिति चौधरी ने अपने जीवन में न केवल एक सफल अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि उनके जीवन की कहानी भी प्रेरणादायक है।

जींद जिले के डूमरखां कलां गांव में जन्म

 

स्मिति चौधरी का जन्म 15 अगस्त, 1976 को हरियाणा के जींद जिले के डूमरखां कलां गांव में हुआ था। उनके जन्म के साथ ही उनके परिवार में एक नई उम्मीद जगी। उनके परिवार का इतिहास भी गौरवमयी है। उनके दादा, बसंत चौधरी आठवीं तक पढ़े थे लेकिन उनके बेटे-बेटियों ने उच्च शिक्षा हासिल कर अपने-अपने क्षेत्र में सफलता का परचम लहराया।

परिवार का पृष्ठभूमि और शिक्षा

स्मिति के घर में शिक्षा को बहुत महत्व दिया गया। उनके बड़े भाई रामकुमार जिन्होंने श्योकंद कॉलेज से प्रोफेसर की सेवा की और उनकी पत्नी जयवंती श्योकंद IAS अधिकारी रहीं हैं। रामकुमार का बेटा यशेंद्र IAS अधिकारी हैं, जबकि स्मिति IPS अधिकारी थीं।

उनके परिवार में दूसरी पीढ़ी के भी अधिकारी हैं। उनके दूसरे बेटे स्वर्गीय सज्जन कुमार हरियाणा राज्य उपभोक्ता सहकारी थोक भंडार संघ (कॉन्फेड) के जनरल मैनेजर रहे। उनकी पत्नी कृष्णा डिप्टी डीईओ रहीं हैं। तीसरे बेटे, वीरेंद्र सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर थे, जबकि चौथे बेटे गजेंद्र सिंह सेना से कर्नल रिटायर्ड हैं और पायलट भी रह चुके हैं।

स्मिति की बहनों में से एक कृष्णा रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं, जिन्होंने अपने पति रघुबीर पंघाल के साथ शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है। कृष्णा की बेटी दया पंघाल ईटीओ हैं और बेटा विक्रम डॉक्टर है।

सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों का पालन

 

सभी परिवार के सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के साथ-साथ सामाजिक मूल्यों का भी पालन करते हैं। उनका मानना है कि परिवार का समर्थन और शिक्षा ही जीवन में सफलता का मुख्य आधार है। यह परिवार का संस्कार और उनके जीवन के अनुभव ही उनके व्यक्तित्व का आधार हैं।

शादी और परिवार

स्मिति चौधरी ने 1998 में अपनी शादी भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी राजेश कुमार से की। उस समय उनकी मां जयवंती श्योकंद कैथल की डीसी (डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर) थीं। उनकी शादी का आयोजन उनके ही घर के डीसी आवास में हुआ जो उस समय एक विशेष अवसर था।

पति-पत्नी का संबंध और बच्चे

 

स्मिति और राजेश की शादी के बाद, उनके दो बच्चे हुए। बड़ी बेटी MBBS की पढ़ाई कर रही है और बेटा अभी स्कूल में है। दोनों बच्चे महाराष्ट्र में ही अपने पिता के पास रह रहे हैं। यह परिवार अपनी सफलता और समर्पण के लिए जाना जाता है।

सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान

 

स्मिति की ससुराल गढ़ी गांव कैथल में है। वहां परिवार के लोग उनकी और उनके पति की सफलता का गर्व से उल्लेख करते हैं। उनके ससुर दीनानाथ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में लाइब्रेरियन थे और उनकी माता चंद्रपति हाउस वाइफ थीं।

जीवन संघर्ष और सेवा: एक अधिकारी का जीवन

 

स्मिति चौधरी का जीवन संघर्षपूर्ण रहा लेकिन उन्होंने अपने कर्तव्य, समाज सेवा और परिवार की जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाए रखा। अपने करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनीं। उनकी कार्यशैली, ईमानदारी और समर्पण की कहानी आज भी लोगों के लिए एक मिसाल है। उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

स्वास्थ्य की समस्या और निधन

 

वह लिवर की बीमारी से जूझ रही थीं। इस गंभीर स्थिति में वह अपने पति के पास नासिक में थीं। वहां,मेडिकल टीम की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था, लेकिन उनकी स्थिति गंभीर हो गई। 27 जून को जब उन्होंने अंतिम सांस ली तो पूरे शोक की लहर दौड़ गई। उनका निधन न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। स्मिति की ससुराल गढ़ी गांव के लोगों का कहना है कि वह एक सरल, मिलनसार और कर्तव्यनिष्ठ महिला थीं।

संबंध और सामाजिक सम्मान

 

उनके पति राजेश कुमार महाराष्ट्र पुलिस में IG के पद पर हैं। उनके परिवार का मानना है कि स्मिति ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और अपनी मेहनत से एक मिसाल कायम की। उनके ससुर राकेश नूंह में जिला पंचायत अधिकारी हैं।

गांव के लोग और सम्मान

 

गांव में उनके परिवार का सम्मान बहुत ऊंचा है। जब भी कभी गांव में कोई विवाद होता, तो उनका परिवार सुलह कराता। उनके परिजन मानते हैं कि स्मिति की सरलता, ईमानदारी और सेवा भावना ही उन्हें अलग बनाती थी।

स्मिति चौधरी का जीवन और प्रेरणा

 

स्मिति चौधरी का जीवन संघर्ष और सफलता का प्रतीक है। उन्होंने अपने कार्यकाल में न केवल एक महिला के रूप में, बल्कि एक आदर्श अधिकारी के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनका जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाइयों से हार मानना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें पार कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। उनका संघर्ष और सेवा भावना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

एक अपूरणीय क्षति

 

स्मिति चौधरी का निधन एक अपूरणीय क्षति है लेकिन उनका जीवन और उनके कार्य सदैव स्मृति में रहेंगे। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयों का सामना दृढ़ता और साहस से करना चाहिए। उनके परिवार और समाज के लिए वह एक प्रेरणा के रूप में रहेंगे, जिन्होंने अपने जीवन में संघर्ष किया और सफलता हासिल की। उनकी स्मृति में हम उनके आदर्शों और उनके योगदान को याद करते हुए यह संकल्प लें कि हम भी अपने जीवन में ईमानदारी, मेहनत और सेवा भावना को अपनाएंगे।

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