Haryana News: हरियाणा के सीएम हाउस और सचिवालय पर फिदायीन हमले की धमकी, प्रदेश भर में सिलसिलेवार चेतावनियों से हड़कंप

चंडीगढ़ स्थित सचिवालय में बिल्डिंग के बाहर खड़े अधिकारी और पुलिस की टीमें।

नरेंद्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana News: हरियाणा प्रदेश में महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठानों और संवेदनशील स्थानों को बम से उड़ाने की धमकियों का एक भयावह सिलसिला चिंताजनक रूप से बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को इस कड़ी में एक और खतरनाक मोड़ तब आया, जब चंडीगढ़ स्थित हरियाणा के मुख्यमंत्री आवास और राज्य सचिवालय जैसे अति महत्वपूर्ण स्थानों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई। यह धमकी एक ईमेल के माध्यम से भेजी गई थी, जिसमें स्पष्ट रूप से इन दोनों स्थानों पर “फिदायीन हमले” (आत्मघाती हमले) की बात कही गई थी। इस सूचना ने सुरक्षा तंत्र में तत्काल हड़कंप मचा दिया। हरियाणा पुलिस, चंडीगढ़ पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों ने बिना किसी देरी के दोनों परिसरों की सुरक्षा को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ा दिया। एहतियात के तौर पर दोनों महत्वपूर्ण इमारतों को तुरंत खाली करा लिया गया और सभी सुरक्षा एजेंसियों को उच्चतम स्तर पर अलर्ट पर रखा गया है। इस घटना ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था की चुनौतियों को उजागर किया है, बल्कि आम जनता में भी भय और असुरक्षा की भावना को गहरा दिया है।

राजधानी में फैली दहशत

 

शुक्रवार का दिन चंडीगढ़ में सामान्य रूप से शुरू हुआ था, लेकिन दोपहर होते-होते स्थिति तनावपूर्ण हो गई। हरियाणा पुलिस की अपराध जांच विभाग (CID) विंग को एक ईमेल प्राप्त हुआ। इस ईमेल का मजमून पढ़ते ही अधिकारियों के होश उड़ गए। इसमें सीधे तौर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री आवास और राज्य सचिवालय को निशाना बनाने की बात कही गई थी। धमकी में “फिदायीन हमले” शब्द का प्रयोग स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा रहा था, क्योंकि फिदायीन हमले आत्मघाती दस्ते द्वारा किए जाते हैं जिनका उद्देश्य अधिकतम नुकसान पहुंचाना होता है।

दोनों परिसरों को तत्काल खाली कराया

 

सूचना मिलते ही सुरक्षा बलों के बीच समन्वय स्थापित किया गया। हरियाणा पुलिस और चंडीगढ़ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। सबसे पहला कदम दोनों परिसरों को तत्काल खाली कराना था। मुख्यमंत्री आवास और सचिवालय में कार्यरत सैकड़ों कर्मचारियों और अधिकारियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार की भगदड़ या अफरा-तफरी न हो, इसका विशेष ध्यान रखा गया।

इसके तुरंत बाद, बम निरोधक दस्ते (Bomb Disposal Squads) और डॉग स्क्वॉड को बुलाया गया। इन विशेषज्ञ टीमों ने दोनों परिसरों के चप्पे-चप्पे की गहन तलाशी ली। कार्यालयों, गलियारों, पार्किंग स्थलों, बेसमेंट और आस-पास के खुले क्षेत्रों की सावधानीपूर्वक जांच की गई। यह तलाशी अभियान लगभग तीन घंटे तक चला। इस दौरान पूरे इलाके को सील कर दिया गया था और आम लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। मीडियाकर्मियों को भी एक सुरक्षित दूरी पर रोक दिया गया था। घंटों की गहन जांच और कड़ी मशक्कत के बाद, सुरक्षा बलों ने घोषणा की कि किसी भी परिसर में कोई भी संदिग्ध वस्तु या विस्फोटक पदार्थ नहीं मिला है। इस घोषणा के बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली, लेकिन खतरे की आशंका पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई थी।

धमकियों का पैटर्न

 

यह कोई अकेली घटना नहीं है। पिछले कुछ हफ्तों में हरियाणा में इस तरह की धमकियों की एक श्रृंखला देखी गई है, जो किसी सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करती है।

22 मई: चंडीगढ़ में ही स्थित पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय को भी इसी तरह ईमेल के माध्यम से बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। उस समय भी तत्काल कार्रवाई करते हुए पूरे न्यायालय परिसर को खाली करा लिया गया था और व्यापक तलाशी अभियान चलाया गया था। हालांकि, उस जांच में भी कोई संदिग्ध वस्तु बरामद नहीं हुई थी। उच्च न्यायालय जैसे महत्वपूर्ण न्यायिक संस्थान को निशाना बनाने की धमकी ने पहले ही सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया था।
21 मई: इससे एक दिन पहले यानी 21 मई को हरियाणा के दो प्रमुख जिलों – फतेहाबाद और गुरुग्राम – में स्थित लघु सचिवालयों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। इसी दिन अंबाला में उपायुक्त (DC) कार्यालय को भी निशाना बनाने की धमकी मिली थी। इन सभी मामलों में भी पुलिस और सुरक्षा बलों ने त्वरित कार्रवाई की, परिसरों को खाली कराया और तलाशी अभियान चलाए, लेकिन कहीं भी कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।

इन सिलसिलेवार घटनाओं ने यह आशंका और गहरी कर दी है कि यह किसी एक व्यक्ति का शरारती कृत्य मात्र नहीं है, बल्कि इसके पीछे कोई बड़ा संगठित गिरोह या साजिश हो सकती है। इसका उद्देश्य प्रदेश में भय और अस्थिरता का माहौल पैदा करना, सुरक्षा एजेंसियों पर दबाव बनाना और उनकी प्रतिक्रिया क्षमता का आकलन करना हो सकता है।

जांच की दिशा और चुनौतियां

 

हरियाणा पुलिस और चंडीगढ़ पुलिस की साइबर सेल टीमें अब इस ईमेल की जांच में जुट गई हैं। जांच के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

ईमेल का स्रोत: सबसे बड़ी चुनौती ईमेल भेजने वाले के वास्तविक स्रोत का पता लगाना है। धमकी देने वाले अक्सर अपनी पहचान छिपाने के लिए प्रॉक्सी सर्वर, एन्क्रिप्टेड ईमेल सेवाओं या डार्क वेब का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनका आईपी एड्रेस ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है।

मकसद: धमकी के पीछे का वास्तविक मकसद क्या है? क्या यह केवल दहशत फैलाना है, या किसी आतंकवादी संगठन की करतूत है, या फिर किसी शरारती तत्व का काम है जो व्यवस्था को आजमाना चाहता है?

भाषा और शैली: ईमेल में इस्तेमाल की गई भाषा, शब्दों का चयन और धमकी के तरीके का विश्लेषण किया जा रहा है ताकि भेजने वाले के प्रोफाइल के बारे में कुछ सुराग मिल सके। “फिदायीन हमले” जैसे शब्दों का प्रयोग इसे सामान्य शरारत से कहीं अधिक गंभीर बनाता है।

अंतर-राज्यीय या अंतरराष्ट्रीय संबंध: क्या इस धमकी का कोई अंतर-राज्यीय या अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन है? इसकी भी जांच की जा रही है।
पैटर्न का विश्लेषण: पिछली धमकियों और इस ताजा धमकी के बीच कोई संबंध है या नहीं, इसका भी विश्लेषण किया जा रहा है। क्या इन सभी के पीछे एक ही व्यक्ति या समूह का हाथ है?

साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के मामलों में जांच एक जटिल प्रक्रिया होती है जिसमें समय लग सकता है। हालांकि, आधुनिक फोरेंसिक उपकरणों और तकनीकों की मदद से अपराधी तक पहुंचने की पूरी कोशिश की जा रही है।

सुरक्षा व्यवस्था पर बढ़ता दबाव और उठाए गए कदम

 

इन लगातार मिल रही धमकियों के मद्देनजर पूरे हरियाणा में महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों, संवेदनशील प्रतिष्ठानों और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

अतिरिक्त बल की तैनाती: मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, उच्च न्यायालय, जिला सचिवालयों और अन्य महत्वपूर्ण कार्यालयों पर अतिरिक्त पुलिस बल और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है।
प्रवेश द्वारों पर कड़ी जांच: इन स्थानों पर आने-जाने वाले लोगों और वाहनों की सघन जांच की जा रही है। मेटल डिटेक्टर, बैगेज स्कैनर और अन्य सुरक्षा उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा रहा है।
सीसीटीवी निगरानी: सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निरंतर निगरानी रखी जा रही है और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
खुफिया तंत्र सक्रिय: राज्य का खुफिया तंत्र भी पूरी तरह से सक्रिय है और किसी भी संभावित खतरे के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहा है।
अंतर-एजेंसी समन्वय: विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों, जैसे राज्य पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बल, खुफिया ब्यूरो और बम निरोधक दस्तों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
मॉक ड्रिल: सुरक्षा तैयारियों को परखने के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल भी आयोजित की जा रही हैं।

आम जनता पर प्रभाव और मनोवैज्ञानिक पहलू

 

इस प्रकार की धमकियां न केवल सरकारी कामकाज को बाधित करती हैं, बल्कि आम जनता के मन में भी भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करती हैं। लोग अपने दैनिक कार्यों के लिए बाहर निकलने से पहले सोचने लगते हैं, खासकर उन स्थानों पर जाने से जहाँ पहले धमकी मिल चुकी हो। सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी भी एक अनिश्चितता और तनाव के माहौल में काम करने को मजबूर होते हैं। यह स्थिति राज्य की समग्र शांति और विकास के लिए हानिकारक है।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ऐसी धमकियों का उद्देश्य समाज में व्यापक स्तर पर डर फैलानाहोता है। भले ही ये धमकियां खोखली साबित हों, लेकिन वे अपने तात्कालिक उद्देश्य, यानी भय उत्पन्न करने में कुछ हद तक सफल हो जाती हैं।

आगे की राह

 

हरियाणा सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। उन्हें न केवल इन धमकियों के स्रोत का पता लगाकर दोषियों को कानून के कठघरे में खड़ा करना है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत और अचूक सुरक्षा रणनीति भी बनानी होगी। इसमें तकनीकी उन्नयन, खुफिया जानकारी को मजबूत करना और विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल शामिल है।

यह भी महत्वपूर्ण है कि आम जनता घबराए नहीं और किसी भी अफवाह पर ध्यान न दे। किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या वस्तु की जानकारी तुरंत पुलिस को देनी चाहिए। नागरिक सतर्कता और पुलिस के सहयोग से ही इस प्रकार के खतरों का मुकाबला किया जा सकता है।

फिलहाल, मुख्यमंत्री आवास और सचिवालय को मिली धमकी के बाद पूरे चंडीगढ़ और हरियाणा के संवेदनशील इलाकों में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं और हर आने-जाने वाले पर पैनी नजर रखे हुए हैं। उम्मीद है कि जांच एजेंसियां जल्द ही इस मामले की तह तक पहुंचेंगी और उन तत्वों को बेनकाब करेंगी जो प्रदेश की शांति और सुरक्षा को भंग करने का प्रयास कर रहे हैं। यह घटनाएं इस बात की भी याद दिलाती हैं कि आंतरिक सुरक्षा एक सतत चुनौती है और इसके लिए निरंतर सतर्कता और तैयारी आवश्यक है। इन धमकियों के पीछे चाहे जो भी हो, उनका दृढ़ता से मुकाबला करना और प्रदेशवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

 

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