घोटाले पर हरियाणा के सहकारिता मंत्री और समितियों के रजिस्ट्रार से पूछे पांच-पांच सवाल, बताया कौन है जिम्मेदार

फोटो- हरियाणा के सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। हरियाणा के सहकारिता विभाग की एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (आइसीडीपी) में करीब 100 करोड़ रुपये के घोटाले के तार हर जिले में जुड़े हुए हैं। रेवाड़ी से शुरू हुआ यह घोटाला कैथल, करनाल और अंबाला तक ही पहुंचा था कि पकड़ में आ गया। अब पानीपत, गुरुग्राम और सोनीपत में इस घोटाले में जांच चल रही है। इस बारे में हरियाणा के सहकारिता मंत्री और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से पांच-पांच सवाल पूछे गए। इसके अलावा हरियाणा के एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक से कार्रवाई के बारे में जानकारी ली गई। आइये जानते हैं किसने क्या कहा-

हरियाणा के सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल से पांच सवाल

 

सवाल– आपको इस घोटाले की भनक नहीं थी?
उत्तर – मुझे पता था। सरकार ने ही एसीबी को जांच को आगे बढ़ाने के लिए कहा। पहले विजिलेंस जांच हुई। फिर अन्य जांच आगे बढ़ी।

सवाल – इस घोटाले के लिए विभाग में कौन जिम्मेदार है?
जवाब – सीधे तौर पर आरसीएस और योजना के नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी होती है। सारा काम वही देखते हैं। सरकार उन्हीं से जवाब तलब करेगी।

सवाल – सहकारिता विभाग के इस घोटाले का दायरा आप कितना मानते हैं, क्या इसमें सफेदपोश भी शामिल हैं?
जवाब – जब कुछ जिलों में भ्रष्टाचार सामने आ चुका है तो इस बात से कैसे इन्कार किया जा सकता है कि बाकी जिलों में नहीं हुआ होगा। जांच एजेंसियां हर एंगल पर काम कर रही हैं।

सवाल – क्या यह घोटाला वास्तव में 100 करोड़ का है अथवा कुछ ज्यादा या कम हो सकता है?
जवाब – एंटी करप्शन ब्यूरो 100 करोड़ का घोटाला बता रहा है तो कम होने का सवाल ही नहीं है। ज्यादा ही होगा। हमारे पास चीजें बाद में आती हैं। पहले विभागीय अधिकारियों के पास फाइलें पहुंचती हैं। इसलिए सीधे तौर पर हर चीज के लिए विभागीय अधिकारी जवाब देह होते हैं।

सवाल – भ्रष्टाचार में जिन अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं, अब उनका क्या होगा?
उत्तर – मैंने जिम्मेदार अधिकारियों से कहा है कि वे फाइलें मेरे पास भेजें। हम ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों को चार्जशीट, विभागीय कार्रवाई और निलंबित करने की कार्रवाई करेंगे। जिन्हें बर्खास्त किया जाना होगा, उन्हें बर्खास्त भी करेंगे।

सहकारी समितियां के रजिस्ट्रार (IAS ) राजेश जोगपाल से पांच सवाल

सवाल – सहकारिता विभाग में इतने बड़े घोटाले को आप कैसे देखते हैं?
जवाब – हमने एसीबी को सहयोग किया। हमें पता था कि विभाग में कुछ गड़बड़ चल रहा है। जब मैं इस बात पर आया तो मैंने गंदगी की सफाई शुरू की। पहले विजिलेंस जांच हुई। फिर एसीबी ने कमान संभाली। भ्रष्टाचार लगातार पकड़ में आ रहा है।

सवाल – क्या यह घोटाला 100 करोड़ का है अथवा इसके बढ़ने की संभावना है?
जवाब – यहां आंकड़ा थोड़ा अलग है। जिस योजना व राशि में भ्रष्टाचार हुआ है, वह कम है। विभाग ने एकीकृत सहकारी विकास परियोजना की मद में करीब 60 करोड़ रुपये जारी किए थे। घपले का पता चलने के बाद इसमें से हमने 40 करोड़ रुपये वापस मंगवा लिए। बाकी बचे 20 करोड़ रुपये, उसमें ही सब कुछ खेल हुआ है।

सवाल – ऐसी बात भी आ रही है कि आपने कुछ अधिकारियों को बर्खास्त किया है?
जवाब – मैंने आजकल में किसी अधिकारी को बर्खास्त नहीं किया। जब मामले की विजिलेंस जांच चल रही थी, तभी मैंने कोर्ट के किसी आदेश का इंतजार किए बिना यह मानकर कि दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। सीनियर आडिटर सुमित अग्रवाल को बर्खास्त कर दिया था। सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक व उप मुख्य लेखाकार योगेंद्र अग्रवाल को बर्खास्त करने संबंधी फाइल बनाकर सरकार को भेजी हुई है। एंटी करप्शन ब्यूरो अपनी कार्रवाई कर रहा है और विभाग पहले से अपनी कार्रवाई में लगा है।

सवाल – सहकारिता विभाग में इतना बड़ा घोटाला सामने आने के बाद विभागाध्यक्ष के नाते अब आपका अगला कदम?
जवाब – चार्जशीट, निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाई के साथ-साथ ऐसे भ्रष्ट लोगों की संपत्तियां भी अटैच करने की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी तथा हर जिले में योजना की जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा।

सवाल – सहकारिता मंत्री कह रहे हैं कि ऐसे पूरे मामलों में जवाबदेही आरसीएस की होती है?
जवाब – मैं तो मान ही रहा हूं इस बात को। मैंने स्वयं ही पहल कर भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की। कोर्ट के फैसले का भी इंतजार नहीं किया। हमारी तरफ से किसी तरह की कोई कमी नहीं रही। आगे भी प्रत्येक जांच एजेंसी को सहयोग दिया जाएगा और सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की नीति पर काम किया जाएगा।

सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की नीति पर चल रही एसीबी

 

हरियाणा के एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक शत्रुजीत कपूर कहा कि एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के संचालन में 100 करोड़ रुपये का गबन हुआ है। सभी आवश्यक सबूत जुटाते हुए मामले की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है। इस मामले में आरोपितों के खिलाफ करनाल तथा अंबाला रेंज में विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं। ब्यूरो की टीम ने घोटाले में संलिप्त छह राजपत्रित अधिकारियों, आइसीडीपी रेवाड़ी के चार अधिकारियों तथा चार निजी व्यक्तियों की गिरफ्तारी की है। भ्रष्टाचारी चाहे कोई भी और किसी भी विभाग का क्यों न हो, दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

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