Haryana Politics: हरियाणा में रणजीत चौटाला के मंत्री बने रहने पर विवाद, विधायकी से इस्तीफा देने के बाद भी मंत्रीपद बरकरार

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Politics: हरियाणा के मंत्री रणजीत सिंह चौटाला की हरियाणा मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी की कैबिनेट में रणजीत चौटाला 12 मार्च को निर्दलीय विधायक के रूप में सरकार में शामिल हुए थे। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। 24 मार्च को उन्होंने रानियां विधानसभा की सीट से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद उन्होंने हिसार से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश से हारने के बाद भी वह बिजली मंत्री के रूप में बरकरार हैं।

राष्ट्रपति से की गई शिकायत

ऐसे में अब उन्हें कैबिनेट में शामिल होने के लिए दोबारा मंत्री की शपथ लेनी होगी। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए इसकी शिकायत राष्ट्रपति से की है, जहां से हरियाणा के मुख्य सचिव को लेटर भेजकर इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही कर इसकी सूचना शिकायतकर्ता को भेजने को कहा गया है।

कब क्या हुआ

मनोहर लाल के इस्तीफे के बाद हरियाणा में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में गठित नई सरकार 12 जून को‌ 3 माह का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। 12 मार्च को मुख्यमंत्री सैनी के साथ शपथ लेने‌ वाले 5 कैबिनेट मंत्रियों में रणजीत चौटाला भी शामिल थे, जो‌ तब रानियां सीट से निर्दलीय विधायक थे।

22 मार्च को रणजीत को ऊर्जा और जेल विभाग आबंटित‌ किए गए। हालांकि, इससे पहले वह पिछली मनोहर लाल सरकार में भी इन विभागों के मंत्री रह चुके थे। इसके बाद 24 मार्च की शाम रणजीत सिंह भाजपा में शामिल हो गए‌। जिसके कुछ‌ समय बाद ही उन्हें हिसार‌ लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार‌ घोषित कर दिया गया। रणजीत ने उसी दिन विधायक पद से त्यागपत्र दे दिया‌।

इसलिए रणजीत चौटाला ने दिया इस्तीफा

चूंकि, निर्दलीय‌ विधायक कोई भी किसी राजनीतिक‌ दल में शामिल नहीं हो सकता। यदि वह ऐसा करता है तो उसे दल बदल विरोधी‌ कानून के अंतर्गत ‌विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। हालांकि, विधायक पद से त्यागपत्र के साथ रणजीत चौटाला ने हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्रीपद ने इस्तीफा नहीं दिया। विधायक पद से त्यागपत्र देने के बाद स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने उसे स्वीकार कर लिया।

क्यों उठ रहे नियुक्ति पर सवाल

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार ने 2 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। पत्र में लिखा है कि रणजीत चौटाला 12 मार्च को वर्तमान 14वीं हरियाणा विधानसभा के सदस्य (विधायक) थे। इस दिन उन्होंने सीएम नायब सैनी के साथ मंत्रीपद के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसके बाद 24 मार्च 2024 से विधायक के रूप में उनका इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार कर लिया गया। अब वह पूर्व विधायक या दूसरे शब्दों में एक गैर-विधायक हो गए हैं।

मंत्री बने रहने के लिए लेनी होगी दोबारा शपथ

संविधान के अनुच्छेद 164(4) के अनुसार गैर- विधायक के तौर पर अधिकतम 6 माह तक मंत्रीपद पर तो रह सकते हैं, लेकिन उसके लिए उन्हें हरियाणा के राज्यपाल द्वारा मंत्री के रूप में नए सिरे से पद एवं गोपनीयता की शपथ लेनी होगी क्योंकि 24 मार्च 2024 से वे गैर विधायक हैं। तकनीकी सवाल यह भी है कि जब उन्होंने मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी, तब वह निर्दलीय विधायक थे, लेकिन अब वह भाजपा में शामिल हो चुके हैं, इसलिए गैर-विधायक होने के नाते मंत्री के रूप में उनका नया कार्यकाल माना जाएगा।

क्या कहते हैं कानूनी जानकार

राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा 9 मई को इस विषय पर हरियाणा के मुख्य सचिव को लिखकर आवश्यक कार्यवाही करने एवं उसकी सूचना‌ याचिकाकर्ता को देने के बारे में कहा गया था। हालांकि, अभी तक हेमंत को हरियाणा सरकार से कोई जवाब‌ नहीं प्राप्त हुआ है।

हेमंत का कहना है कि जब भी केंद्र या राज्य सरकार में नियुक्त किसी मंत्री का निर्वाचन (सांसद या विधायक के रूप में, जैसा भी मामला हो) संबंधित उच्च न्यायालय या भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द या अमान्य घोषित कर दिया जाता है तो ऐसे सांसद या विधायक को तत्काल केंद्र सरकार या राज्य सरकार में मंत्रीपद से इस्तीफा देना होता है।

 

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