Haryana Pollution: हरियाणा में जमकर आतिशबाजी से बना गैस चैंबर, 10 शहरों में AQI 500 पार
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Pollution: हरियाणा में इस दिवाली के मौके पर भारी आतिशबाजी देखने को मिली, जो राज्य सरकार की निर्धारित दो घंटे की सीमा को पार करते हुए देर रात तक चली। सरकार ने केवल दो घंटे की आतिशबाजी की अनुमति दी थी, लेकिन लोग शाम 7 बजे से लेकर आधी रात तक जमकर पटाखे फोड़ते रहे। इसका असर यह हुआ कि वायु प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया और प्रदेश एक तरह से “गैस चैंबर” में तब्दील हो गया। हिसार और कुरुक्षेत्र के हालात सबसे ज्यादा बिगड़े हुए हैं, जहां वायु में पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5 और PM 10) का स्तर 500 के पार जा पहुंचा है। यह इतना खतरनाक है कि सामान्य व्यक्ति को भी घर से बाहर निकलने पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
हरियाणा में प्रदूषण का खतरनाक स्तर
प्रदेश के दस प्रमुख शहरों में हवा की गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के ऊपर पहुंच गया है, जिनमें अंबाला, फरीदाबाद, गुरुग्राम, जींद, पंचकूला, रोहतक, यमुनानगर, हिसार और कुरुक्षेत्र शामिल हैं। यह स्थिति एक गंभीर स्वास्थ्य आपातकाल को दर्शाती है। इस AQI स्तर पर हवा में बारीक कण इतने घने होते हैं कि यह श्वसन नलियों और फेफड़ों को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए, जो पहले से ही स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
पराली जलाने की घटनाएं: प्रशासनिक कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद हरियाणा सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में विफल रहने पर त्वरित कदम उठाए। प्रशासन ने 26 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया और 11 अधिकारियों को चार्जशीट जारी की, जबकि 383 अधिकारियों को नोटिस भेजा गया। पराली जलाने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 186 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई और 34 किसानों को गिरफ्तार भी किया गया है। प्रशासन के इन प्रयासों के बावजूद, पराली जलाने की समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, जिससे प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।
वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर खतरे
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वायु प्रदूषण से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इनमें प्रमुख रूप से अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर, हार्ट अटैक, बच्चों में सांस की समस्याएं और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) शामिल हैं।
अस्थमा: वायु प्रदूषण अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। प्रदूषित हवा में मौजूद बारीक कण सांस की नलियों को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है, और व्यक्ति को खांसी तथा छाती में दबाव महसूस हो सकता है।
फेफड़ों का कैंसर: वायु प्रदूषण और धूम्रपान से लंग कैंसर का खतरा बढ़ता है। स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC) और नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) दोनों ही प्रकार का कैंसर प्रदूषण के संपर्क में आने से हो सकता है।
हार्ट अटैक: PM 2.5 जैसे बारीक कण खून में मिलकर धमनियों में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। यह विशेषकर उन लोगों के लिए खतरनाक है, जिन्हें हृदय संबंधी समस्याएं पहले से हैं।
बच्चों में सांस की समस्याएं: प्रदूषण से बच्चों की श्वसन प्रणाली प्रभावित होती है, जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होता है, और उन्हें प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से संक्रमण का अधिक खतरा होता है। WHO के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चे इस प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं।
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD): COPD फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में अत्यधिक कठिनाई होती है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौतें इस बीमारी से होती हैं।
डॉक्टर्स की चेतावनी
दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने चेताया कि प्रदूषण से होने वाली मौतें कोविड-19 से ज्यादा हो सकती हैं। हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में दुनियाभर में वायु प्रदूषण के कारण 80 लाख मौतें हुईं। यह आंकड़ा कोविड-19 से हुई मौतों से भी अधिक है। उन्होंने कहा कि जहां हम कोविड के प्रति जागरूक हैं, वहीं हमें प्रदूषण के खतरों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि AQI 400 से अधिक होने का मतलब है कि एक व्यक्ति एक दिन में 25-30 सिगरेट के बराबर विषैले कणों का सेवन कर रहा है। AQI का स्तर 300-350 तक होने पर यह संख्या 15-20 सिगरेट के बराबर हो सकती है। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है और लंबे समय तक ऐसी हवा में सांस लेना कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है।
वायु प्रदूषण से बचने के उपाय
ऐसे खतरनाक वायु प्रदूषण के समय डॉक्टरों ने लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। बिना वजह बाहर जाने से बचना, घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना, और बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करना कुछ जरूरी कदम हैं। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित लोगों को अधिक सतर्क रहना चाहिए।
हरियाणा में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक हो चुकी है। आतिशबाजी और पराली जलाने जैसी गतिविधियों के चलते प्रदेश की हवा में जहर घुलता जा रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए केवल सरकारी कदम ही नहीं बल्कि आम जनता को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा।
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