कैथल में हरियाणा रोडवेज की बस खेतों में पलटी, शीशे तोड़कर निकले 35 यात्री, 22 घायल

मौके पर पहुंचा एक व्यक्ति बस के सभी शीशे टूट गए थे।

नरेंद्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले में रविवार की सुबह उस समय चीख-पुकार और अफरातफरी का माहौल बन गया, जब हरियाणा रोडवेज की एक बस अनियंत्रित होकर पलट गई। यह दर्दनाक हादसा कैथल-नरवाना मार्ग पर जखोली और कसान गांव के बीच हुआ। गनीमत रही कि इस हादसे में किसी की जान नहीं गई, हालांकि बस में सवार 22 यात्री घायल हो गए, जिन्हें तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हादसा एक ट्रक को साइड देने के प्रयास में हुआ, जब रात की बारिश से गीली हुई सड़क किनारे की मिट्टी में बस के पहिये धंस गए और बस संतुलन खोकर खेतों में जा पलटी।

खौफनाक मंजर

 

रविवार की सुबह हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में जीवन अपनी सामान्य गति से चल रहा था। हरियाणा रोडवेज की यह बस कैथल डिपो के अंतर्गत करोड़ा गांव से नरवाना के लिए निर्धारित समय पर रवाना हुई थी। बस में लगभग 35 यात्री सवार थे – कोई अपने काम पर जा रहा था, कोई रिश्तेदारों से मिलने, तो कोई अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए शहर की ओर। यात्रियों में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और जवान सभी शामिल थे और किसी को भी इस बात का अंदेशा नहीं था कि उनका यह सामान्य सफर कुछ ही देर में एक भयावह अनुभव में बदलने वाला है।

मौसम पिछले कुछ घंटों से बदला हुआ था। रात को हुई बारिश ने वातावरण में ठंडक तो घोल दी थी, लेकिन सड़कों के किनारे कच्ची मिट्टी को दलदला और खतरनाक बना दिया था। जखोली गांव पार करने के बाद जैसे ही बस कसान गांव की ओर बढ़ी, मार्ग थोड़ा संकरा हो गया।

हादसे का वह खौफनाक क्षण

 

प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस के अनुसार, जब बस कसान गांव के पास पहुंची, तो सामने से एक ट्रक आ रहा था। संकरे रास्ते पर ट्रक को सुरक्षित साइड देने के लिए बस चालक ने बस को थोड़ा सड़क के कच्चे किनारे पर उतारने का प्रयास किया। यही वह पल था जब किस्मत ने धोखा दिया। रात की बारिश के कारण सड़क के किनारे की मिट्टी अत्यधिक गीली और नरम हो चुकी थी। जैसे ही बस के पहिये कच्चे पर उतरे, वे गीली मिट्टी में धंसने लगे। चालक ने स्थिति को संभालने की कोशिश की होगी, लेकिन भारी बस का संतुलन तेजी से बिगड़ा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, बस एक तरफ झुकती हुई खेतों में जा पलटी।

बस के पलटते ही अंदर बैठे यात्रियों में हाहाकार मच गया। सामान इधर-उधर बिखर गया, लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। कुछ ही सेकंड में, जो बस अपनी मंजिल की ओर दौड़ रही थी, वह अब एक असहाय धातु के ढेर में बदल चुकी थी, जिसके अंदर जिंदगियां फंसी हुई थीं।

फंसे यात्री, दबे गेट और टूटे शीशे

 

बस के पलटते ही उसके दोनों मुख्य दरवाजे नीचे की ओर दब गए, जिससे बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया। अंदर फंसे यात्री, जिनमें से कई घायल हो चुके थे, घबराहट और डर के मारे चिल्ला रहे थे। कुछ हिम्मती यात्रियों ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तुरंत सक्रियता दिखाई। उन्होंने बस की खिड़कियों के शीशे तोड़ने का प्रयास शुरू किया। किसी ने पत्थर से, किसी ने हाथ में जो भी भारी वस्तु आई, उससे शीशों पर वार करना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में खिड़कियों के शीशे टूट गए और यात्रियों के लिए बाहर निकलने का एक संकरा रास्ता बन गया। एक-एक करके, घायल और सहमे हुए यात्री उन टूटे हुए शीशों से किसी तरह बाहर निकलने लगे। इस दौरान कई लोगों को टूटे कांच से और भी चोटें आईं, लेकिन जान बचाने की जद्दोजहद में उन्हें इसकी परवाह नहीं थी।

स्थानीय लोगों का सहयोग और बचाव कार्य

 

हादसे की आवाज सुनकर और खेतों में पलटी बस को देखकर आसपास के गांवों के लोग तुरंत घटनास्थल की ओर दौड़े। उन्होंने बिना किसी देरी के बचाव कार्य में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। जो यात्री बस के अंदर फंसे हुए थे, उन्हें बाहर निकालने में मदद की, घायलों को संभाला और उन्हें पानी पिलाया। इसी बीच किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम और एम्बुलेंस सेवा को हादसे की सूचना दी।

सूचना मिलते ही कैथल पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमें हरकत में आ गईं। कुछ ही देर में पुलिस की गाड़ियां और एम्बुलेंस सायरन बजाती हुई घटनास्थल पर पहुंच गईं। पुलिस ने तुरंत स्थिति को नियंत्रण में लिया और बचाव कार्य को व्यवस्थित किया। एम्बुलेंस कर्मचारियों ने घायलों को प्राथमिक उपचार देना शुरू किया और गंभीर रूप से घायलों को प्राथमिकता के आधार पर अस्पतालों की ओर भेजना शुरू किया। सभी 22 घायलों को कैथल के नागरिक अस्पताल और कुछ निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उनका उपचार शुरू किया। राहत की बात यह रही कि किसी भी यात्री को जानलेवा चोट नहीं आई थी, अधिकांश को फ्रैक्चर, अंदरूनी चोटें या कांच लगने से घाव हुए थे।

प्रत्यक्षदर्शियों और घायलों की जुबानी

 

किसी भी दुर्घटना के बाद अक्सर उसके कारणों को लेकर अलग-अलग बयान सामने आते हैं। इस हादसे में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला:

रोहित (बस में सवार युवक): रोहित ने बताया कि बस करोड़ा से नरवाना की तरफ जा रही थी और उसमें करीब 35 यात्री थे। उसके अनुसार, “बस थोड़ी लेट थी। शायद इसी वजह से ड्राइवर थोड़ा तेज चलाने की कोशिश कर रहा था। मेरे ख्याल से यह हादसा ओवरटेक करने के चक्कर में हुआ।” रोहित ने यह भी बताया कि बस का आगे का शीशा टूट गया था और ज्यादातर लोग उसी से बाहर निकले।
बुद्ध राम (घायल बुजुर्ग): हादसे में घायल हुए बुजुर्ग बुद्ध राम का अनुभव कुछ अलग था। उन्होंने कहा, “बस काफी स्पीड में थी। बस के सामने कोई गाड़ी नहीं थी, जिसे ओवरटेक किया जा रहा हो। मुझे लगता है कि किसी दूसरे वाहन को बचाने के चक्कर में यह हादसा हुआ। सड़क के किनारे पड़ी गीली मिट्टी में टायर धंस गए और बस दूसरी तरफ पलट गई। बस की दोनों खिड़कियां (शायद उनका आशय दरवाजों से था) दब गई थीं, इसलिए लोग बस के शीशे तोड़कर बाहर निकले।”
गुरमीत (घायल का रिश्तेदार): घायल परिजनों से मिलने अस्पताल पहुंचे गुरमीत ने ड्राइवर का बचाव करते हुए कहा, “सामने से एक डंपर (ट्रक) आया था। बस का ड्राइवर अपनी सामान्य गति में ही चल रहा था। अचानक ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया और हादसा हो गया। इसमें ड्राइवर का ज्यादा कसूर नहीं लगता, वह तेज नहीं चला रहा था। मेरे परिवार के लोग भी बस में सवार थे, भगवान का शुक्र है कि उन्हें ज्यादा चोट नहीं आई है।”
सुमित (घायल दादी का पोता): सुमित अपनी दादी के लिए चिंतित थे, जो हादसे के बाद सदमे में थीं और कुछ बोल नहीं पा रही थीं। सुमित ने बताया, “मेरी दादी सेरदा गांव से पिंजूपुरा जा रही थीं। सुबह मेरे पास उनका फोन आया था कि हम बस में बैठ गए हैं, चल पड़े हैं। फिर कुछ देर बाद जखौली गांव के पास से किसी का फोन आया कि बस का एक्सीडेंट हो गया है। जब हम घबराकर मौके पर पहुंचे तो वहां कोई नहीं था, सभी घायलों को अस्पताल ले जाया जा चुका था। अस्पताल आकर दादी से मिला, लेकिन वह सदमे के कारण कुछ बोल नहीं पा रही हैं।”

पुलिस का आधिकारिक बयान और जांच की दिशा

 

घटना के बाद मौके पर पहुंचे सब इंस्पेक्टर शमशेर सिंह ने प्रारंभिक जांच के आधार पर बताया, “हरियाणा रोडवेज की यह बस करोड़ा से नरवाना जा रही थी। कसान गांव के पास सड़क थोड़ी संकरी (भिड़ी) थी। एक तरफ से ट्रक आ रहा था और दूसरी तरफ से यह बस क्रॉस कर रही थी। सड़क के किनारे की जगह कच्ची और गीली होने की वजह से बस का संतुलन बिगड़ गया और वह पलट गई। सभी घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचा दिया गया है और सभी की हालत स्थिर है। कोई भी यात्री गंभीर रूप से घायल नहीं है। मामले की विस्तृत जांच की जा रही है।”

पुलिस अब बस चालक, परिचालक और घायल यात्रियों के विस्तृत बयान दर्ज करेगी। बस की तकनीकी जांच भी की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं कोई तकनीकी खराबी तो हादसे का कारण नहीं बनी। सड़क की स्थिति और उस समय के मौसम को भी जांच के दायरे में रखा जाएगा।

सड़क सुरक्षा और भविष्य के लिए सबक

 

यह दुर्घटना एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करती है। कुछ प्रमुख बिंदु जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है:

सड़कों का रखरखाव: विशेषकर बरसात के मौसम में ग्रामीण सड़कों और उनके किनारों (बर्म्स) का उचित रखरखाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि वे वाहनों का भार सह सकें।
चालकों का प्रशिक्षण: रोडवेज बस चालकों को मुश्किल परिस्थितियों, जैसे संकरे रास्ते या खराब मौसम में वाहन चलाने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
यात्री सुरक्षा: बसों में आपातकालीन निकास और फर्स्ट-एड किट की उपलब्धता और उनकी कार्यशीलता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
जागरूकता अभियान: यात्रियों और चालकों दोनों के लिए सड़क सुरक्षा नियमों और सावधानियों के बारे में जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
हालांकि इस हादसे में किसी की जान न जाना एक बड़ी राहत की बात है, लेकिन यह घटना उन खतरों की याद दिलाती है जो हमारी सड़कों पर मौजूद हैं। उम्मीद है कि इस घटना की गहन जांच होगी और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। फिलहाल, सभी घायल यात्रियों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की जा रही है।

 

You may have missed