हाथरस भगदड़ में हरियाणा की चार महिलाओं की दर्दनाक मौत, मातम का माहौल

नरेन्द्र , फरीदाबाद/पलवल: Hathras Case: उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलरई गांव में मंगलवार को कथित बाबा नारायण साकार विश्व हरि (भोले बाबा) के सत्संग में हुई भगदड़ में फरीदाबाद की तीन तथा पलवल की रहने वाली एक महिला की भी मौत हुई है। कई महिलाएं घायल जिनका उत्तर प्रदेश के हाथरस और एटा के जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। परिजन उनके शवों को लेकर हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल पहुंचे तो आसपास के इलाकों में भी मातम का माहौल छा गया। सभी के चेहरों पर एक दर्द झलक रहा था। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा की दो महिलाओं की मौत हुई है।

कई सालों से भोले बाबा के सत्संग में पहुंच रही थीं

 

फरीदाबाद राम नगर निवासी लीला देवी रामनगर की रहने वाली सरोज, जलदेही तथा संजय कालोनी की रहने वाली तारा देवी कई महिलाओं के साथ गई थीं। हादसे में लीला, सरोज तथा तारा देवी की मौत हो गई। जबकि जलदेही घायल हुई है। वही पलवल की कृष्णा कालोनी की रहने वाली चंद्रवती सेवादार के रूप में सत्संग में पहुंचती थी। उनकी भी हादसे में मौत हो गई। भयावह हादसे का शिकार उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा की तुलसी विहार कालोनी की रहने वाली प्रेमवती तथा गगन विहार की रहने वाली सुमंत्रा भगदड़ के दौरान जान गवां बैठी। इनके साथ बस से गई बबिता और अनीता गंभीर रूप से घायल हुई। दोनों का इलाज अस्पताल में चल रहा है। सभी महिलाओं के स्वजन उनके शव को अपने पैतृक ठिकाने पर ले आए और बुधवार को अंतिम संस्कार कर दिया। जान गंवाने वाली सभी महिला कई सालों से भोले बाबा के सत्संग में पहुंच रही थी। सभी अपने जिलों से सत्संग स्थल तक विशेष बस से जाती थी।

बेटे ने किया था मना, शायद मौत बुला रही थी मां को

 

फरीदाबाद : राम नगर निवासी लीला देवी को उनके बेटे करण और भतीजे प्रेम ने बीमारी का हवाला देते हुए हाथरस जाने से मना किया था, मगर वह नहीं मानी और हाथरस चली गईं। शायद मौत बुला रही थी मां को। इसलिए वहां भगदड़ मचने से उनकी मौत हो गई। कुछ इस तरह से लीला देवी के बेटे ने अपना दर्द बयान किया। बेटे ने बताया कि उनकी मां कई दिनों से कमर दर्द और रक्तचाप से पीड़ित थी। पिता जी का पहले ही निधन हो चुका है। अब मां के जाने से बाद वह अकेला रह गया है।

बासहर जाना ठीक नहीं

करण बोले कि उन्हें इस बात का बड़ा अफसोस है कि मां ने उनकी बात पर गौर नहीं किया। उन्होंने इस घटना से पहले भी कई बार कहा था कि खराब तबीयत के चलते कहीं भ्री शहर से बासहर जाना ठीक नहीं है।

राम नगर की एक और महिला सरोज की भी मौत हुई है। इस घटना के बाद पूरे राम नगर में बुधवार को मातम छाया रहा। दोपहर को एक साथ ही दोनों महिलाओं के शवों का अंतिम संस्कार किया गया। हर कोई यहां हुई इन दो महिलाओं की मौत के मामले को लेकर चर्चा कर रहा था।

एकदम भीड़ गिरती चली गई

 

बता दें कि हाथरस में नारायण साकार हरि भोले बाबा के सत्संग के लिए सोमवार रात को यहां से एक बस गई थी। भगदड़ मचने से मंगलवार को यहां की दो महिलाओं के अलावा संजय कालोनी निवासी तारा देवी की भी हादसे में मौत हो गई थीं। राम नगर की जलदेही के पैर में चोट लगी है। हाथरस से लौटने के बाद जलदेही को मंगलवार रात को जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें छुट्टी दे दी गई। जलदेही ने आंखों देखा हाल बताया कि सत्संग खत्म होने के बाद जब लोग निकलने लगे तो एक सड़क पार कर ली थी। जब दूसरी सड़क, जो निचले हिस्से में थी, इसका किसी को पता नहीं चला। कदम आगे बढ़ रहे थे कि एकदम भीड़ गिरती चली गई।

भीड़ इतनी अधिक थी कि बहुत से लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए। वह स्वयं गिर गई थी। इस दौरान उनके पैर में मोच आ गई थी। बाद में मुश्किल से संभल कर बस तक आईं और फरीदाबाद पहुंची। जलदेही ने बताया कि वह तीन महीने पहले ही हाथरस से जुड़ी थीं। एक पड़ोसी से बाबा की चर्चा सुनी थी। अब वह घर में रह कर ही प्रभु स्मरण करेंगी।
संजय कालोनी निवासी संजय कुमार ने बताया कि उनकी माता तारा देवी की बाबा में आस्था थी। इसलिए वह अक्सर सत्संग में जाती थीं।

मृतक महिलाओं के स्वजन ने बताया कि सत्संग में शामिल बहुत से लोग बाबा के चरण स्पर्श करने को एक साथ आगे बढ़ रहे थे। इस कारण भगदड़ मच गई थी। व्यवस्था संभालने को वहां कोई बेहतर इंतजाम नहीं था। यहां के लोगों ने हाथरस प्रशासन पर बदइंतजामी के आरोप भी लगाए।

पलवल की 54 वर्षीय महिला की भी हुई मौत, छाया मातम

 

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के बाद हुई भगदड़ में पलवल की 54 वर्षीय महिला की भी मौत हो गई। पलवल के सोहना रोड स्थित कृष्णा कालोनी की रहने वाले चंद्रवती करीब 20 वर्षों से भोले बाबा के सत्संग में जा रही थीं। सत्संग में वह सेवादार का कार्य करती थीं। बुधवार सुबह जब चंद्रवती का शव घर पहुंचा तो चीख पुकार मच गई। इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया।

सत्संग में महिलाओं को अपनी गाड़ी से लेकर गए चंद्रवती के पुत्र कुलदीप ने बताया कि उनकी माता चंद्रवती करीब 20 साल से भोले बाबा से जुडी हुईं थीं और सेवादार का काम करती थीं। वह उनके हर सत्संग में जाती थीं। करीब चार माह पहले वह मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुए सत्संग में भी गईं थीं। मंगलवार को सत्संग उत्तर प्रदेश के हाथरस में होना था। इस सत्संग में शिरकत करने के लिए करीब 20 महिलाएं चार गाड़ियों में गईं थीं। वह मंगलवार सुबह करीब छह बजे घर से निकले थे।

उनकी माता चंद्रवती महेंद्र की गाड़ी में अन्य महिलाओं के साथ मौजूद थीं। सत्संग खत्म होने के बाद करीब दो बजे वह महिलाओं को लेकर गाड़ी से निकले। कुछ दूर चलने पर उन्हें रास्ते में दूसरी गाड़ियों में महिलाओं के शव जाते हुए दिखाई दिए। उन्होंने तुरंत अपनी माता को फोन मिलाया, मगर फोन नहीं उठाया। इसके बाद महेंद्र को फोन मिलाया तो उसने बताया कि सत्संग में भगदड़ मच गई है। उसकी गाड़ी में आईं सभी महिलाएं आ चुकी हैं, केवल चंद्रवती नहीं आई हैं। वह चंद्रवती को ढूंढ रहे हैं। मगर काफी देर बाद भी चंद्रवती का पता नहीं चल पाया।

कुलदीप के अनुसार वह अपनी गाड़ी में सवार महिलाओं को मौके पर ही उतारकर अपनी माता को ढूंढने के लिए पास के ही सरकारी अस्पताल में गए, मगर माता का पता नहीं चल सका। रात को करीब नौ बजे माता का शव ऐटा के सरकारी अस्पताल में मिला। इसके बाद उन्होंने अपने स्वजन को सूचित किया। सुबह करीब साढ़े तीन बजे वह शव का पोस्टमार्टम करवाकर घर पहुंचे। इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया।

पति की बात मान लेती तो बच जाती जान

पति बरसम लाल ने बताया कि उन्होंने गर्मी अधिक होने की वजह से चंद्रवती को सत्संग में जाने के लिए मना किया था। मगर चंद्रवती ने कहा कि सत्संग पास में ही है, वह शाम तक घर लौट आएंगी। चंद्रवती की मौत के बाद पूरे घर में मातम छाया हुआ है।

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