हिसार लोकसभा सीट: जयप्रकाश और रणजीत कर रहे जीत के दावे, कड़े मुकाबले से दोनों की उड़ी नींद, बीरेंद्र सिंह की नाराजगी पड़ेगी कांग्रेस को भारी

जयप्रकाश और रणजीत चौटाला।

नरेन्द्र सहारण, हिसार। Hisar Loksabha Seat: हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट पर भाजपा, कांग्रेस, इनेलो और जजपा के बीच कड़ा मुकाबला है। 25 मई को मतदान के बाद जहां भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही लगा रही हैं वहीं दूसरी ओर जजपा और इनेलो ने चुप्पी साधी हुई है। दोनों पार्टियों को किसी चमत्कार की उम्मीद है। भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी जहां चुनाव के बाद भी हिसार में कार्यकर्ताओं से मिलते नजर आए, वहीं जजपा और इनेलो खेमे में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा है। 4 जून को मतगणना वाले दिन ही पता चलेगा कि हिसार का सिरमौर कौन बनेगा। मगर हिसार में कड़ी लड़ाई के बीच रणजीत चौटाला और जयप्रकाश दोनों की नींद उड़ी हुई है। कांग्रेस और भाजपा की ओर 70-70 हजार मतों से जीत के दावे किए जा रहे हैं। हिसार और बवानीखेड़ा विधानसभा को छोड़कर कांग्रेस सभी विधानसभा में अपनी जीत बता रही है तो भाजपा को उम्मीद है कि वह सभी विधानसभा से जीत के साथ आगे निकलेगी। हालांकि उचाना और नारनौंद में पार्टी कांग्रेस के साथ कड़ी लड़ाई मान रही है।

जीत के बाद ही हिसार में खरीदेंगे घर

आपको बता दें कि हिसार लोकसभा सीट पर इस बार सभी राजनीतिक पार्टियों ने बाहरी उम्मीदवार उतारे हैं। हिसार सीट पर ऐसा पहली बार हुआ है, जब चुनावी मैदान में एक भी स्थानीय उम्मीदवार नहीं है। भाजपा के साथ-साथ जननायक जनता पार्टी (JJP) और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने मूलत: सिरसा जिले से ताल्लुक रखने वाले चौटाला परिवार के सदस्यों को टिकट दिए हैं। इनमें रणजीत चौटाला, नैना चौटाला और सुनैना चौटाला शामिल है।

चौटाला परिवार मूल रूप से सिरसा जिले में चौटाला गांव का रहने वाला है जो हिसार से लगभग 150 किलोमीटर है। इसी तरह कांग्रेस का टिकट पाने वाले जयप्रकाश उर्फ जेपी मूल रूप से कैथल जिले में कलायत के रहने वाले हैं। हिसार और कलायत की दूरी 90 किलोमीटर है। ऐसे में नतीजों से पहले हिसार में घर खरीदने का जोखिम कोई नहीं उठा रहा है। खुद भाजपा प्रत्याशी भी चुनाव नतीजों के बाद ही अपना घर हिसार में तलाश करेंगे।

संबोधित करते पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह।

भाजपा को आस बीरेंद्र सिंह की नाराजगी भारी पड़ेगी

वहीं भाजपा को आस है कि उचाना और नारनौंद में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ेगी। कांग्रेस दोनों जगह से बड़े अंतर से जीत का दावा कर रही थी, मगर चौधरी बीरेंद्र सिंह ने जयप्रकाश के लिए प्रचार न करके समर्थकों को एक मैसेज देने का काम किया। कांग्रेस इन दोनों हलको से 50 हजार से ऊपर की लीड बनाने का दावा कर रही है मगर भाजपा का कहना है कि यहां भी वह मुकाबले में है और कांग्रेस को पूरी टक्कर देगी। आपको बता दें कि बीरेंद्र सिंह उचाना और नारनौंद दोनों हलको से विधायक रह चुके हैं। चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने भाजपा की टिकट पर हिसार से बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।

जाट वोट बैंक बंटा तो भाजपा को फायदा

हिसार सीट पर सबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं, जो कुल आबादी का करीब 32 प्रतिशत हैं। जाट मतदाता करीब 5 लाख 75 हजार हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति के वोट करीब 23 प्रतिशत हैं। ब्राह्मण मतदाता 1 लाख 20 हजार, पंजाबी 96 हजार, कुम्हार 84 हजार, वैश्य समाज मतदाता 62 हजार, सैनी 58 हजार, बिश्नोई 51 हजार, जांगड़ा 52 हजार, ओड़ समाज 35 हजार, अहीर 32 हजार, सैन समाज 28 हजार, गुर्जर 21 हजार, नायक 17 हजार, लोहार 17 हजार, सुनार 14 हजार और सिंधी करीब साढ़े 10 हजार हैं। ऐसे में भाजपा को आस है कि इनेलो और जजपा में जाट वोट बैंक बंटेगा जिससे उसकी बड़ी जीत होगी। वहीं कांग्रेस का दावा है कि जाट वोट बैंक नहीं बटेगा और कांग्रेस को फायदा होगा।

जयप्रकाश एवं पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह।

क्या हिसार में 20 साल का सूखा खत्म करेगी कांग्रेस

हरियाणा में हिसार लोकसभा सीट पर कांग्रेस 20 साल से कोई चुनाव नहीं जीत पाई है। 2004 में कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी ने हिसार में अंतिम बार चुनाव जीता था, मगर उसके बाद से अब तक कांग्रेस के पाले में सूखा है। अब फिर से कांग्रेस ने जयप्रकाश जेपी को मैदान में उतारा हैं। अब न तो जिंदल परिवार कांग्रेस के साथ है और न ही भजनलाल परिवार। दोनों परिवार अब भाजपा के साथ हैं। ऐसे में कांग्रेस को जीत के लिए जयप्रकाश के चेहरे, इनेलो में फूट और भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी से आस है।

अब तक 18 सांसद में कांग्रेस के 7 चुने गए

हिसार लोकसभा में अब तक 18 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। यहां 7 बार ही कांग्रेस जीत पाई है। वहीं इनेलो 3 बार और भजनलाल परिवार की हजकां 2 बार चुनाव जीती है। इसके अलावा अलग-अलग दल चुनाव जीते हैं। भाजपा ने 2019 में पहली बार कमल खिलाया था। वहीं चौटाला परिवार में 2014 में इस सीट पर दुष्यंत चौटाला जीते थे।

 

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