कैथल में महिला रोडवेज कर्मचारी ने अधिकारी पर लगाए गए बदनीयती और ब्लैकमेलिंग के गंभीर आरोप, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की

नरेंद्र सहारण, कैथल : Kaithal News: सार्वजनिक सेवाओं और कर्मचारियों के बीच अनुशासन और सद्भाव बनाए रखने के लिए नियम-कानून का पालन आवश्यक है। लेकिन जब कार्यस्थल पर ही गलत व्यवहार, दबाव और बदनीयती की घटनाएं सामने आती हैं, तो इससे न केवल कर्मचारी का मनोबल गिरता है बल्कि संगठन की छवि भी धूमिल होती है। ऐसी ही एक घटना हरियाणा के कैथल जिले के रोडवेज डिपो में सामने आई है, जहां एक महिला कर्मचारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारी पर बदनीयती, दबाव बनाने और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। यह मामला चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि इसमें न केवल महिला कर्मचारी का मान-सम्मान दांव पर है बल्कि यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि कार्यस्थल पर अधिकारियों के गलत रवैये से कैसे निपटा जाए।

शिकायत का ब्योरा

 

कैथल के हरियाणा रोडवेज डिपो में कार्यरत एक महिला कंडक्टर ने आरोप लगाया है कि उसके वरिष्ठ स्टेशन सुपरवाइजर, सुनील कुमार ने उसकी बदनीयती से तंग करने दबाव बनाने और ब्लैकमेल कर उसकी गैर हाजिरी लगाने का प्रयास किया है। महिला का दावा है कि यह घटना 2024 के अक्टूबर माह से शुरू हुई और लगातार चलती रही।

उसने आरोप लगाया कि आरोपी अधिकारी उसकी हाजिरी अपने मन से रजिस्टर में डालता था और जब मन होता,तब बिना वजह उसकी गैर हाजिरी लगा देता था, जिससे उसकी नौकरी और प्रतिष्ठा दोनों दांव पर लग गई। महिला कर्मचारी ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी अपने पास उसका हाजिरी रजिस्टर भी रखता था ताकि वह अपनी मर्जी से उसकी हाजिरी या गैर हाजिरी का निर्णय ले सके।

महिला कर्मचारी की शिकायत

 

महिला कर्मचारी ने बताया कि वह हरियाणा रोडवेज की कैथल डिपो में 2018 से सेवा में है। वह एक सामान्य कंडक्टर के रूप में कार्यरत है और उसकी मेहनत और ईमानदारी से कार्य करने का प्रयास रहा है। लेकिन उसके वरिष्ठ अधिकारी सुनील कुमार के रवैये ने उसके जीवन को नरक बना दिया है। शिकायत में उसने कहा कि आरोपी अधिकारी ने उसके साथ बदमाशी और बदनीयती का व्यवहार शुरू किया। उसने उसके ऊपर दबाव बनाया कि वह उसकी मनमर्जी से हाजिरी रजिस्टर में अपनी ड्यूटी की उपस्थिति दर्ज कराए। जब उसने इन बातों का विरोध किया तो आरोपी ने उसे ब्लैकमेल करने और उसकी मानसिकता को दबाने का प्रयास किया।

आरोप का आधार और शिकायत की प्रक्रिया

 

महिला ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आरोपी अधिकारी हर समय उसकी हाजिरी रजिस्टर अपने पास रखता था और उसकी मर्जी के बिना ही उसमें बदलाव कर देता था। उसने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने उससे कहा कि यदि वह उसकी बात मान ले, तो उसकी गैर हाजिरी ठीक से दर्ज हो जाएगी, और यदि नहीं, तो उसके ऊपर कार्रवाई की जाएगी। महिला का कहना है कि वह अपने सम्मान और इज्जत के डर से इन सब बातों को सहती रही, लेकिन जब स्थिति बिगड़ने लगी और उसकी नौकरी पर खतरा मंडराने लगा, तो उसने उच्च अधिकारियों और संबंधित विभाग को शिकायत कर दी।

शिकायत के बाद की कार्रवाई

शिकायत मिलने के बाद हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज ने इस मामले का संज्ञान लिया। उन्होंने तत्कालीन स्थिति का निरीक्षण किया और आरोपी अधिकारी सुनील कुमार को निलंबित कर दिया। इसके अलावा, महिला कर्मचारी का तबादला कैथल से चंडीगढ़ के आईएसबीटी सैक्टर 43 में कर दिया गया ताकि स्थिति में सुधार हो सके। इधर महिला कर्मचारी ने मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने अनुभव को साझा किया, जिससे यह मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया।

पुलिस का कदम और जांच का प्रारंभ

 

सिविल लाइन थाना प्रभारी राजकरण ने बताया कि शिकायत मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ़ धारा 506 (आपराधिक धमकी), 354 (महिला के साथ अभद्रता), 354C (स्टॉकिंग), और आवश्यकतानुसार एससी एसटी एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

जांच प्रक्रिया और आगामी कदम

फिलहाल, पुलिस ने आरोपी अधिकारी से पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस की प्राथमिकता है कि आरोप की सत्यता का पता लगाया जाए और यदि आरोप सही पाए गए, तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, महिला कर्मचारी का बयान भी दर्ज किया गया है। पुलिस का कहना है कि वे आरोपों की सत्यता की जांच कर रहे हैं और यदि आवश्यक हुआ, तो आरोपी को गिरफ्तार भी किया जाएगा।

प्रशासनिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

 

मंत्री अनिल विज ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि महिला कर्मचारियों का सम्मान और सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। डिपो प्रबंधन और विभागीय अधिकारी भी इस मामले को लेकर सतर्क हैं। उन्होंने आश्वासन दिया है कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

सामाजिक और महिला अधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया

महिला अधिकार संगठनों ने इस घटना की निंदा की है और कहा है कि कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं और पीड़ित महिलाओं को न्याय मिले। संगठनों ने यह भी कहा कि महिलाओं का आत्मसम्मान और सुरक्षा सर्वोपरि है और ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।

संबंधित विभागों की जिम्मेदारी

 

इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है कि विभागीय स्तर पर कार्यशैली में सुधार हो। उचित प्रशिक्षण, निगरानी और शिकायत प्रणाली मजबूत की जाए ताकि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी अपने पद का दुरुपयोग न कर सके।

जागरूकता और महिला सुरक्षा

महिला कर्मचारियों को चाहिए कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और जब भी कोई अनुचित व्यवहार हो, तो तुरंत संबंधित विभाग और पुलिस को सूचित करें। कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभागीय स्तर पर सतर्कता आवश्यक है।

सामाजिक जागरूकता और समर्थन

सामाजिक स्तर पर भी महिलाओं का समर्थन और उनका आत्मविश्वास बढ़ाना जरूरी है। उन्हें यह भरोसा दिलाना चाहिए कि वे किसी भी अनुचित व्यवहार का सामना कर सकती हैं और उनके साथ न्याय होगा।

न्याय और सुधार का रास्ता

यह मामला केवल एक कर्मचारी-प्रशासनिक विवाद नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक मुद्दा भी है। यह दर्शाता है कि कैसे कार्यस्थल पर अनुशासन, सम्मान और सुरक्षा का अभाव हो सकता है। सरकार, विभाग और समाज सभी की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे मामलों को गंभीरता से लें, दोषियों को उचित सजा दिलाएं और महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित करें। तभी हम एक सुरक्षित, पारदर्शी और न्यायपूर्ण कार्यस्थल का निर्माण कर सकते हैं। आशा है कि इस घटना से सबक लेकर भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी, और कार्यस्थल पर सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। तभी हम एक सशक्त और समान समाज का सपना साकार कर सकते हैं।

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