सिरसा एयरबेस पर पाकिस्तानी मिसाइल हमले को भारतीय वायुसेना ने किया नाकाम, हरियाणा के गांवों में गिरे अवशेष

सिरसा में पाकिस्तान की ओर से किए गए हमले के बाद बरामद मिसाइल की मलबा।

नरेन्‍द्र सहारण, नई दिल्ली/सिरसा: India Pakistan War: भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार शाम को एक अल्पकालिक और लगभग तुरंत ही टूट जाने वाले संघर्ष विराम की घोषणा से कुछ घंटे पहले, पाकिस्तान ने एक और दुस्साहसिक और अत्यंत भड़काऊ कार्रवाई को अंजाम दिया था। शुक्रवार देर रात (शनिवार तड़के लगभग 12 बजे के बाद), पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हरियाणा स्थित सिरसा एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाते हुए एक मिसाइल दागी, जिसे भारतीय वायुसेना के सतर्क और सक्षम एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। इस घटना ने न केवल “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट और आक्रामक मंसूबों को उजागर किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि शनिवार शाम को हुआ संघर्ष विराम समझौता और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा शांति की बातें महज एक दिखावा थीं, जबकि पाकिस्तानी सेना पर्दे के पीछे से युद्ध की आग भड़काने में लगी हुई थी।

रात का आतंक और भारतीय वायुसेना की सफलता

 

शुक्रवार देर रात, जब सिरसा और आसपास के क्षेत्र गहरी नींद में थे, पाकिस्तानी सेना ने अपनी नापाक हरकत को अंजाम दिया। एक मिसाइल सिरसा एयरफोर्स स्टेशन की ओर तेजी से बढ़ी, लेकिन भारतीय वायुसेना के एयर डिफेंस रडार ने खतरे को तुरंत भांप लिया। स्वचालित और मानवयुक्त प्रणालियों के एक अचूक समन्वय के साथ, एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय हुआ और हमलावर पाकिस्तानी मिसाइल को उसके लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही हवा में नष्ट कर दिया।

मिसाइल के नष्ट होने से एक जोरदार धमाका हुआ, जिसकी आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई। इस इंटरसेप्शन के परिणामस्वरूप, पाकिस्तानी मिसाइल के अवशेष सिरसा शहर के नजदीक स्थित गांव खाजाखेड़ा, रानियां खंड के गांव फिरोजाबाद और ओटू के उन खेतों में बिखर गए, जो एयरफोर्स स्टेशन से लगभग तीन किलोमीटर से लेकर 15 किलोमीटर के दायरे में आते थे। गनीमत रही कि इन अवशेषों के गिरने से कोई जान-माल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इसने ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत जरूर फैला दी।

प्रत्यक्षदर्शियों का विवरण और अवशेषों की बरामदगी

शनिवार सुबह जब ग्रामीण अपने खेतों की ओर गए, तो उन्होंने विभिन्न स्थानों पर धातु के बड़े-बड़े टुकड़े और मिसाइल के अन्य अवशेष देखे।

खाजाखेड़ा: नष्ट पाकिस्तानी मिसाइल का एक बड़ा अवशेष सिरसा के खाजाखेड़ा गांव में भाजपा नेता प्रदीप रातसुरिया के खेतों में गिरा। गांव की खेत्रपाल कॉलोनी में घटना के समय अपनी छत पर सो रहे गुलशन नामक व्यक्ति ने बताया कि आधी रात के समय उन्होंने आसमान से एक तेज रोशनी वाली वस्तु को पास के खेत में गिरते देखा, जिसके तुरंत बाद एक भयानक धमाका हुआ। जब वह उठकर देखने गए, तो खेत में मिट्टी उड़ रही थी और मिसाइल के अवशेषों से हल्की आग भी निकल रही थी।
फिरोजाबाद: रानियां खंड के गांव फिरोजाबाद में घग्गर नदी के किनारे रहने वाले प्रत्यक्षदर्शी सोहनलाल और काला सिंह ने बताया कि वे रात को अपने घर के बाहर सो रहे थे। लगभग 12 बजकर 10 मिनट पर उन्हें एक बहुत तेज धमाके की आवाज सुनाई दी, जिससे उनका पूरा परिवार जाग गया। शनिवार सुबह उन्होंने कुंदन लाल निवासी फिरोजाबाद के खेत में लोहे का एक लगभग 5 से 6 फुट लंबा और भारी टुकड़ा पड़ा देखा।
ओटू: इसी के नजदीक ओटू गांव में हनुमान मंदिर के पास शनिवार शाम करीब चार बजे मिसाइल का तीसरा बड़ा अवशेष मिला।

ग्रामीणों ने तुरंत इन रहस्यमयी अवशेषों की सूचना स्थानीय पुलिस प्रशासन को दी। सूचना मिलते ही भारतीय वायुसेना के जवान और सिरसा पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। उन्होंने तुरंत प्रभावित क्षेत्रों की घेराबंदी की और ग्रामीणों की मदद से मिसाइल के सभी बिखरे हुए अवशेषों को एकत्र कर गहन जांच और विश्लेषण के लिए एयरफोर्स स्टेशन ले जाया गया।

सिरसा एयरफोर्स स्टेशन: भारत का एक महत्वपूर्ण सामरिक गढ़

 

पाकिस्तान द्वारा सिरसा एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाना कोई संयोग नहीं है। इस एयरबेस का निर्माण 1960 के दशक के आसपास हुआ था और यह भारतीय वायुसेना के सबसे महत्वपूर्ण और अग्रिम ठिकानों में से एक है।

आधुनिक क्षमता: यहां भारतीय वायुसेना के कई आधुनिक लड़ाकू जेट स्क्वाड्रन तैनात हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने में सक्षम हैं।
भौगोलिक स्थिति: राजस्थान के श्रीगंगानगर और पंजाब के फाजिल्का जिले में पाकिस्तान के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा के अत्यंत निकट होने के कारण यह एयरबेस सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। सिरसा से पाकिस्तान की हवाई दूरी महज 140 किलोमीटर है।
दिल्ली की सुरक्षा: यह एयरबेस राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर किसी भी संभावित हवाई हमले को रोकने में एक महत्वपूर्ण अग्रिम रक्षा पंक्ति के रूप में कार्य करता है।
ऐतिहासिक महत्व: भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1965 और 1971 के युद्धों में भी इस एयरबेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और यह पाकिस्तानी हमलों का निशाना भी बना था। 1971 के युद्ध में इसकी हवाई पट्टी को मामूली नुकसान पहुंचा था, लेकिन इसे जल्द ही ठीक कर लिया गया था।

इसकी इन्हीं क्षमताओं और रणनीतिक अवस्थिति के कारण पाकिस्तान इसे एक उच्च-मूल्य लक्ष्य मानता है। इस पर किया गया मिसाइल हमला पाकिस्तान की उस गहरी मंशा को दर्शाता है कि वह भारत की सैन्य तैयारियों और महत्वपूर्ण रक्षा प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाना चाहता है।

सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

 

पाकिस्तानी मिसाइल हमले के नाकाम प्रयास के बाद सिरसा एयरफोर्स स्टेशन और उसके आसपास के पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था पहले से कहीं अधिक कड़ी कर दी गई है। डबवाली रोड और एयरबेस की ओर जाने वाले अन्य सभी मार्गों पर हरियाणा पुलिस के जवानों और सशस्त्र कमांडो की तैनाती बढ़ा दी गई है। पुलिस द्वारा बाहरी क्षेत्रों में सघन तलाशी अभियान भी चलाए जा रहे हैं ताकि किसी भी अन्य संदिग्ध गतिविधि या संभावित खतरे का पता लगाया जा सके। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी एयरफोर्स स्टेशन पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और वायुसेना के अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की।

संघर्ष विराम की घोषणा से पहले का खतरनाक खेल

 

यह मिसाइल हमला शनिवार शाम 5 बजे हुए भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम समझौते से कुछ ही घंटे पहले हुआ था। इसने संघर्ष विराम की पूरी प्रक्रिया और इसके पीछे की मंशाओं पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।

“ऑपरेशन सिंदूर” का प्रतिशोध?: 7-9 मई को भारत द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि पाकिस्तान कोई जवाबी कार्रवाई कर सकता है। सिरसा पर मिसाइल हमला उसी प्रतिशोध की एक कड़ी हो सकता है, जो दर्शाता है कि पाकिस्तान आसानी से हार मानने वाला नहीं है।
पाकिस्तानी सेना की स्वायत्तता: यह घटना एक बार फिर पाकिस्तानी सेना की उस स्वायत्त और आक्रामक मुद्रा को दर्शाती है जो अक्सर उसके नागरिक नेतृत्व के शांति प्रयासों पर भारी पड़ती है। यदि पाकिस्तानी सेना शुक्रवार देर रात भारत के एक प्रमुख एयरबेस पर मिसाइल हमले की योजना बना रही थी और उसे अंजाम दे रही थी, तो शनिवार शाम को उसके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा अमेरिकी मध्यस्थता के लिए धन्यवाद देना और शांति की बातें करना कितना खोखला और विरोधाभासी लगता है। यह सवाल उठता है कि क्या शहबाज शरीफ को अपनी सेना की इन कार्रवाइयों की जानकारी थी, या उन्हें अंधेरे में रखा गया था?

संघर्ष विराम का नाटक और भारत का कड़ा रुख

 

शनिवार शाम को जब संघर्ष विराम की घोषणा हुई, तो एक क्षण के लिए लगा कि शायद तनाव कम होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसका श्रेय लिया और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने उनका आभार भी जताया। लेकिन कुछ ही घंटों में, पाकिस्तानी रेंजर्स ने नियंत्रण रेखा पर विभिन्न सेक्टरों में भारी गोलीबारी शुरू कर दी और ड्रोन भेजकर इस समझौते की धज्जियां उड़ा दीं। सिरसा पर हुआ मिसाइल हमला, जो इस संघर्ष विराम उल्लंघन से पहले हुआ था, यह दिखाता है कि पाकिस्तान की ओर से शांति की कोई वास्तविक मंशा थी ही नहीं।

इन घटनाओं के आलोक में भारत सरकार का यह कहना कि ‘अगर भविष्य में भारत पर कोई भी आतंकी हमला होता है, तो इसे ‘एक्ट ऑफ वॉर’ (युद्ध की कार्रवाई) माना जाएगा,’ और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। सिरसा पर मिसाइल हमला एक पारंपरिक सैन्य हमला था, जो आतंकी कार्रवाई से कहीं अधिक गंभीर है। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान किसी भी स्तर तक जाने को तैयार है। भारत का यह कड़ा रुख पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि अब उसकी किसी भी नापाक हरकत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

भारत की नीति स्पष्ट

 

सिरसा एयरफोर्स स्टेशन पर पाकिस्तानी मिसाइल हमला, जिसे भारतीय वायुसेना ने सफलतापूर्वक विफल कर दिया, एक अत्यंत गंभीर घटना है। यह न केवल पाकिस्तान की आक्रामक सैन्य मुद्रा को प्रदर्शित करता है, बल्कि उसके दोहरे चरित्र को भी उजागर करता है, जहां नागरिक नेतृत्व शांति की बातें करता है, जबकि सेना युद्ध की तैयारी में जुटी रहती है। इस घटना ने शनिवार को हुए अल्पकालिक संघर्ष विराम को एक क्रूर मजाक में बदल दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तानी सेना अपने राजनीतिक नेतृत्व के नियंत्रण से बाहर है या फिर दोनों मिलकर दुनिया की आंखों में धूल झोंक रहे हैं।

भारत ने अपनी ओर से संयम और दृढ़ता दोनों का परिचय दिया है। वायुसेना की सफलता ने देश की रक्षा क्षमताओं को एक बार फिर साबित किया है, वहीं सरकार के कड़े बयानों ने भविष्य के लिए भारत की नीति स्पष्ट कर दी है। अब यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर भी निर्भर करता है कि वह पाकिस्तान की इन हरकतों का संज्ञान ले और उस पर अपनी धरती से आतंकवाद तथा आक्रामक सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए दबाव बनाए। फिलहाल, सिरसा और सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव व्याप्त है, और भारत किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

 

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