Jaunpur News: जौनपुर में ब्राह्मण समाज पर अभद्र टिप्पणी करने वाले वकील की अग्रिम जमानत रद

जौनपुर, बीएनएम न्यूजः जौनपुर में सोशल मीडिया पर ब्राह्मण समाज पर अभद्र टिप्पणी के आरोप में दीवानी न्यायालय के निष्कासित पूर्व मंत्री बरसातू राम सरोज की अग्रिम जमानत याचिका जिला जज वाणी रंजन अग्रवाल ने खारिज कर दी है। यह मामला 25 और 27 सितंबर को सोशल मीडिया पर की गईं विवादास्पद टिप्पणियों से जुड़ा है।

सवर्ण आर्मी के जिलाध्यक्ष प्रवीण तिवारी ने बरसातू राम के खिलाफ लाइन बाजार थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि 25 सितंबर को बरसातू राम ने इंटरनेट मीडिया पर ब्राह्मण समाज के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी।

हिंदू देवी-देवताओं पर भी अभद्र टिप्पणी

इसके अलावा, मड़ियाहूं में प्रधान संघ अध्यक्ष सुधीर सिंह विद्रोही ने भी 27 सितंबर को एफआईआर दर्ज कराते हुए बताया कि बरसातू राम सरोज की फेसबुक आईडी से मत्स्य पुराण का विकृत रूप पोस्ट कर विशेष समुदाय के खिलाफ गलत संदेश प्रसारित किया गया, जिसमें देवी-देवताओं पर भी अभद्र टिप्पणी की गई थी।

धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई

जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) सतीश पांडेय, प्रवीण सिंह और विकास तिवारी ने अदालत में तर्क दिया कि आरोपी ने सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणियां कर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इसके अलावा, बरसातू राम सरोज पर 2019 में भी इसी प्रकार का मामला दर्ज हो चुका है, जिसे छिपाकर आरोपी ने झूठा शपथपत्र प्रस्तुत किया था।कोर्ट ने बरसातू राम सरोज को अग्रिम जमानत के लिए संतोषजनक आधार नहीं पाया और उनकी याचिका को खारिज कर दिया है।

हाईकोर्ट ने दंडात्मक कार्रवाई पर लगायी है रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समुदाय विशेष के खिलाफ ऑनलाइन अभद्र सामग्री पोस्ट करने के मामले में जौनपुर के वकील को राहत देते हुए उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने अधिवक्ता बरसातू राम सरोज की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को दिया।

याची ने याचिका दाखिल कर बीएनएस की धारा 353 (2) और आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 के तहत उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की है। बीएनएस की धारा 353 (2) में धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, जाति या समुदाय या किसी भी अन्य आधार पर, विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना की भावना पैदा करने या बढ़ावा देने के इरादे से या जिसके पैदा होने या बढ़ावा देने की संभावना है।

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