Jaunpur News: उमानाथ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का प्रयास, साइबर सेल कर रही जांच, आप ऐसे बचें

जौनपुर, बीएनएम न्यूजः उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के प्रयास का मामला सामने आया है। एक युवक ने डॉक्टर को वीडियो कॉल कर खुद को मुंबई का बड़ा पुलिस अधिकारी बताया।

सीबीआई का फर्जी पत्र भेजकर ठगी का प्रयास किया। पीड़ित ने मामले की पुलिस से शिकायत की है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

उमानाथ सिंह मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. शादाब ने पुलिस को बताया कि बीते कई दिनों से उनके मोबाइल पर अलग-अलग नंबर से स्कैम कॉल आ रही थी। कॉल करने वाला युवक कभी खुद को सीबीआई ऑफिसर तो कभी खुद को कस्टम का अधिकारी बताता था। पैसे ट्रांसफर करने को कह रहा था।

ठग ने खुद को मुंबई का बड़ा पुलिस अधिकारी बताया

उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में एक वीडियो कॉल आई थी, जिसमें ठग ने खुद को मुंबई का बड़ा पुलिस अधिकारी बताया और सीबीआई का फर्जी लेटर भेजा। घर वालों के बैंक के डिटेल्स के बारे में भी पूछा। इसके बाद डॉक्टर ने डर में उससे वीडियो कॉल पर बात की।

डॉ शादाब को हुआ ठगी का अहसास

डॉ शादाब ने बताया ठग ने उनसे एक कमरे में जाने को कहा और कॉल की जानकारी किसी को न देने से मना किया। पैसे ट्रांसफर करने की बात कही। इसके बाद डॉक्टर को ठगी का अहसास हुआ। डॉक्टर ने उसकी कॉल को कट कर दी।

साइबर सेल कर रही मामले की जांच

इस घटना की पूरी जानकारी साइबर सेल और पुलिस को दी। थाना प्रभारी मनोज सिंह ने बताया कि पीड़ित डॉक्टर ने साइबर सेल में शिकायत की है। उन्हें पैसा ट्रांसफर करने के लिए माना किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट एक साइबर स्‍कैम है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फोन करने वाले कभी पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई और दिल्‍ली या मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर आत्मविश्वास से बात करते हैं। वॉट्सएप या स्काइप कॉल पर जब कनेक्‍ट करते हैं तो आपको फर्जी अधिकारी एकदम असली से लगते हैं। वे लोग पीड़ित इमोशनली और मेंटली टॉर्चर करते हैं।यकीन दिलाते हैं कि उनके सा उनके परिजन के साथ कुछ बुरा हो चका है या होने वाला है। सामने बैठा व्‍यक्ति पुलिस की वर्दी में होता है, ऐसे में ज्‍यादातर लोग डर जाते हैं और उनके जाल में फंसते चले जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट का खेल कैसे खेला जाता है?

  • अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल आती है।
  • किसी में फंसने या परिजन के किसी मामले में पकड़े जाने का जानकारी दी जाती है।
  • धमकी देकर वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • स्कैमर्स मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स का धंधा या अन्‍य अवैध गतिविधियों का आरोप लगाते हैं।
  • पीड़ित को परिवार या फिर किसी को भी इस बारे में कुछ न बताने की धमकी दी जाती है।
  • वीडियो कॉल करने वाले व्‍यक्ति का बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन जैसा नजर आता है।
  • पीड़ित को लगता है कि पुलिस उससे ऑनलाइन पूछताछ कर रही है या मदद कर रही है।
  • केस को बंद करने और गिरफ्तारी से बचने के लिए मोटी रकम की मांग की जाती है।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-एन) ने लोगों को डिजिटल अरेस्ट से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है। सीईआरटी ने बताया डिजिटल अरेस्ट से कैसे बच सकते हैं…
  • सतर्क रहे, सुरक्षित रहें: कोई भी सरकारी जांच एजेंसी आधिकारिक संचार के लिए वॉट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग नहीं करतीं। जबकि ऑनलाइन ठग इन्हीं का इस्तेमाल कर रहे हैं। शुरुआत में शक होने पर तुरंत फोन काट दें। फोन पर लंबी बातचीत करने से बचें।
  • इग्नोर करेंः साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट के लिए पीड़ितों को फोन कॉल, ई-मेल से संदेश भेजते हैं। बताते हैं कि आप मनी लॉन्ड्रिंग या चोरी जैसे अपराधों के तहत जांच के दायरे में हैं। ऐसे किसी कॉल और ई-मेल पर ध्यान न दें।
  • घबराएं नहींः साइबर ठग कॉल पर बातचीत के दौरान गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हैं। उनकी बातचीत और फर्जी तर्कों से घबराहट हो सकती है, लेकिन घबराना नहीं है। न ही बैंक डिटेल व यूपीआई आईडी शेयर करनी है।
  • जल्दबाजी करनें से बचे: कॉल या वीडियो कॉल पर ठगों के सवालों और तर्कों का जवाब देने में जल्दबाजी न करें। शांत रहें, सिर्फ सुनें। अनजान नंबरों से आए सामान्य और वीडियो कॉल पर भी कोई निजी जानकारी न दें।
  • साक्ष्य जुटाएं: कॉल के स्क्रीनशॉट या वीडियो रिकॉर्डिंग सेव करें ताकि आवश्यक होने पर उपयोग कर सकें।
  • फिशिंग से बचें: कॉल के अलावा ई-मेल के जरिए ऐसे संदेश भेजे जा रहे हैं, जो अविश्वसनीय लगते हैं, ये फिशिंग के मामले हैं। इसमे ठग आपके कंप्यूटर तक पहुंचकर व्यक्तिगत जानकारी चुराते हैं।किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या वेबसाइट cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें। 

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