Jaunpur News: इंजीनियर आत्महत्या मामले में ससुराल वाले घर छोड़कर भागे, चार लोगों के खिलाफ एफआईआर
जौनपुर, बीएनएम न्यूजः Atul Subhash Suicide: बेंगलुरु पुलिस के जौनपुर पहुंचने से पहले आत्महत्या करने वाले AI इंजीनियर अतुल सुभाष की सास और साला घर छोड़कर भाग गए। देर रात तक 12 बजे इंजीनियर की ससुराल के घर के बाहर मीडियाकर्मियों का जमावड़ा रहा।
जैसे ही मीडियाकर्मी वहां से हटे, बुधवार रात डेढ़ बजे सास निशा और साला अनुराग सिंघानिया ने घर पर ताला लगाया। गली से भागते हुए सास मेन सड़क पर पहुंची। बेटा बाइक लेकर वहां खड़ा हुआ था। इसके बाद मां-बेटे फरार हो गए। कहां गए? यह बात पता नहीं चली है।
बेंगलुरु पुलिस जांच के सिलसिले में बुधवार को जौनपुर पहुंचने वाली थी, लेकिन नहीं आई। अब पुलिस आज पहुंचेगी। अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु में उनके फ्लैट से मिला था। इस मामले में 4 लोगों पर FIR दर्ज की गई है। FIR में अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया और चाचा ससुर सुशील सिंघानिया का नाम है।
इधर, मां-बेटे के भागते वक्त का एक वीडियो सामने आया है। इसमें सास मीडियाकर्मी के सामने हाथ जोड़ रही है। मीडियाकर्मी ने उनसे पूछा कि कहां जा रही हैं? लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अतुल सुभाष की ससुराल जौनपुर शहर के पॉश इलाके रुहट्टा में है। 3 मंजिला बिल्डिंग में ससुराल वाले रहते हैं।
फ्लैट में मिला था AI इंजीनियर का शव
मूल रूप से बिहार के रहने वाले अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट में उनके फ्लैट से बरामद हुआ। पड़ोसियों ने उनके घर का दरवाजा तोड़ा तो बॉडी फंदे पर लटकी मिली। कमरे में ‘जस्टिस इज ड्यू’ (न्याय बाकी है) लिखी एक तख्ती मिली। अतुल के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने उनकी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है।
अतुल ने जौनपुर की जज पर लगाए गंभीर आरोप
अतुल ने जौनपुर की जज रीता कौशिक पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने लेटर में लिखा है- जज ने मामले को रफा-दफा करने के नाम पर 5 लाख रुपए मांगे थे। यह भी लिखा कि उनकी पत्नी और सास ने उन्हें सुसाइड करने को कहा था, इस पर उक्त जज हंस पड़ी थीं।
कौन हैं जज रीता कौशिक
रीता कौशिक जौनपुर में फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने 20 मार्च 1996 को मुंसिफ के तौर पर न्यायिक पारी की शुरुआत की थी। 1999 में वह सहारनपुर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट रहीं। साल 2000 से 2002 तक मथुरा में एडिशनल सिविल जज रहीं। बाद में सिविल जज बनीं। 2003 में तबादले के बाद अमरोहा आ गईं।
उन्होंने 2003 से 2004 तक लखनऊ में स्पेशल CJM की जिम्मेदारी संभाली। प्रमोशन के बाद एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बनीं। 2018 में पहली बार अयोध्या में फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज बनीं। 2022 तक अयोध्या में रहने के बाद जौनपुर आईं।
अतुल की आखिरी इच्छा- मुझे न्याय न मिले तो अस्थियां गटर में बहा दें
अतुल ने अपनी आखिरी इच्छा में लिखा- मेरे केस की सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट हो। पत्नी मेरा शव न छू सके। जब तक प्रताड़ित करने वालों को सजा न हो, मेरी अस्थियां विसर्जित न हों। यदि भ्रष्ट जज, मेरी पत्नी और उसके परिजन को कोर्ट बरी कर दे तो मेरी अस्थियां उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दी जाएं। मेरे बेटे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दी जाए।
निकिता के चाचा का दावा, मुझे गलत फंसाया जा रहा
निकिता के चाचा सुशील सिंघानिया ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि न तो वह और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य घटनास्थल पर मौजूद था। उन्होंने कहा, मुझे पता चला कि मेरा भी नाम एफआईआर में है। मैं निर्दोष हूं। मैं वहां था ही नहीं। हमें मीडिया के जरिये उसकी आत्महत्या के बारे में पता चला। हमारे परिवार का कोई भी सदस्य घटनास्थल पर मौजूद नहीं था।
पिछले तीन साल से कोर्ट में केस चल रहा है और इस दौरान हमारा उससे या उसके परिवार से कोई संवाद नहीं हुआ। इसमें हमारी कोई गलती नहीं है। केस चल रहा है… कोर्ट फैसला करेगा और फैसला सुनाएगा। उन्होंने आगे कहा कि सुभाष द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं।
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