Jharkhand Elections Results 2024: झामुमो गठबंधन की बड़ी जीत, हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी

रांची, बीएनएम न्‍यूज। झारखंड में एक्जिट पोल के तमाम अनुमानों को धत्ता बताते हुए हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने 81 में 56 सीटें हासिल कर दोबारा सत्ता में शानदार वापसी की है। वहीं हेमंत सोरेन को सत्ता से बेदखल कर डबल इंजन की सरकार बनाने की उम्मीदें पाले भाजपा औऱ उसकी सहयोगी पार्टियां पिछले चुनाव से भी खराब प्रदर्शन करते हुए 24 सीटों पर सिमट गईं।

झामुमो ने झारखंड गठन के बाद से लेकर अबतक की सबसे बड़ी जीत हासिल करते हुए 34 सीटें जीतीं, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 16, राजद ने चार और भाकपा (माले) ने दो सीटों पर जीत हासिल की। झारखंड के राजनीतिक इतिहास में पहली बार किसी गठबंधन ने दोबारा दो तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी की है। हेमंत सोरेन की लहर में जहां राजग पीछे चला गया, वहीं भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी सिर्फ एक सीट पर सिमट गई। राजग गठबंधन में भाजपा को 21, और एक-एक सीटें आजसू, जनता दल यूनाइटेड व लोजपा (रामविलास) के खाते में आई।

भाजपा के नेताओं में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी भी चंदनकियारी से चुनाव हार गए। वहीं झामुमो छोड़कर भाजपा में आए लोबिन हेंब्रम तथा सोरेन परिवार का बड़ी बहू सीता सोरेन और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आईं गीता कोड़ा को भी हार का सामना करना पड़ा। कोल्हान के बड़े नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने सरायकेला से अपनी सीट तो जीती, लेकिन उनके बेटे बाबूलाल सोरेन घाटशिला में चुनाव हार गए।

राज्य की आदिवासी सुरक्षित 28 सीटों में भाजपा केवल चम्पाई सोरेन वाली सरायकेला सीट ही भाजपा के हिस्से में आ सकी। शेष 27 सीटें आइएनडीआइए के खाते में गईं। कमीशन घोटाला में ईडी के हाथों गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की पत्नी निसात आलम पाकुड़ से सबसे अधिक मतों से चुनाव जीती हैं।

हेमंत, बाबूलाल जीते, हेमंत सरकार के चार मंत्री हारे

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट से और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय से चुनाव जीतीं। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने धनवार से जीत हासिल की। भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू के प्रदेश अध्यक्ष सुदेश महतो सिल्ली से चुनाव हार गए हैं। हेमंत सोरेन सरकार के चार मंत्री भी चुनाव हार गए हैं। मंत्री मिथिलेश ठाकुर को गढ़वा में भाजपा के सत्येंद्र तिवारी से हार मिली, वहीं बन्ना गुप्ता को जमशेदपुर पश्चिम सीट पर पूर्व मंत्री सरयू राय ने हराया। इसी तरह डुमरी में मंत्री बेबी देवी को हराकर जेएलकेएम के अध्यक्ष जयराम महतो जीते। लातेहार सीट पर झामुमो प्रत्याशी व मंत्री बैद्यनाथ राम भाजपा प्रत्याशी प्रकाश राम से चुनाव हार गए हैं।

जयराम महतो बने बड़े फैक्टर

 

पहली बार राज्य में जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) ने एक सीट के साथ खाता खोला। चंद दिनों पहले ही राजनीति की शुरुआत करने वाली इस पार्टी ने राज्य की सभी सीटों पर दमदार प्रदर्शन किया और कई सीटों पर दूसरा व तीसरा स्थान हासिल किया। कुरमी-महतो आदि जातियों के जनाधार वाली आजसू पार्टी के वोट भी सबसे ज्यादा जेएलकेएम ने ही काटे। वहीं भाजपा को भी कई सीटों पर नुकसान पहुंचाया।

हेमंत सोरेन का भावुक संदेश

 

जीत की ओर बढ़ते झामुमो गठबंधन के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर अपने बेटों की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “मेरी ताकत।” सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय सीट से चुनाव लड़ रही थीं। शुरुआती रुझानों में वह 12 हजार वोटों से पीछे थीं, लेकिन अंत में उन्होंने बाजी मार ली। यह जीत सोरेन परिवार के लिए खास महत्व रखती है।

चुनाव प्रक्रिया और रिकॉर्ड तोड़ मतदान

झारखंड में दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को मतदान हुआ। इस बार 68% मतदान दर्ज किया गया, जो राज्य के विधानसभा चुनावों में अब तक का सबसे अधिक है। इससे पहले 2019 के चुनाव में 65% मतदान हुआ था।

पिछले चुनाव में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने 47 सीटें जीती थीं, जिसमें झामुमो को 30, कांग्रेस को 16 और राजद को 1 सीट मिली थी। वहीं, भाजपा को 25 सीटें मिली थीं।

हेमंत सोरेन की जीत के मुख्य कारक

-मंइयां सम्मान योजना के कारण महिलाओं ने दिया अपार समर्थन।
-मुफ्त बिजली योजना का मिला भरपूर लाभ।
-जेल से बाहर निकलने के बाद हेमंत सोरेन की दिशोम गुरु शिबू सोरेन की छवि।
– भाजपा के प्रचार के मुकाबले ध्रुवीकरण पर रोक लगाने में पाई सफलता।
-हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन का धुंआधार प्रचार अभियान।
-साथी दल कांग्रेस, राजद, भाकपा (माले) के साथ सीटों का बेहतर तालमेल।
-ईडी की कार्रवाई के कारण सहानुभूति का पूरा लाभ उठाया।

भाजपा की हार के प्रमुख कारण

 

-चम्पाई सोरेन आदिवासी सुरक्षित सीटों पर नहीं हुए असरकारक।
-बाग्लादेशी घुसपैठ, डेमोग्राफी में बदलाव का मुद्दा नहीं हुआ कारगर।
-राज्य के बाहर से आए नेताओं शिवराज सिंह चौहान, हिमंत बिस्व सरमा पर अधिकाधिक निर्भरता।
-चुनाव के दौरान ईडी, आयकर की कार्रवाई का नकारात्मक असर।
-बागी नेताओं को मनाने के बावजूद भितरघात।
-जेएलकेएम ने की वोटों में सेंधमारी।
क्षेत्रीय समीकरण और राजनीतिक जादू

राजद के नेता तेजस्वी यादव ने झारखंड में अपनी पार्टी का प्रभाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। राजद के 6 उम्मीदवारों में से 5 ने बढ़त बनाई है। राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने इसे तेजस्वी यादव के नेतृत्व का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “झारखंड में तेजस्वी यादव का जादू सिर चढ़कर बोला।”

एग्जिट पोल्स और वास्तविकता

चुनाव के बाद आए 8 एग्जिट पोल्स में से 4 ने भाजपा गठबंधन की जीत का अनुमान जताया था। 2 एग्जिट पोल्स ने इंडिया गठबंधन (झामुमो-कांग्रेस-राजद) की जीत की संभावना बताई थी। जबकि 2 पोल्स ने हंग असेंबली का पूर्वानुमान दिया था। लेकिन वास्तविक नतीजों ने झामुमो गठबंधन को स्पष्ट बहुमत दिया।

2019 बनाम 2024 का अंतर

 

2019 में भाजपा को 25 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार उसका आंकड़ा घटकर 21-24 तक सीमित रहने की संभावना है। वहीं, झामुमो ने अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए स्पष्ट बहुमत हासिल किया है।

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में झामुमो गठबंधन की जीत ने यह साबित कर दिया कि हेमंत सोरेन का नेतृत्व और गठबंधन का सामाजिक-आर्थिक समीकरण जनता के बीच मजबूत है। भाजपा के लिए यह परिणाम चुनौतीपूर्ण है, जबकि झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने अपनी पकड़ को और मजबूत किया है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि हेमंत सोरेन की अगली सरकार किन प्राथमिकताओं के साथ राज्य को आगे ले जाती है।

 

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