कैथल की बेटी राजस्थान जज के तौर पर देगी सेवाएं, रुबल ने पहली बार में किया 76वां रैंक हासिल

जज बनने के बाद परिवार के साथ खुशी मनाते हुए रूबल।

नरेंद्र सहारण, कैथल। Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले की कलायत विधानसभा क्षेत्र के गांव सिसमौर की 25 वर्षीय बेटी रुबल ने अपनी मेहनत और लगन से राजस्थान राज्य में जज बनने का सपना साकार कर लिया है। साधारण किसान परिवार में जन्मी रुबल ने राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा में 76वीं रैंक हासिल कर यह मुकाम पाया है। उनकी इस सफलता ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। रुबल की यह उपलब्धि दिखाती है कि बेटियां अपनी काबिलियत के दम पर अपने राज्य ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी पहचान बना सकती हैं।

संघर्ष और शिक्षा की राह

रुबल के ताऊ करनैल सिंह ने बताया कि यह उनके गांव के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि पहली बार किसी ने न्यायिक क्षेत्र में इतना बड़ा मुकाम हासिल किया है। इससे गांव और आसपास के क्षेत्र में खुशी की लहर है। अपनी प्रारंभिक शिक्षा कैथल जिले के राधा कृष्ण स्कूल से पूरी करने के बाद रुबल ने कानून की पढ़ाई करने का संकल्प लिया। उनकी लगन और मेहनत से परिवार को उनके जज बनने की पूरी उम्मीद थी।

रुबल ने आगे की पढ़ाई सोनीपत के भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय से की, जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई के दौरान न्यायिक सेवाओं में जाने का लक्ष्य तय किया। उनका सपना अपने परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन करने का था, और इसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की। उनके इस सफर में परिवार का पूरा सहयोग था, जो उनके आत्मविश्वास का आधार बना।

पारिवारिक संघर्ष और समर्थन

रुबल की इस सफलता के पीछे उनके परिवार का बलिदान और समर्थन अहम रहा है। उनके पिता दलजीत सिंह का निधन 22 अगस्त 2024 को हो गया, जिससे परिवार पर एक भारी संकट आ गया। रुबल के अनुसार, पिता की असमय मृत्यु ने उन्हें तोड़ दिया था, और उस समय उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता कठिन लगने लगा। लेकिन उनकी मां प्रीति, और उनके भाई रणदीप और बहन रुबी ने उनका साथ दिया और उन्हें हिम्मत दी। पूरे परिवार ने मुश्किल हालातों का सामना करते हुए रुबल को प्रोत्साहित किया, जिससे वह दुगने जोश और साहस के साथ अपने सपने की ओर बढ़ सकीं।

रुबल की मां प्रीति ने बताया कि बेटी की इस सफलता से उनकी आंखें गर्व से नम हो गईं। उन्होंने कहा कि जिस तरह बेटे को अवसर देकर आगे बढ़ाया जाता है, उसी तरह अगर बेटियों को भी प्रोत्साहित किया जाए, तो वे समाज में एक नई पहचान बना सकती हैं। माँ के लिए यह गर्व का क्षण था, क्योंकि उनकी बेटी ने कठिन परिस्थितियों में भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने हौसले के बल पर यह सफलता हासिल की।

समाज और क्षेत्र के लिए प्रेरणा

रुबल की सफलता न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि उनके गांव और क्षेत्र के लोगों के लिए भी एक प्रेरणा है। इतिहास के प्रवक्ता प्रेम सिंह ने कहा कि रुबल की मेहनत और लगन से मिली इस सफलता ने ग्रामीण अंचल का सिर गर्व से ऊंचा किया है। उन्होंने कहा कि यह कहानी अन्य युवाओं को प्रेरित करेगी कि अगर जज्बा हो, तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। रुबल की इस यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत और समर्पण से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

रुबल ने अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए बताया कि वह इस सफलता का श्रेय अपने परिवार को देती हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उनकी माँ और भाई-बहन ने हर कदम पर उनका साथ दिया और उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे अपने लक्ष्य की ओर बिना रुके बढ़ती रहें।

क्षेत्रीय उपलब्धियों का विस्तार

रुबल के जज बनने से कलायत के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को एक नया प्रोत्साहन मिला है। उनके इस कदम से यह संदेश गया है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली बेटियां भी न्यायिक क्षेत्र में अपना करियर बना सकती हैं। यह उपलब्धि दर्शाती है कि यदि बेटियों को सही मार्गदर्शन और अवसर दिए जाएं, तो वे समाज में एक सम्मानित स्थान प्राप्त कर सकती हैं।

भारतीय समाज में बेटियों को प्रायः सीमित अवसर दिए जाते हैं, परंतु रुबल ने साबित कर दिखाया कि अगर उन्हें समान अवसर मिलें, तो वे भी उन सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना सकती हैं जहाँ बेटों का प्रभुत्व माना जाता है। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि बेटियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि वे भी अपने सपनों को पूरा कर सकें।

एक नया प्रेरणास्त्रोत

रुबल की सफलता से हरियाणा के कैथल जिले के लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि को लेकर ग्रामीणों में एक नया उत्साह और आत्मविश्वास देखा जा सकता है। कई लोग उन्हें इस सफलता के लिए बधाई दे रहे हैं और उनके संघर्ष को एक प्रेरणा के रूप में देख रहे हैं। उनके ताऊ करनैल सिंह ने कहा कि रुबल की यह सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण होगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी में आत्मविश्वास और मेहनत करने का जज्बा हो, तो वह किसी भी क्षेत्र में नाम कमा सकता है।

रुबल की यह उपलब्धि सभी के लिए प्रेरणादायक है, और यह साबित करती है कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में भी बड़ा मुकाम हासिल करने का माद्दा होता है। उनकी कहानी अन्य युवाओं को प्रेरणा देगी कि कठिन परिश्रम, समर्पण और आत्मविश्वास के साथ किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

रुबल की इस कहानी से यह भी समझा जा सकता है कि सफलता की राह में कठिनाइयाँ आती हैं, परंतु अगर परिवार और समाज का समर्थन मिले, तो कोई भी चुनौती पार की जा सकती है। उनकी उपलब्धि ने यह भी साबित कर दिया है कि बेटियाँ समाज का गौरव हैं और अगर उन्हें अवसर मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में अपनी योग्यता साबित कर सकती हैं।

उनकी यह उपलब्धि आने वाले समय में भी कई बेटियों को अपने सपने पूरे करने के लिए प्रेरित करेगी और ग्रामीण अंचल में शिक्षा के प्रति एक नया विश्वास जगाएगी।

 

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