कैथल डिपो को बड़ा झटका: एनसीआर क्षेत्र के लिए 78 बीएस-6 बसें भेजीं, रोडवेज यूनियन के नेताओं और यात्रियों ने जताई नाराजगी

नरेन्‍द्र सहारण , कैथल : Kaithal News: कैथल डिपो में पिछले साल शामिल हुई बीएस-6 तकनीक की अत्याधुनिक बसें अब यहां के यात्रियों के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगी। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी के निर्देशों पर कैथल डिपो की 78 बीएस-6 बसों को एनसीआर क्षेत्र के जिलों में भेजा गया है। इसके बदले कैथल डिपो में जो बसें आई हैं, वे बीएस-3 और बीएस-4 तकनीक की पुरानी और खराब हालत वाली बसें हैं। इन बसों की मरम्मत में समय और धन दोनों की खपत होगी। यह स्थिति यात्रियों और डिपो प्रबंधन के लिए गंभीर समस्या खड़ी कर सकती है।

एनसीआर क्षेत्र में क्यों भेजी गईं बसें?

 

हरियाणा सरकार ने हाल ही में वायु प्रदूषण की समस्या को देखते हुए एनसीआर क्षेत्र में बीएस-6 तकनीक की बसों को तैनात करने का निर्णय लिया। इसके तहत कैथल डिपो की 78 बसों को झज्जर, भिवानी, और जींद जैसे जिलों में भेजा गया। हालांकि, इसके बदले में कैथल को जो 48 बसें मिलीं, वे तकनीकी रूप से पुरानी और खराब स्थिति में हैं।

कैथल डिपो के महाप्रबंधक कमलजीत चहल ने बताया कि यह कदम सरकार की कमेटी के निर्देशों के तहत उठाया गया है। चूंकि कैथल एनसीआर क्षेत्र में नहीं आता, इसलिए यहां की बसों को प्रदूषण नियंत्रण के मद्देनजर एनसीआर जिलों में भेजा गया।

कैथल डिपो में घटा बसों का संचालन

 

इस बदलाव के बाद कैथल डिपो की बसों की संख्या में भारी कमी आई है। वर्तमान में डिपो में कुल 192 बसें थीं, जिनमें से 96 बीएस-6 तकनीक की थीं। लेकिन अब इनमें से 48 बसें एनसीआर क्षेत्र में भेजे जाने के बाद, डिपो में सिर्फ 48 बीएस-6 तकनीक की बसें बची हैं। यह कमी यात्रियों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है।

खराब बसों के कारण बढ़ेगी मुश्किलें

 

डिपो में आई बीएस-3 और बीएस-4 तकनीक की बसें बेहद खराब हालत में हैं। रोडवेज वर्कशॉप में काम करने वाले कर्मी बलजीत सिंह ने बताया कि इन बसों की मरम्मत में काफी समय और संसाधन खर्च होंगे। इनकी बॉडी, इंजन और अन्य हिस्से खराब स्थिति में हैं।

यात्रियों की सुरक्षा भी इन बसों के चलते खतरे में पड़ सकती है। रोडवेज कर्मियों ने बताया कि इन बसों को लंबे रूटों पर चलाना जोखिम भरा होगा।

यूनियन ने जताया रोष

 

रोडवेज कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने इस निर्णय पर नाराजगी जाहिर की है। कर्मचारी नेता बलवान कुंडू और महाबीर संधू ने इसे यात्रियों के साथ खिलवाड़ करार दिया। उनका कहना है कि बीएस-6 तकनीक की नई बसों को हटाकर पुरानी और खराब बसों को डिपो में भेजना सरकार की गैर-जिम्मेदाराना नीति को दर्शाता है।

कर्मचारी नेता कृष्ण किच्छाना ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।

पिछले अनुभव भी खराब

 

यूनियन नेताओं ने बताया कि पिछले साल भी कैथल डिपो को दिल्ली डिपो की बीएस-3 तकनीक की आठ बसें मिली थीं। ये बसें इतनी खराब थीं कि एक साल में ही कंडम हो गईं। अब उसी प्रकार की बसों को फिर से डिपो में भेजा जा रहा है, जिससे यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ेंगी।

कैथल से किन जिलों में भेजी गईं बसें?

 

झज्जर: 35 बसें
भिवानी: 7 बसें
जींद: 7 बसें
एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से इन जिलों में बीएस-6 बसों को संचालित करने का फैसला लिया गया है।

यात्रियों के लिए क्या होगा असर?

 

इस फैसले का सीधा असर कैथल डिपो से यात्रा करने वाले यात्रियों पर पड़ेगा। कम बसों की उपलब्धता के चलते यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। साथ ही, खराब बसों में यात्रा करना न केवल असुविधाजनक होगा, बल्कि यह उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है।

सरकार का पक्ष

 

महाप्रबंधक कमलजीत चहल ने कहा कि सरकार के आदेशों के तहत ही बसों का स्थानांतरण किया गया है। एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि बीएस-3 और 4 तकनीक की बसें पुरानी हैं और इनमें सुधार की जरूरत होगी।

क्या है समाधान?

यूनियन नेताओं का कहना है कि सरकार को कैथल डिपो में भी बीएस-6 तकनीक की पर्याप्त बसें उपलब्ध करानी चाहिए। खराब बसों को लंबे रूटों पर चलाने के बजाय, इन्हें जल्द से जल्द कंडम घोषित किया जाना चाहिए।

कई चुनौतियां

 

कैथल डिपो में बीएस-6 बसों के स्थानांतरण और उनके बदले में खराब बसों के आगमन ने यात्रियों और रोडवेज कर्मियों के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। सरकार का उद्देश्य भले ही एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण कम करना है, लेकिन कैथल के यात्रियों की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

रोडवेज कर्मचारी और यात्री दोनों ही इस स्थिति से नाखुश हैं और सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं। यदि इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो यह कैथल डिपो के लिए एक गंभीर संकट का रूप ले सकती है।

 

VIEW WHATSAAP CHANNEL

भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi  के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्‍शन

 

You may have missed