Kaithal News: दौलतपुर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के कलायत रेलवे स्टेशन पर ठहराव की मांग

नरेन्‍द्र सहारण, कलायत। Kaithal News: हरियाणा के कलायत रेलवे स्टेशन पर दौलतपुर-साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के ठहराव की मांग जोर पकड़ती जा रही है। दैनिक रेल यात्री संघ के सदस्य रवि शंकर कौशिक, दया शंकर गर्ग, और रोहताश धानिया सहित कई अन्य लोगों ने इस मांग को उठाते हुए कलायत की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को प्रमुख आधार बताया है। कलायत को भगवान कपिल की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है और यह स्थल देशभर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। भगवान कपिल के दर्शन करने के लिए यहां सालभर तीर्थयात्रियों का आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा, बालाजी मंदिर जैसे अन्य धार्मिक स्थल भी यहां लोगों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं।

सैकड़ों गांवों के लिए एक प्रमुख केंद्र

 

कलायत रेलवे स्टेशन केवल एक धार्मिक स्थल का द्वार ही नहीं है, बल्कि आसपास के सैकड़ों गांवों के यात्रियों के लिए भी यह एक प्रमुख परिवहन केंद्र है। यहां से यात्रा करने वाले लोग न केवल धार्मिक उद्देश्यों से बल्कि दैनिक कार्यों के लिए भी नियमित रूप से ट्रेन सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। रेल यात्री संघ ने इस ट्रेन के ठहराव को बेहद जरूरी बताया है, ताकि यहां के लोगों को सुविधाजनक रेल सेवा मिल सके। रोहताश धानिया ने कहा कि कलायत क्षेत्र की जनता लंबे समय से इस मांग को उठा रही है, लेकिन अब तक उनकी आवाज अनसुनी रही है।

हस्ताक्षर अभियान और ज्ञापन

 

इस ट्रेन के ठहराव की मांग को लेकर संघर्ष समिति के पदाधिकारी सक्रिय रूप से अभियान चला रहे हैं। रोहताश धानिया ने बताया कि इस मुद्दे पर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया है, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए। रेल मंत्रालय से लेकर सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों तक, सभी को ज्ञापन सौंपा जा चुका है। तत्कालीन सांसद नायब सैनी और मौजूदा सांसद नवीन जिंदल को भी कई बार ज्ञापन देकर निवेदन किया गया है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएं।

संघ के सदस्यों ने यह भी बताया कि पूर्व में केंद्रीय मंत्रियों को ज्ञापन सौंपने के बाद भी इस मांग को पूरा नहीं किया गया है। अब क्षेत्र के लोग और संघर्ष समिति के सदस्य इस अभियान को और तेज करने की योजना बना रहे हैं, ताकि उनकी आवाज रेल मंत्रालय तक पहुंच सके और उनकी मांगों को गंभीरता से लिया जाए।

धार्मिक महत्ता और क्षेत्र का महत्व

 

कलायत न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि यह पौराणिक स्थल भी है। महर्षि कपिल मुनि की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध यह स्थान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां देशभर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, और इसके बावजूद ट्रेन का ठहराव नहीं होने से उन्हें भारी परेशानी होती है। रवि शंकर कौशिक ने कहा कि जब उचाना और जुलाना जैसे छोटे स्टेशनों पर इंटरसिटी ट्रेन का ठहराव हो सकता है, तो कलायत को इससे वंचित क्यों रखा गया है। उन्होंने कहा कि यहां भी रेल सेवा में सुधार होना चाहिए ताकि श्रद्धालु और अन्य यात्री आसानी से यात्रा कर सकें।

इतिहास की झलक

 

कलायत रेलवे स्टेशन का इतिहास भी दिलचस्प है। वर्ष 1890 से 1957 के बीच इस स्टेशन पर चार गाड़ियां ही चलती थीं, जिनमें जींद से कुरुक्षेत्र, कुरुक्षेत्र से जींद, अंबाला से नरवाना, और नरवाना से अंबाला यात्री गाड़ी शामिल थीं। 1970 में जींद से कुरुक्षेत्र और कुरुक्षेत्र से जींद के बीच यात्री गाड़ी शुरू हुई। इसके बाद 2014 में कुरुक्षेत्र-दिल्ली और जयपुर-चंडीगढ़ ट्रेनें शुरू हुईं, लेकिन कलायत स्टेशन पर इन ट्रेनों का ठहराव नहीं दिया गया।

तत्कालीन सांसद नायब सिंह सैनी ने बतौर सांसद इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था। वर्तमान मुख्यमंत्री ने भी कलायत स्टेशन की उपेक्षा को लेकर आवाज उठाई थी, लेकिन अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। रेल यात्री संघ के सदस्य इस बात पर जोर देते हैं कि उनकी मांग पूरी होना जरूरी है ताकि क्षेत्र के लोग बेहतर परिवहन सुविधाओं का लाभ उठा सकें।

आगे की योजना

 

संघ के सदस्यों और क्षेत्र के लोगों का कहना है कि वे एक बार फिर से संघर्ष समिति के माध्यम से ठहराव की मांग को लेकर अभियान शुरू करेंगे। उनका उद्देश्य है कि दौलतपुर-साबरमती एक्सप्रेस के अलावा चंडीगढ़-जयपुर इंटरसिटी ट्रेन का भी कलायत रेलवे स्टेशन पर ठहराव सुनिश्चित हो।

इस मांग को पूरा करने से न केवल श्रद्धालुओं को राहत मिलेगी, बल्कि आसपास के गांवों के लोग भी बेहतर परिवहन सेवा का लाभ उठा सकेंगे। दया शंकर गर्ग ने कहा कि यह मुद्दा केवल यात्रियों की सुविधा का नहीं है, बल्कि यह कलायत के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार रेल मंत्रालय उनकी मांग को गंभीरता से लेगा और कलायत के लोगों को निराश नहीं करेगा।

एक्सईएन वरुण कंसल ने कहा कि रेल मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन को इस मुद्दे को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि कलायत क्षेत्र के लोग सुविधाजनक और सुरक्षित रेल यात्रा का लाभ उठा सकें। संघर्ष समिति के सदस्य भी इसे लेकर पूरी तरह से तैयार हैं और उन्होंने कहा है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे।

 

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