Kaithal News: पैक्स में डीएपी खाद की कमी के कारण किसान परेशान, गेहूं की बुवाई में परेशानी

नरेंद्र सहारण, राजौंद। Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले के राजौंद क्षेत्र में डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद की भारी कमी ने किसानों को गहरे संकट में डाल दिया है। लगभग 25 दिनों से पैक्स (प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी) में डीएपी खाद की आपूर्ति नहीं हो पाई है, जिसके चलते गेहूं की बुवाई के इस महत्वपूर्ण समय में किसानों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
डीएपी खाद की मांग और आपूर्ति की समस्या
राजौंद पैक्स में 9 गांवों के किसान अपने खेतों में आवश्यक खाद और बीज की आपूर्ति के लिए बैंक पर निर्भर रहते हैं। इन गांवों में किसान हर साल इसी मौसम में गेहूं की बुवाई करते हैं, जिसमें डीएपी खाद की आवश्यकता होती है। खाद की कमी के कारण किसानों को एक गांव से दूसरे गांव तक दौड़ लगानी पड़ रही है, लेकिन डीएपी खाद मिलना मुश्किल हो रहा है। राजौंद पैक्स के तहत चार वितरण केंद्र हैं—गांव नीम वाला, गांव रोहेडा, गांव बीर बांगड़ा और राजौंद। इन केंद्रों पर आसपास के नौ गांवों के किसान खाद-बीज लेते हैं। इस बार डीएपी खाद की आपूर्ति में हो रही देरी से इन सभी गांवों के किसानों को बुवाई के लिए आवश्यक खाद नहीं मिल पा रहा है।
किसानों की शिकायतें और उनकी समस्याएं
राजौंद के किसानों का कहना है कि हर बार जब गेहूं की बुवाई का समय आता है, तो उन्हें डीएपी खाद की कमी की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह खाद उनके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह गेहूं की पैदावार को बेहतर बनाने में सहायक होता है। डीएपी खाद की कमी से न केवल उनकी खेती पर असर पड़ रहा है, बल्कि उन्हें अन्य जगहों पर जाकर खाद ढूंढने के लिए अतिरिक्त समय और पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
किसानों ने शिकायत की है कि सरकारी स्तर पर हर बार वादा किया जाता है कि इस बार समय पर खाद उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन फिर भी हर साल उन्हें यही समस्या झेलनी पड़ती है। खेती के लिए आवश्यक समय पर खाद न मिलने से उनकी मेहनत और फसल दोनों पर असर पड़ता है, और अंत में उत्पादन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
पैक्स प्रबंधक का बयान और खाद की उपलब्धता
राजौंद पैक्स के प्रबंधक महेंद्र राणा ने खाद की कमी की समस्या पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि राजौंद में लगभग 3,000 कट्टे डीएपी खाद की आपूर्ति की गई थी, लेकिन जरूरत 7,000 कट्टों की है। किसानों की भारी मांग को देखते हुए यह आपूर्ति काफी कम है। महेंद्र राणा ने यह भी बताया कि वर्तमान में किसानों की मांग को पूरा करने के लिए अधिक डीएपी खाद की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि बुधवार तक खाद की नई खेप बैंक में पहुंच जाएगी, जिससे किसानों को राहत मिल सकेगी और उनके लिए खाद उपलब्ध कराई जा सकेगी।
प्रबंधक का कहना था कि खाद की मांग के चलते इस बार देरी हुई है, लेकिन प्रशासन और सप्लायर्स के साथ बातचीत के बाद उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यह संकट दूर हो जाएगा। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि जैसे ही खाद पहुंचेगा, प्राथमिकता के आधार पर किसानों में वितरित किया जाएगा, ताकि उनकी खेती का काम समय पर हो सके।
खेती पर खाद की कमी का प्रभाव
किसान बताते हैं कि गेहूं की बुवाई के लिए डीएपी खाद की समय पर उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण है। डीएपी खाद मिट्टी को पौधों के लिए आवश्यक फॉस्फोरस और नाइट्रोजन प्रदान करता है, जिससे पौधों का विकास तेजी से होता है और फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती है। खाद न मिलने की स्थिति में किसानों को न सिर्फ अपने उत्पादन में कमी का सामना करना पड़ता है, बल्कि उनकी मेहनत भी बेकार जाती है।
इस बार डीएपी खाद की कमी का प्रभाव अधिक गहरा हो रहा है, क्योंकि किसान इसकी कमी के कारण अपनी बुवाई की योजनाओं में बदलाव करने पर मजबूर हो रहे हैं। कई किसान बाज़ार से खाद खरीदने के लिए विवश हैं, जिससे उनकी खेती का खर्च बढ़ रहा है और उन्हें आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है।
सरकारी समाधान की आवश्यकता
किसानों की यह समस्या हर साल गेहूं की बुवाई के समय में सामने आती है। इस बार भी राजौंद क्षेत्र के किसान इसी समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में सरकार को समय रहते इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि वह खाद की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक उपाय अपनाए और वितरण प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए कदम उठाए।
किसान समुदाय का मानना है कि सरकार अगर खाद की समय पर उपलब्धता को सुनिश्चित कर सके, तो इससे उनकी खेती पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और उनकी मेहनत को उचित परिणाम मिलेंगे। किसानों के लिए खाद का समय पर मिलना उनकी उपज बढ़ाने में सहायक साबित हो सकता है और उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार ला सकता है।
राजौंद में डीएपी खाद की कमी ने गेहूं की बुवाई के समय में किसानों को मुश्किलों का सामना करने पर मजबूर कर दिया है। प्रबंधक महेंद्र राणा ने उम्मीद जताई है कि बुधवार तक खाद की आपूर्ति हो जाएगी। हालांकि, हर साल किसानों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार और संबंधित विभागों को इस दिशा में स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है। किसान उम्मीद कर रहे हैं कि भविष्य में उन्हें इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े और उनकी खेती के लिए आवश्यक खाद की आपूर्ति समय पर हो सके, ताकि उनकी मेहनत का फल उन्हें मिल सके।
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