Kaithal News: कैथल जिले में पराली जलने पर दो और किसानों पर एफआईआर दर्ज, एक गिरफ्तार

नरेन्द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले में जिला प्रशासन द्वारा लगातार सख्ती और जागरूकता अभियानों के बावजूद पराली जलाने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। प्रशासन की ओर से पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई जारी है, जिसके तहत कई किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है और जुर्माने भी लगाए जा रहे हैं। जिले में अब तक 143 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 101 किसानों के खेतों में रेड एंट्री डाल दी गई है, ताकि उन पर सख्त निगरानी रखी जा सके।
पराली जलाने पर जिले में प्रशासन की कार्रवाई
शनिवार को पराली जलाने का कोई नया मामला सामने नहीं आया, लेकिन प्रशासन ने जिले में दो और किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसके अलावा, सदर थाना क्षेत्र के धौंस गांव से एक और किसान को गिरफ्तार किया गया है। प्रशासन की सख्ती के बाद अब तक जिले में कुल 23 किसानों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें एक महिला किसान भी शामिल है। हालांकि, पुलिस ने इन सभी किसानों को तुरंत जमानत पर छोड़ दिया।
पराली जलाने के मामलों पर पुलिस और कृषि विभाग की ओर से मिलकर सख्त निगरानी रखी जा रही है, ताकि जिले में वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. बाबू लाल ने बताया कि जिला प्रशासन के आदेशों का पालन करते हुए किसानों को लगातार पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। किसानों को बताया जा रहा है कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ता है।
जिले में वायु प्रदूषण की स्थिति और प्रशासनिक कार्रवाई
कैथल जिले में पराली जलाने की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर भी चिंताजनक स्थिति में है। पिछले कुछ दिनों से जिले में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 200 के ऊपर बना हुआ है, और शनिवार को भी यह स्तर 216 दर्ज किया गया। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती है और इससे लोगों में सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, और अन्य श्वास संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं।
कृषि विभाग ने जिले के 101 किसानों के खेतों को रेड एंट्री में डालकर इसे पोर्टल पर अपडेट कर दिया है, ताकि सरकार को इसकी जानकारी मिल सके और भविष्य में इन किसानों पर निगरानी रखी जा सके। यह रेड एंट्री उन किसानों के लिए चेतावनी है जो बार-बार पराली जलाने जैसे गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं। इस पहल का उद्देश्य किसानों को पराली जलाने से रोकना और उन्हें वैकल्पिक उपायों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना है।
पराली जलाने पर जुर्माना और सरकारी प्रयास
प्रशासन ने जिले में पराली जलाने के मामले में अब तक 2 लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके तहत, कई किसानों को चेतावनी दी गई है कि यदि उन्होंने पराली जलाना बंद नहीं किया तो उन पर और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पराली जलाने पर जुर्माने और रेड एंट्री का उद्देश्य किसानों को यह समझाना है कि उनकी इस हरकत का प्रभाव न केवल पर्यावरण पर बल्कि सभी नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
प्रशासन के सख्त कदमों के बावजूद कई किसान अभी भी पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसके पीछे कारणों में एक बड़ी वजह यह भी है कि कुछ किसानों के पास पराली के निपटान के लिए उचित संसाधन और तकनीक की कमी है। इसी के चलते कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ पराली प्रबंधन के नए उपायों के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
पराली न जलाने के लिए जागरूक करने का अभियान
कृषि विभाग की ओर से किसानों को बताया जा रहा है कि पराली जलाना न केवल प्रदूषण को बढ़ाता है बल्कि उनकी जमीन की उर्वरता को भी घटाता है। पराली जलाने के बाद खेतों में मौजूद महत्वपूर्ण पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की गुणवत्ता में कमी आती है। इसी कड़ी में जिला प्रशासन और कृषि विभाग किसानों के लिए कई जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें किसानों को पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों के बारे में बताया जा रहा है।
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए कृषि उपकरणों, जैसे स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर, रोटावेटर, और सुपर सीडर के उपयोग से किसान पराली का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर सकते हैं। इन उपकरणों की मदद से पराली को खेत में ही खाद के रूप में बदल दिया जाता है, जिससे न केवल पर्यावरण को फायदा होता है बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।
वैकल्पिक उपायों की ओर प्रेरित करने का प्रयास
प्रशासन का मानना है कि पराली जलाने की समस्या का समाधान तभी संभव है जब किसान खुद से इसके वैकल्पिक उपायों को अपनाने की पहल करें। जिले में इस दिशा में प्रयासरत प्रशासन ने कई योजनाएं चलाई हैं, जिनमें किसानों को सरकारी अनुदान पर पराली प्रबंधन के उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके साथ ही, किसानों को पराली को खाद या ऊर्जा स्रोत के रूप में इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
जागरूकता अभियानों के साथ-साथ जिला प्रशासन द्वारा उन किसानों पर सख्ती की जा रही है जो चेतावनी के बावजूद पराली जलाने से नहीं रुकते। किसानों के खेतों में रेड एंट्री डालना, उन पर जुर्माना लगाना और एफआईआर दर्ज करना प्रशासन के इन कदमों का हिस्सा है, ताकि जिले में वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और पर्यावरण की रक्षा की जा सके। जिले में इस तरह के प्रयासों से प्रशासन को उम्मीद है कि पराली जलाने के मामलों में धीरे-धीरे कमी आएगी और किसान भी पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझेंगे।
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