Kaithal News: दशहरे पर हनुमान स्वरूपों ने की शहर की परिक्रमा, श्रद्धालु घर आमंत्रित कर ले रहे आशीर्वाद
नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: दशहरा पर्व के अवसर पर हनुमान स्वरूप की नगर परिक्रमा का विशेष महत्व है, जो पूरे शहर में श्रद्धा और उत्साह का संचार करती है। हर साल की तरह इस वर्ष भी श्रद्धालुओं ने हनुमान स्वरूप को अपने घरों पर आमंत्रित कर उनका आशीर्वाद लिया। इस परिक्रमा में ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ शोभा यात्रा निकाली जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में युवा और श्रद्धालु भाग लेते हैं। ढोल की ताल पर सभी उत्साहित होकर नाचते हैं, और जहां-जहां हनुमान स्वरूप जाते हैं, वहां श्रद्धालु उन्हें देखने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच जाते हैं।
बाजारों में हनुमान स्वरूपों को देखने उमड़ी भीड़
शहर के प्रमुख बाजारों, जैसे मेन बाजार और तलाई बाजार, से भी हनुमान स्वरूप की शोभायात्रा निकाली गई। आम दिनों में इन बाजारों में भीड़भाड़ की वजह से पैदल चलना मुश्किल होता है, लेकिन जब हनुमान स्वरूप की परिक्रमा निकलती है, तो दुकानदार स्वतः ही अपनी बाइक, स्कूटर और दुकान के बाहर रखा सामान हटा लेते हैं। यह यात्रा पूरे आदर और श्रद्धा के साथ निकलती है, जिसमें किसी भी प्रकार की बाधा न हो, इसका खास ध्यान रखा जाता है। हनुमान स्वरूप के साथ चलने वाले युवा ढोल की थाप पर खूब नाचते-गाते हैं, और जहां-जहां ये शोभायात्रा पहुंचती है, वहां लोग हनुमान स्वरूप का आशीर्वाद लेने के लिए उमड़ पड़ते हैं। हनुमान स्वरूप उन्हें प्रसाद भी वितरित करते हैं, जिससे वातावरण में धार्मिकता और आस्था का रंग भर जाता है।
घर में हनुमान स्वरूपों का आना माना जाता है शुभ
समिति द्वारा आयोजन इस परिक्रमा का आयोजन श्री राम उत्सव समिति जैसे धार्मिक संगठन करते हैं, और इसका उत्साह दशहरे से लेकर अगले दिन तक बना रहता है। समिति के सदस्य विकास ने बताया कि अष्टमी से दशहरे के अगले दिन तक यह परिक्रमा लगातार चलती है। इस दौरान हनुमान स्वरूप पूरे शहर में घूमते हैं और श्रद्धालुओं के घरों में जाकर उनका आशीर्वाद देते हैं। जिनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, वे हनुमान स्वरूप को अपने घर आमंत्रित करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। दशहरे के दो दिन बाद यह परिक्रमा हरिद्वार में जाकर गंगा के किनारे हवन के साथ समाप्त होती है।
युवा कड़े अनुशासन का पालन करते हैं हनुमान स्वरूप
स्वरूप धारण करने की परंपरा हनुमान स्वरूप धारण करने से पहले युवा कड़े अनुशासन का पालन करते हैं। लगभग 40 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है, जिसमें जमीन या लकड़ी के तख्त पर सोना, 24 घंटे में केवल एक बार भोजन करना और नंगे पैर रहना शामिल है। हनुमान स्वरूप धारण करने से पहले स्वरूप का विधिवत पूजन किया जाता है, और इसके बाद ही युवा यह रूप धारण करते हैं।
हनुमान स्वरूप की यह परिक्रमा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और परंपरा का प्रतीक है, जो समाज में एकता और भक्ति का संदेश देती है।
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