Kaithal News : पानी बिना सूख रही धान की पौध की नर्सरी, एसडीओ बोले- इस दिन आएगा सिरसा ब्रांच में पानी

नरेंद्र सहारण, कैथल : Kaithal News : हरियाणा के कैथल जिले में किसानों की जीवनरेखा और कृषि कार्य का आधार नहरें ही हैं। इन नहरों में पर्याप्त पानी का अभाव किसानों के सामने बड़ी चुनौती बन चुका है। विशेष रूप से धान की रोपाई और फसलों की सिंचाई के लिए आवश्यक पानी की आपूर्ति न होने से किसान चिंतित हैं। लंबे समय से पानी का इंतजार कर रहे किसान इस बार भी जलसंधि को लेकर अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। वहीं, सिंचाई विभाग की ओर से हाल के दिनों में की गई तैयारियों और योजना का उल्लेख करते हुए, उम्मीद जगी है कि जल्द ही किसानों को राहत मिलेगी।
किसान की चिंता
किसानों का मुख्य संघर्ष है कि नहरों में पानी नहीं पहुंच रहा है। खासकर, सिरसा ब्रांच नहर में पानी की कमी ने धान की पौध को खतरे में डाल दिया है। धान जैसे प्रमुख फसल की रोपाई के लिए जल की आवश्यकता अत्यधिक होती है। यदि समय पर पानी नहीं मिलेगा, तो न केवल धान की पौध सूख जाएगी, बल्कि फसल का समय पर बोआई भी संभव नहीं हो पाएगी।
किसानों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से नहरों में पानी की कमी बनी हुई है। इस बार भी, पानी का इंतजार लंबा हो गया है, जिससे उनकी चिंता और बढ़ गई है। कुछ किसानों का यह भी तर्क है कि यदि समय से पानी नहीं मिला तो उनकी सारी मेहनत बेकार जाएगी, और फसल बर्बाद हो सकती है।
जलसंधि विवाद और पिछली बार का अनुभव
पिछली बार भी, लगभग 42 दिनों बाद सिरसा ब्रांच नहर में पानी आया था, जो करीब 15 दिन तक ही उपलब्ध रहा। उस समय पंजाब के साथ जलसंधि को लेकर हुई खींचतान के कारण पानी की आपूर्ति बाधित हुई थी। अधिकारियों का तर्क था कि पंजाब के साथ जलसंधि को लेकर दोनों राज्यों के बीच खींचतान चल रही है, जिसके चलते पानी की सप्लाई पूर्ण रूप से नहीं हो पाई।
यह स्थिति न केवल किसान की चिंता को बढ़ाती है, बल्कि जलस्रोतों के प्रबंधन और सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाती है। यदि जलसंधि विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो भविष्य में भी पानी की कमी बनी रहेगी, जो क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए खतरा साबित हो सकता है।
सिंचाई विभाग की योजनाएं और तैयारियां
सिंचाई विभाग के उप मंडल अभियंता अखिल कौशिक ने जानकारी दी है कि सिरसा ब्रांच नहर में 24 जून को पानी छोड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र के बुडाहेड़ा पॉन्ड में पर्याप्त मात्रा में पानी है, और 25 जून से किसानों को पानी उपलब्ध करवा दिया जाएगा।
यह कदम किसानों की उम्मीदें जगा रहा है कि अब उन्हें उनके खेतों में पानी मिल सकेगा। विभाग का लक्ष्य है कि सिंचाई के लिए आवश्यक मात्रा में पानी समय पर पहुंच जाए ताकि किसानों की फसलें सुरक्षित रह सकें।
पानी की मांग और आपूर्ति का प्रबंधन
सिंचाई विभाग ने हरियाणा सरकार को पूरी पानी की डिमांड भेज दी है। विभाग का दावा है कि वे पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। विभाग ने कहा है कि यदि कोई अनियमितता या बाधा नहीं आई, तो जल्द ही किसानों को पानी की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।
सफाई अभियान और जल निकासी की व्यवस्था
सिंचाई विभाग की ओर से यह भी जानकारी दी गई है कि सफाई कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। कुंडली ट्रेन की लंबाई 26 किलोमीटर है, जिस पर सफाई का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इसके लिए 14,000 मनरेगा मजदूरों की डिमांड की गई है।
ड्रेनों, माइनरों, और डिस्टीब्यूट्री की सफाई के लिए विभाग का प्रयास है कि 16 जून तक यह कार्य पूरा हो जाए। यदि सफाई में देरी होती है, तो मानसून के दौरान जलभराव की समस्या से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि जल निकासी की व्यवस्था सुचारू रूप से काम करे।
जल निकासी और सफाई का महत्व
मानसून के मौसम में जलभराव से निपटना आवश्यक है। विभाग का लक्ष्य है कि नालियों, ड्रेनों और डिस्टीब्यूट्री की सफाई युद्ध स्तर पर की जाए। इसमें गंदगी और कचरे को हटाया जाएगा ताकि पानी का बहाव बाधित न हो। सफाई के दौरान, ड्रेनों में जमा गाद, कचरा, जलकुंभी और पेड़ की टहनियों को भी हटाया जाएगा। इससे न केवल जल निकासी की दर बढ़ेगी, बल्कि जल जमाव की समस्या भी समाप्त होगी।
जोखिम प्रबंधन और मशीनों का प्रयोग
गंभीर इलाकों में, जहां मैनुअल सफाई खतरनाक या संभव नहीं है, वहां मशीनों का प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह कदम जल निकासी की प्रक्रिया को तेज करने और मानसून के दौरान जलभराव से बचाव के लिए आवश्यक है।
निगरानी और नियमितता
सिंचाई विभाग द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सफाई कार्य नियमित रूप से हो। फील्ड में सुपरविजन टीम तैनात की गई है, जो कार्य की प्रगति की निगरानी करेगी। इससे कार्य गुणवत्ता में सुधार होगा और किसी भी तरह की अनियमितता नहीं बचेगी।
आगामी योजनाएं और दीर्घकालिक रणनीति
जल स्रोतों का संरक्षण और प्रबंधन
सिंचाई विभाग का उद्देश्य है कि नहरों में पानी का प्रवाह सुनिश्चित हो। इसके लिए जलसंधि विवाद का समाधान जरूरी है। इसके साथ ही, जल स्रोतों का संरक्षण और सही प्रबंधन आवश्यक है ताकि भविष्य में भी पानी की समस्या न हो।
तकनीक आधारित समाधान
ड्रोन, सीसीटीवी, और स्मार्ट जल प्रबंधन सिस्टम का प्रयोग कर जल संसाधनों की निगरानी की जाएगी। इससे जल प्रवाह का रियल टाइम डेटा मिल सकेगा और आवश्यकतानुसार कदम उठाए जा सकेंगे।
किसान और समुदाय का सहयोग
किसानों को भी जागरूक किया जाएगा कि वे जल स्रोतों का संरक्षण करें और पानी का सदुपयोग करें। साथ ही, उन्हें समय-समय पर जलस्रोतों की स्थिति से अवगत कराया जाएगा।
फसलों का संरक्षण और आय में वृद्धि
जलसंकट का समाधान होने से, फसलों की सुरक्षा होगी। धान, गेहूं, सरसों जैसी मुख्य फसलों की समय पर सिंचाई संभव होगी, जिससे उनकी गुणवत्ता और मात्रा बढ़ेगी।
रोजगार सृजन और आर्थिक स्थिरता
सफाई और जल निकासी कार्य में लगे मजदूरों को रोजगार मिलेगा। मनरेगा योजना के तहत मजदूरों को काम दिया जाएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
सामाजिक स्थिरता और विकास
जल संकट से निपटने के साथ ही, क्षेत्र में सामाजिक स्थिरता आएगी। किसानों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे खेती-किसानी में नए प्रयोग कर सकेंगे। साथ ही, जल स्रोतों का संरक्षण दीर्घकालिक विकास का आधार बनेगा।
निष्कर्ष और क्या है रास्ता
कैथल जिले में किसानों और ग्रामीण समुदाय की प्रमुख समस्या जल की कमी और सफाई का है। विभाग की योजनाएं, सफाई अभियान और जलसंधि विवाद का समाधान तलाशने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
जलसंधि विवाद का स्थायी समाधान और जल स्रोतों का संरक्षण अब आवश्यक हो चुका है। विभाग ने सफाई और जल निकासी के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है, जो 16 जून तक पूरा करने का लक्ष्य है।
यदि यह प्रयास सफलता प्राप्त करते हैं, तो न केवल किसानों को उनके फसलों का लाभ मिलेगा, बल्कि क्षेत्र में जलभराव और सूखे की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। इससे क्षेत्र का आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास सुनिश्चित होगा।
आशा और अपेक्षा
आशा है कि आगामी दिनों में, सरकार और विभाग की सक्रियता, तकनीक का प्रयोग और सामुदायिक सहयोग से जल समस्या का स्थायी समाधान निकलेगा। किसानों को समय पर पानी मिलना और सफाई कार्य की सफलता क्षेत्र के समग्र विकास का आधार बनेगी।
संबंधित सुझाव और दिशा-निर्देश
जलसंधि विवाद का शीघ्र समाधान निकालना आवश्यक है।
जल स्रोतों का संरक्षण, अवैध खनन और प्रदूषण से रोकथाम जरूरी है।
किसानों को जागरूक कर जल का सदुपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
तकनीक का प्रयोग और निगरानी से जल स्रोतों का बेहतर प्रबंधन संभव है।
सभी विभाग और किसान मिलकर जल संकट का समाधान कर सकते हैं।