Kaithal News: सात करोड़ के सफाई घोटाले में फरार आरोपी भगोड़ा घोषित करने की तैयारी, एसीबी की जांच तेज

नरेन्‍द्र सहारण , कैथल : Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिला परिषद में 2021 में हुए सात करोड़ रुपये के बहुचर्चित सफाई घोटाले का मामला एक बार फिर चर्चा में है। इस मामले में डिप्टी सीईओ और दो जूनियर इंजीनियर (जेई) सहित सात आरोपित अब भी फरार हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इन्हें पकड़ने के प्रयास तेज कर दिए हैं और अब आरोपितों को अदालत से भगोड़ा घोषित करने की तैयारी की जा रही है। इतना ही नहीं, इन पर इनाम घोषित करने की योजना भी बनाई जा रही है।

घोटाले में कौन-कौन हैं शामिल?

इस मामले में उस समय के डिप्टी सीईओ जसविंद्र, कनिष्ठ अभियंता साहिल और जसवीर, ठेकेदार एवं भाजपा नेता प्रवीण सरदाना, तिलकराज, सुमित मिगलानी और कमलजीत पर केस दर्ज किया गया था। कुल 15 आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज हुई थी। इनमें से आठ आरोपितों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि सात अब भी फरार हैं।

गिरफ्तारी की स्थिति और रिकवरी

गिरफ्तारी

अगस्त 2023 में एसीबी ने इस मामले में आठवें आरोपित को गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी ऋषि नगर निवासी ठेकेदार रोहताश की थी। जांच में पता चला कि रोहताश ने 72 लाख रुपये गबन किए थे, जिसमें से डेढ़ लाख रुपये की रिकवरी की गई।

अब तक गिरफ्तार हुए आरोपित

 

अब तक एसडीओ नवीन कुमार, पंचायती राज विभाग के जेई जसबीर सिंह, अकाउंटेंट कुलवंत, और ठेकेदार दिलबाग सिंह, अभय संधू, राजेश, अनिल और रोहताश को गिरफ्तार किया गया है। इनसे लाखों रुपये की वसूली भी हो चुकी है।

घोटाले की पूरी कहानी

 

2021 में पंचायत चुनाव से पहले जिला परिषद ने 31 करोड़ 64 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की थी। इसमें से 15.31 करोड़ रुपये गांवों की सफाई के लिए और बाकी की राशि सामुदायिक केंद्र, गलियां और श्मशान के निर्माण कार्यों पर खर्च होनी थी।

लेकिन इस राशि का इस्तेमाल योजनाओं के अनुरूप नहीं हुआ। ठेकेदारों और अधिकारियों ने मिलकर पंचायतों के नाम पर फर्जी बिल बनवाए और सरकारी धन का बड़ा हिस्सा हड़प लिया।

कैसे दिया गया घोटाले को अंजाम?

 

केवल तीन करोड़ रुपये वास्तव में सफाई कार्य और अन्य योजनाओं पर खर्च किए गए।
सात करोड़ रुपये ठेकेदारों की फर्म के माध्यम से आरोपितों के खातों में डाल दिए गए।
गांवों में जेसीबी मशीन और मजदूरों के नाम पर कागजी दिखावा किया गया, लेकिन सफाई कार्य जमीन पर नहीं हुआ।

जांच में क्या-क्या हुआ सामने?

एसीबी ने जब राजनेताओं और पार्षदों के संदेह पर जांच शुरू की, तो बड़ा गबन सामने आया। एसीबी की टीमें गांवों में पहुंचीं और सरपंचों और ग्रामीणों से बातचीत की। उन्होंने पाया कि गांवों में न तो कोई सफाई हुई थी और न ही अन्य योजनाओं पर काम हुआ था।

एसीबी की कार्रवाई और आगे की योजना

एसीबी ने जिला परिषद से संबंधित रिकॉर्ड जब्त कर लिया है और गहराई से जांच कर रही है।
आरोपितों की संपत्ति को सील करने के लिए संबंधित विभागों को पत्र लिखा गया है।
फरार आरोपितों पर इनाम घोषित करने और उन्हें भगोड़ा घोषित कराने की प्रक्रिया चल रही है।

अदालत में होगी कार्रवाई

एसीबी के प्रभारी महेंद्र ने कहा कि डिप्टी सीईओ, दो जेई और चार ठेकेदार अभी भी फरार हैं। इन आरोपितों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अदालत से इन्हें भगोड़ा घोषित करवाने और इनके खिलाफ इनाम घोषित करने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है।

जिला परिषद के सात करोड़ रुपये के इस घोटाले ने शासन और प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एसीबी की सक्रियता और जांच से उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी। हालांकि, फरार आरोपितों की गिरफ्तारी और पूरी राशि की रिकवरी अभी भी इस मामले में सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। अब देखना होगा कि एसीबी इस घोटाले में और कितनी प्रगति कर पाती है।

 

 

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