Kaithal News: एसजीपीसी के फैसले पर बवाल- अकाली दल हरियाणा के पदाधिकारियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

नरेन्द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: डोगरा गेट स्थित नीम साहिब गुरुद्वारा में शनिवार को अकाली दल बादल हरियाणा की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा हाल ही में किए गए कुछ महत्वपूर्ण फैसलों की आलोचना की गई। इस मौके पर उपस्थित नेताओं ने कहा कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों रघबीर सिंह, सुल्तान सिंह और पूर्व जत्थेदार हरप्रीत सिंह को हटाने का निर्णय निराधार और तानाशाही से भरा है। इसे तुगलकी फरमान बताते हुए नेताओं ने इस निर्णय के खिलाफ अपनी आवाज उठाई, जिसके परिणामस्वरूप सामूहिक इस्तीफों का सिलसिला शुरू हुआ।
सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का निर्णय
इस बैठक में सिरोमणि अकाली दल हरियाणा के पदाधिकारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का निर्णय लिया। इस्तीफा देने वालों में प्रमुख सदस्य जैसे प्रधान शरणजीत सिंह सौथा, पीएसी के सदस्य और महासचिव सुखबीर सिंह मांडी, वरिष्ठ उप-प्रधान पिरथीपाल सिंह झब्बर, युवा अकाली दल के अध्यक्ष कुलदीप सिंह चीम और कई अन्य सामिल थे। यह एक महत्वपूर्ण संकेत था कि पार्टी के भीतर असंतोष गहरा हो रहा है और अब के नेता अपनी आवाज उठाने में पीछे नहीं रहना चाहते।
अकाली विचारधारा के प्रति समर्पित
बैठक की अध्यक्षता करते हुए शरणजीत सिंह सौथा ने कहा, “हम अकाली विचारधारा के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं, लेकिन हम गलत और तानाशाही में विश्वास करने वाले फैसलों के साथ नहीं चल सकते। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे फैसले सिख समुदाय की भावनाओं और सिद्धांतों के अनुसार हों।” उन्होंने आगे यह भी कहा कि इस लड़ाई का मुख्य उद्देश्य सिख सिद्धांतों और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना है।
बैठक में यह तय किया गया कि एसजीपीसी के फैसलों के खिलाफ उठने वाली आवाज़ को मजबूती से सामने लाना जरूरी है। सभी उपस्थित नेताओं ने इस बात का संकल्प लिया कि वे सिख संगत की भावनाओं के अनुरूप एक ठोस रणनीति बनायेंगे और अपने कार्यों के माध्यम से सिख समुदाय की आवाज़ को उठायेंगे।
उपस्थित अन्य प्रमुख सदस्यों में नरबैर सिंह गोराया, सिकंदर सिंह जींद, एडवोकेट मनिंदर सिंह, गुरमहिंद्र सिंह गोराया (सरपंच), बलराज सिंह पोलड, अमरजीत सिंह फिरोजपुर, सुरजीत सिंह रामदासपुरा, अवतार सिंह सौथा, जसबीर सिंह सैर, परमजीत सिंह रामदासपुरा और सुखविंदर सिंह (पूर्व सरपंच, रामदासपुरा) शामिल थे। ये सभी नेताओं ने एकजुट होकर अपनी बात रखी और यह सुनिश्चित करने का वादा किया कि वे सिख समुदाय के हित में आगे बढ़ेंगे।
परिवार की निजी संपत्ति बनकर रह गया अकाली दल
इस बैठक का एक मुख्य फोकस यह भी रहा कि यह किस तरह से नोटिस किया जा रहा है कि अकाली दल अब एक परिवार की निजी संपत्ति बनकर रह गया है। क्या इससे पार्टी की नींव को खतरा है? इस सवाल ने बैठक के दौरान भारी चर्चा को जन्म दिया। नेताओं ने कहा कि पार्टी के भीतर जो हलचल चल रही है, उससे प्रतीत होता है कि पार्टी के नौकरीदाताओं में एक व्यापक असंतोष है।
पार्टी की संरचना को गंभीर खतरा
इस संदर्भ में यह बैठक अकाली दल हरियाणा की राजनीतिक स्थिति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि यदि ये इस्तीफे लंबे समय तक जारी रहते हैं, तो इससे पार्टी की संरचना को गंभीर खतरा हो सकता है। बैठक के अंत में एक मांग की गई कि पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को फिर से स्थापित किया जाए ताकि पार्टी के सदस्यों की आवाज़ सुनी जा सके। इस वीभत्स स्थिति का समाधान निकालने के लिए, कार्यकर्ताओं ने सभी निर्णयों को सिखों के सिद्धांत और लोकतांत्रिक मान्यताओं के अनुसार बनाने की अपील की।
यह समारोह न केवल नेताओं के बीच एकजुटता का प्रतीक था, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना भी थी जो सिख समुदाय के भीतर गहरी सरगर्मी पैदा कर सकती है। इनके द्वारा उठाए गए मुद्दों और निर्णयों के खिलाफ विरोध की एक नई लहर शुरू हो सकती है जो कि अकाली दल की ऊंचाई और यथास्थिति को पूरी तरह से बदल सकता है।
अंत में सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि वे एकजुट रहकर ही सिख समुदाय की आवाज को प्रभावी ढंग से उठा सकते हैं। इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि अकाली दल बादल हरियाणा की राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं, और यह आगे की राजनीतिक गतिविधियों के लिए एक नया मंच तैयार कर रहा है।
सिख संगत के नेताओं का यह इकट्ठा होना केवल एक बैठक नहीं थी; यह एक ऐतिहासिक पल था, जो सिख समुदाय के भविष्य के लिए एक नया रास्ता दिखा सकता है। क्या यह विरोध का सिलसिला आगे बढ़ेगा, या पार्टी की संरचना में आवश्यक परिवर्तन आएंगे, यह भविष्य में देखना होगा। लेकिन इतना निश्चित है कि सिख समाज में एक नई आवाज़ को बनाने का प्रयास तेज़ी से बढ़ते जा रहा है।
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