कैथल में एसएचओ रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार, मारपीट का मामला निपटाने के मांगे 30 हजार

एंटी करप्शन ब्यूरो की गिरफ्त में आरोपी एसएचओ

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News:  हरियाणा के कैथल जिले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने एक भृष्टाचार के मामले में गुहला के थाना प्रभारी रामपाल को रंगेहाथ पकड़ा है। रामपाल पर आरोप है कि उसने एक मारपीट के मामले को रद्द करने की एवज में शिकायतकर्ता ओमप्रकाश से 30 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। इस मामले की पुष्टि एसीबी के इंचार्ज सूबे सिंह सैनी ने की, जिन्होंने बताया कि रामपाल पहले से ही शिकायतकर्ता से 20 हजार रुपए ले चुका था।

शिकायत का प्रारंभ

कमाई की तंगी में जूझ रहे ओमप्रकाश ने एसीबी को यह शिकायत दी थी कि गुहला थाने में उसके खिलाफ एक मारपीट का मामला दर्ज किया गया है। थाना प्रभारी रामपाल, जिन्होंने मामले की जाँच की जिम्मेदारी संभाली थी, ने ओमप्रकाश से कहा था कि यदि वह इस मामले को रद्द करवाना चाहता है, तो उसे 50 हजार रुपए की रिश्वत देनी होगी। ओमप्रकाश ने महसूस किया कि यह राशि उसके लिए अत्यधिक है, और उसने केवल 20 हजार की राशि पहले ही रामपाल को दे दी थी। इसके बाद थाना प्रभारी ने उसे फिर से 30 हजार रुपए की मांग की। इस स्थिति से परेशान, ओमप्रकाश ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई, जिससे कार्रवाई की राह खुली।

एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई

शिकायत के बाद एसीबी की टीम ने कार्रवाई की योजना बनाई। एसीबी के इंचार्ज सूबे सिंह सैनी ने लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता वरूण कंसल को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया और एक रेडिंग पार्टी का गठन किया। शुक्रवार की शाम, जब ओमप्रकाश ने रिश्वत की राशि देने का प्रयास किया, तो एसीबी की टीम ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। जैसे ही ओमप्रकाश ने रामपाल को 30 हजार रुपए की राशि दी, टीम ने उसे रंगेहाथ पकड़ लिया।

टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर आरोपी थाना प्रभारी के कब्जे से 30 हजार रुपए की राशि भी बरामद कर ली। यह कार्रवाई पुलिस विभाग में हड़कंप मचा गई, जिससे तत्काल ही उच्च अधिकारियों ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया।

थाना प्रभारी का बयान

थाना प्रभारी रामपाल ने अपनी गलतियों को स्वीकार करने के बजाय दावा किया कि उसे बेवजह फंसाया जा रहा है और सारे आरोप गलत हैं। उनके अनुसार, जो भी शिकायतें की गई हैं, वे निराधार हैं। ऐसे परिवेश में जहां वह अपनी ड्यूटी निभाने की कोशिश कर रहा था, उनके लिए यह स्थिति अपमानजनक थी।

शिकायतकर्ता की कहानी

ओमप्रकाश की कहानी उससे पहले की है, जब लगभग डेढ़ साल पहले उसके घर पर चोरी का प्रयास किया गया था। उस समय उन्होंने चोर को पकड़ने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप चोर दीवार फांदकर भागने लगा। ओमप्रकाश ने चोर को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन इस प्रयास में वह खुद घायल हो गया। उसकी बाजू टूट गई, जिसका इलाज कराना पड़ा।

इसके बाद जब ओमप्रकाश ने पुलिस से सहायता मांगी, तो उल्टा उसे ही चोर की शिकायत पर पुलिस ने अरेस्ट करने का धमकी दी। आरोप था कि पुलिस के अधिकारियों ने उससे 1 लाख रूपये की मांग की ताकि वह उनके खिलाफ कोई शिकायत ना कर सके। यह पूरी प्रक्रिया ना केवल ओमप्रकाश के लिए बल्कि समाज के हर व्यक्ति के लिए चिंताजनक और निराशाजनक है। उसकी स्थिति यह दर्शाती है कि कैसे पुलिस का एक हिस्सा भ्रष्टाचार में लिप्त हो सकता है और गरीब लोगों का शोषण कर सकता है।

प्रशासन की जिम्मेदारी

इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो की सक्रियता से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन इस तरह के अपराधों के खिलाफ जागरूक है। एसीबी की कार्रवाई यह संकेत देती है कि भ्रष्टाचार की कोई भी शिकायत अनसुनी नहीं की जाएगी। इसके बावजूद इस प्रकार के मामलों का आम होना इस बात को दर्शाता है कि समाज में आम नागरिक के लिए न्याय की प्राप्ति कठिन होती जा रही है। जब तक भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस और मजबूत कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक ऐसे मामलों में कमी आना मुश्किल है।

भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं

 

गुहला के थाना प्रभारी रामपाल की गिरफ्तारी ने न केवल पुलिस विभाग में हलचल पैदा की है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ओमप्रकाश की शिकायत पर हुई कार्रवाई से लोगों में एक नई उम्मीद जगी है कि न्याय मिल सकता है।

समाज के हर वर्ग को यह विश्वास होना चाहिए कि अब आपसी सहयोग से भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी होगी। यदि एक व्यक्ति अपनी आवाज उठाता है, तो कई और लोग उसके पीछे आ सकते हैं। इसलिए, अब समय है कि हम सब मिलकर एक जगह खड़े हों और इन समस्याओं के खिलाफ लड़ाई शुरू करें। यह घटना ना केवल गुहला बल्कि संपूर्ण समुदाय के लिए एक चेतावनी है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने का समय आ गया है।

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