Kaithal News: कैथल के एग्रीकल्चर कॉलेज में छात्रों का धरना 9वें दिन भी जारी, मांगों को लेकर अड़ंगे, प्रशासनिक कदमों से बढ़ी नाराजगी

एग्रीकल्चर कॉलेज कौल में धरने पर बैठे छात्र-छात्राएं।
नरेंद्र सहारण, कैथल: Kaithal News: कैथल के एग्रीकल्चर कॉलेज की छात्राओं और छात्रों का शांतिपूर्ण धरना नौवें दिन भी जारी है। छात्रों ने अपने प्रमुख मुद्दों को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रखी है और कॉलेज प्रशासन तथा हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे और जब तक उनकी सभी आवश्यकताएं पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
यह धरना मुख्य रूप से फर्स्ट ईयर, सेकेंड ईयर के छात्रों के रिशेड्यूल्ड पेपर और थर्ड ईयर के परीक्षाओं का बहिष्कार करने के निर्णय के कारण मीडिया की सुर्खियों में आया है। साथ ही, कॉलेज में छात्रों को लेकर चल रही समस्याओं और प्रशासन के रवैये ने स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया है।
धरने का प्रारंभ और बढ़ती नाराजगी
कैथल के एग्रीकल्चर कॉलेज में छात्रों का धरना उस समय शुरू हुआ जब छात्रों ने अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। शुरुआत में यह आंदोलन छात्राओं के हॉस्टल में रेनोवेशन, स्वास्थ्य सुविधाओं, परीक्षा संबंधी मुद्दों और प्रशासन के अन्य निर्णयों को लेकर था। धीरे-धीरे, यह आंदोलन व्यापक रूप से फैल गया और अब यह 9वें दिन भी जारी है।
छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगे मान्य नहीं हो जातीं, तब तक वे अपना विरोध जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि वे किसी भी तरह का समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। छात्राओं का कहना है कि उनके हॉस्टल की स्थिति बेहद खराब है। पिछले तीन वर्षों से उनका हॉस्टल रेनोवेशन लंबित पड़ा है, जिससे उनके रहने की स्थिति अत्यंत असुविधाजनक हो गई है।
प्रमुख मांगें और उनका महत्त्व
छात्रों की मुख्य मांगे कई हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
हॉस्टल का रेनोवेशन: छात्राओं को पिछले तीन वर्षों से अपने हॉस्टल में रहने की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कमरों में साफ-सफाई और सुविधाओं का अभाव है। छात्राओं का आरोप है कि हॉस्टल का रखरखाव न होने के कारण वे मानसिक तनाव से गुजर रही हैं। अनेक छात्राओं का कहना है कि हॉस्टल वार्डन उनकी समस्याओं को सुनने को तैयार नहीं हैं और उनके साथ अनावश्यक दुर्व्यवहार किया जाता है।
पीने का पानी और स्वास्थ्य सेवाएं: कॉलेज के हॉस्टल और मेस में स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। इससे छात्रों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, कॉलेज में मेडिकल सुविधाएं भी अपर्याप्त हैं। सिर्फ एक छोटी डिस्पेंसरी है, जो सभी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती। छात्रों का कहना है कि यदि कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो जाए, तो उसकी तत्काल चिकित्सा नहीं मिल पाएगी।
परीक्षा व्यवस्था और रिशेड्यूलिंग: फर्स्ट और सेकेंड ईयर के छात्रों के पेपर रिशेड्यूल किए गए हैं, जो उनकी पढ़ाई और मानसिक स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि पेपर का समयबद्ध आयोजन नहीं किया गया है, जिससे उनकी परीक्षा की तैयारी प्रभावित हो रही है। छात्रों ने इन पेपर का बहिष्कार कर दिया है और परीक्षा को लेकर प्रशासन से तत्काल समाधान की मांग की है।
प्रशासनिक लापरवाही और धमकियां: छात्रों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन इंटरनल मार्क्स काटने का भय दिखाकर उन्हें चुप कराने का प्रयास कर रहा है। वे कहते हैं कि प्रशासन उन्हें जबरदस्ती दबाव डालता है ताकि वे अपनी बात न कहें। यह रवैया छात्रों में असंतोष और आक्रोश को और बढ़ा रहा है।
LDV कोटे की समस्याएं: स्थानीय गांव के लोगों और छात्राओं को LDV कोटे से संबंधित मामलों में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन मुद्दों का समाधान भी छात्रों की मुख्य प्राथमिकताओं में शामिल है।
वर्तमान स्थिति और छात्रों का रवैया
धरने का नौवां दिन है और छात्रों का आंदोलन जारी है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं हो जातीं, तब तक वे अपने प्रदर्शन को नहीं छोड़ेंगे। छात्रों का कहना है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और किसी भी तरह के दबाव या धमकी से विचलित होने वाले नहीं हैं। उनका आरोप है कि कॉलेज प्रशासन और यूनिवर्सिटी के अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं और उनका शोषण कर रहे हैं।
छात्राओं का कहना है कि उनके हॉस्टल की स्थिति बहुत खराब है, और वे असहाय महसूस कर रही हैं। उनका कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो वे आंदोलन को और तीव्र करेंगे।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और प्रयास
कॉलेज प्रशासन और यूनिवर्सिटी की ओर से अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई बड़ा बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि प्रशासन इस आंदोलन को लेकर चिंतित है और जल्द ही वार्ता के माध्यम से समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है। प्रशासन का दावा है कि वह छात्रों की बात सुन रहा है और उनके मुद्दों को हल करने के लिए प्रयासरत है। लेकिन, छात्र नेताओं का कहना है कि उन्हें अभी तक कोई सकारात्मक आश्वासन नहीं मिला है।
सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका
छात्रों के आंदोलन को देखते हुए, स्थानीय प्रशासन ने भी संज्ञान लिया है। जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं। मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए चर्चा की जा रही है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि वे छात्रों की सभी प्रमुख मांगों पर विचार करेंगे और शीघ्र समाधान खोजेंगे।
सामाजिक और शैक्षिक प्रभाव
इस तरह का लंबे समय तक चलने वाला छात्र आंदोलन न सिर्फ कॉलेज की कार्यवाही को प्रभावित कर रहा है, बल्कि उससे संबंधित क्षेत्र के सामाजिक और शैक्षिक माहौल पर भी असर पड़ रहा है। छात्रों का प्रदर्शन उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता का प्रतीक है, लेकिन यदि यह आंदोलन लंबा खिंचता है, तो इससे पढ़ाई-लिखाई और परीक्षा का कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है। साथ ही, इससे यह भी संकेत मिलता है कि शिक्षा संस्थानों में सुविधाओं की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण छात्र आक्रोशित हो रहे हैं। यह स्थिति सुधारने के लिए जरूरी है कि शिक्षा विभाग और संबंधित अधिकारियों द्वारा उचित कदम उठाए जाएं।
सुझाव और आगे का रास्ता
छात्र आंदोलनों को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए जरूरी है कि:
मामले का शीघ्र समाधान किया जाए: छात्राओं के हॉस्टल का रेनोवेशन तत्काल किया जाए, और सुविधाओं को बेहतर बनाया जाए।
सुनवाई और संवाद का माहौल बने: प्रशासन छात्रों की बात सुनें और उनकी समस्याओं का समाधान करने में तत्परता दिखाए।
स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत की जाएं: कॉलेज में मेडिकल सुविधाओं का विस्तार किया जाए और स्वच्छ पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
परीक्षा व्यवस्था में सुधार: पेपर रिशेड्यूलिंग की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए और परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाए।
प्रबंधन की जवाबदेही तय की जाए: प्रशासनिक लापरवाही और धमकियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया जाए और छात्रों के अधिकारों का सम्मान किया जाए।
सामाजिक जागरूकता अभियान: छात्रों के अधिकारों और सुविधाओं के प्रति जागरूकता फैलायी जाए।
आवाज उठाने का अधिकार
कैथल के एग्रीकल्चर कॉलेज में चल रहा छात्र आंदोलन यह दर्शाता है कि विद्यार्थियों को अपनी मांगों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है। यह आंदोलन छात्रों के अधिकारों, सुविधाओं और शैक्षिक वातावरण में सुधार के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।
शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और छात्रों के अधिकारों का सम्मान आवश्यक है, तभी हम एक समृद्ध और सशक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह इन मांगों को गंभीरता से ले और शीघ्र समाधान प्रदान करे। तभी शिक्षण संस्थान एक स्वस्थ, सुरक्षित और छात्र केंद्रित वातावरण का प्रतिनिधित्व कर सकेगा।