Kaithal News: कैथल में कांग्रेस समर्थित ब्लॉक समिति अध्यक्ष की कुर्सी खतरे में, 18 सदस्यों ने दिए शपथपत्र

मौजूदा चेयरपर्सन डिंपल रानी कांग्रेस विधायक देवेंद्र हंस के साथ (फाइल फोटो)

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सीवन ब्लॉक समिति की कांग्रेस समर्थित चेयरपर्सन को हटाने के बाद अब भाजपा ने चीका ब्लॉक समिति पर भी नजरें गड़ा दी हैं। सोमवार को ब्लॉक समिति चीका के 22 सदस्यों में से 18 सदस्य कैथल जिला सचिवालय पहुंचे और एडीसी दीपक बाबू लाल करवा को अपने हस्ताक्षरित शपथ पत्र सौंपे। इन सदस्यों ने कांग्रेस समर्थित चेयरपर्सन डिंपल रानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की मांग की है। अब प्रशासन की ओर से अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मीटिंग बुलाई जाएगी, हालांकि बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है।

चेयरपर्सन पर भेदभाव के आरोप

 

भाजपा समर्थित सदस्यों ने चेयरपर्सन डिंपल रानी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने विकास कार्यों में भेदभाव किया है। उनका कहना है कि कांग्रेस समर्थित चेयरपर्सन होने के कारण डिंपल रानी ने अपने पसंदीदा वार्डों में ही विकास कार्य कराए हैं, जबकि अन्य वार्डों को नजरअंदाज किया गया। पिछले दो सालों में उनके वार्डों में गिने-चुने ही काम हुए हैं। इस भेदभाव से नाराज होकर सभी भाजपा समर्थित पार्षदों ने एकजुट होकर डिंपल रानी को चेयरपर्सन पद से हटाने का फैसला किया है।

एक सदस्य ने कहा, “हम सबका यह निर्णय है कि अब चीका ब्लॉक समिति में भाजपा समर्थित चेयरपर्सन बननी चाहिए। चेयरपर्सन के भेदभावपूर्ण रवैये के कारण हमारे वार्डों में कोई बड़ा विकास कार्य नहीं हुआ है, जिससे जनता भी असंतुष्ट है।” सभी 18 सदस्यों ने अपने शपथ पत्र सौंपकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वे चेयरपर्सन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गंभीर हैं और इस प्रस्ताव को सफल बनाने के लिए एकजुट हैं।

सियासी समीकरण और भाजपा का जोर

गौरतलब है कि भाजपा ने हाल ही में सीवन ब्लॉक समिति की चेयरपर्सन मनजीत कौर के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें पद से हटाया था। यह अविश्वास प्रस्ताव 12 नवंबर को पेश किया गया था, जिसमें भाजपा के पूर्व विधायक कुलवंत बाजीगर ने अहम भूमिका निभाई थी। कुलवंत बाजीगर ने सीवन ब्लॉक समिति के 16 में से 12 सदस्यों को अपने पक्ष में लाने में सफलता पाई और कांग्रेस समर्थित चेयरपर्सन की कुर्सी छीन ली। इस घटना के बाद से ही यह चर्चा थी कि भाजपा की नजर अब चीका ब्लॉक समिति पर है और वहां भी जल्द अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा।

अब, पूर्व विधायक कुलवंत बाजीगर एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने चीका ब्लॉक समिति के 22 में से 18 सदस्यों को भाजपा खेमे में लाकर चेयरपर्सन डिंपल रानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। इससे यह साफ हो गया है कि भाजपा चीका ब्लॉक समिति में भी कांग्रेस को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार है। भाजपा समर्थकों का कहना है कि उनकी रणनीति सफल हो रही है और वे जल्द ही चीका में भी चेयरपर्सन पद पर कब्जा कर लेंगे।

प्रशासनिक प्रक्रिया और एडीसी का बयान

कैथल के एडीसी दीपक बाबू लाल करवा ने बताया कि चीका ब्लॉक समिति के 18 सदस्यों ने चेयरपर्सन डिंपल रानी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर शपथ पत्र सौंपे हैं। अब इन दस्तावेजों की जांच की जाएगी और प्रक्रिया पूरी होने के बाद मीटिंग की तारीख निर्धारित की जाएगी। इसके बाद सभी सदस्यों को सूचित किया जाएगा और अविश्वास प्रस्ताव पर निर्णय लिया जाएगा।

सदस्यों की एकजुटता

 

शपथ पत्र सौंपने वाले 18 सदस्यों में हिमांशु शर्मा (वार्ड नंबर 17), कुलदीप कौर (वार्ड नंबर 1), गुरविंदर सिंह (वार्ड नंबर 2), मनजीत कौर (वार्ड नंबर 3), रविंद्र सिंह (वार्ड नंबर 4), संदीप कौर (वार्ड नंबर 5), सुखविंदर कौर (वार्ड नंबर 6), शिशन कुमार (वार्ड नंबर 7), लता रानी (वार्ड नंबर 8), सुरजीत भुसला (वार्ड नंबर 9), देवेंद्र वर्मा (वार्ड नंबर 11), नायब सिंह (वार्ड नंबर 12), संदीप सिंह (वार्ड नंबर 15), सुमन पीडल (वार्ड नंबर 16), मनीषा भुना (वार्ड नंबर 18), मनदीप कौर (वार्ड नंबर 20), लखविंदर सिंह (वार्ड नंबर 21), और सीमा देवी (वार्ड नंबर 22) शामिल हैं। इन सभी सदस्यों ने एक सुर में कहा कि वे अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पूरी तरह एकजुट हैं और चाहते हैं कि चेयरपर्सन बदले जाएं।

भविष्य की चुनौतियां और राजनीतिक उठापटक

 

भाजपा की यह कोशिश कि वह ब्लॉक समितियों पर अपनी पकड़ मजबूत करे, हरियाणा में पार्टी की राजनीतिक स्थिति को और मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस के लिए यह झटका है, क्योंकि ब्लॉक समितियों का नियंत्रण क्षेत्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर भाजपा चीका ब्लॉक समिति में भी अपनी चेयरपर्सन नियुक्त करने में सफल होती है, तो यह पार्टी के लिए एक और बड़ी जीत होगी।

हालांकि, कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि वे इस राजनीतिक चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं और किसी भी हाल में हार मानने वाले नहीं हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन कब मीटिंग बुलाता है और इस अविश्वास प्रस्ताव पर क्या फैसला होता है। यह स्पष्ट है कि कैथल जिले की राजनीति आने वाले दिनों में और गरमाने वाली है। भाजपा और कांग्रेस के बीच यह सियासी जंग न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे हरियाणा की राजनीति पर असर डाल सकती है।

 

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