Kaithal News: कलायत में पेयजल संकट से ग्रामीण परेशान: चार महीने से बंद पड़ा पंप, बोले-सीएम सैनी से करेंगे शिकायत

कलायत में बंद पड़े पंप को दिखाते ग्रामीण।
नरेंद्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हरियाणा राज्य के कैथल जिले में स्थित बड़सीकरी कलां गांव में पेयजल संकट एक बार फिर से ग्रामीणों की दिनचर्या और जीवन शैली को प्रभावित कर रहा है। यह समस्या न केवल एक प्राकृतिक आपदा का परिणाम है बल्कि भ्रष्टाचार, सरकारी लापरवाही और प्रशासनिक खामियों का भी प्रतिबिंब है। इस कहानी में हम विस्तार से समझेंगे कि कैसे लाखों रुपये की लागत से लगाए गए बोर भी ग्रामीणों के लिए किसी काम के नहीं साबित हो रहे हैं और ग्रामीणों की उम्मीदें टूटती जा रही हैं।
पेयजल परियोजना का प्रारंभ और उद्देश्य
बड़सीकरी कलां गांव में जल समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की। जन स्वास्थ्य विभाग ने लाखों रुपये की लागत से करीब 1200 फीट गहरा बोर लगाया, जिसका उद्देश्य गांव में निर्बाध और गुणवत्तापूर्ण पेयजल उपलब्ध कराना था। इस प्रक्रिया में उच्च तकनीक और विशेषज्ञता का प्रयोग किया गया ताकि जल स्रोत को स्थायी बनाया जा सके। विभाग का दावा था कि इस बोर से पर्याप्त मात्रा में पानी निकलेगा और ग्रामीणों को रोजाना की जरूरत के मुताबिक पानी मिलेगा। इस योजना का मकसद था पानी की कमी को दूर करना, खासकर गर्मी के मौसम में जब जल का संकट और भी गहरा हो जाता है।
बोर लगने के बाद उम्मीदें और हकीकत
गांव वासियों की उम्मीदें बहुत अधिक थीं। ग्रामीणों ने इस परियोजना से मिलने वाली पानी की आपूर्ति को लेकर उत्साह दिखाया था। खासतौर पर गर्मी के दिनों में जब पानी का संकट बढ़ जाता है, तब यह परियोजना उनके लिए जीवन रक्षक साबित हो सकती थी। लेकिन जैसे ही बोर पूरा हुआ और पंप सेट स्थापित किया गया, ग्रामीणों की आशाएं धूल में मिल गईं। चार महीनों से अधिक का समय बीत चुका है, और अभी तक यह पंप सेट निष्क्रिय पड़ा है। न तो पानी की आपूर्ति शुरू हुई है और न ही कोई स्थायी समाधान नजर आ रहा है।
ग्रामीणों की पीड़ा और आशंकाएं
गांव के निवासी अपने जीवन में पानी की अनियमितता से बहुत परेशान हैं। गर्मी के मौसम में पीने का पानी न मिलने की समस्या ने उन्हें जूझने पर मजबूर कर दिया है। बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को पानी लाने के लिए कई किलोमीटर चलना पड़ता है, जबकि पास में ही बोर का ढांचा खड़ा है।
सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रपाल सिंह ने बताया कि विभाग ने दावा किया था कि यह बोरषण जल संकट का समाधान करेगा। लेकिन आज स्थिति यह है कि न तो पानी का निकास हुआ है और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था दिखाई दे रही है। यह स्थिति ग्रामीणों के भरोसे को भी धक्का पहुंचा रही है।
भ्रष्टाचार और सरकारी लापरवाही
यह मामला केवल एक तकनीकी खराबी का नहीं है, बल्कि भ्रष्टाचार और सरकारी खामियों का भी परिणाम है। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग ने बिना उचित जाँच-पड़ताल के ही लाखों रुपये खर्च कर दिए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों का तर्क है कि तकनीकी खराबी की वजह से पंप सेट काम नहीं कर रहा है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इसकी जाँच होनी चाहिए कि कहीं धन की बंदरबांट तो नहीं हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस परियोजना में घोर लापरवाही बरती गई, और भ्रष्टाचार के कारण जल संकट अभी भी जस का तस बना हुआ है।
ग्रामीणों का संघर्ष और समाधान की दिशा
गांव के निवासी इस समस्या के समाधान के लिए अब सड़कों पर उतर आए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से शिकायत करने का फैसला लिया है। उनके अनुसार, विभाग की ओर से कोई ठोस समाधान नहीं मिल रहा है, और पंप सेट का निरीक्षण या मरम्मत भी नहीं की जा रही है। उन्होंने अधिकारियों से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो। ग्रामीणों का मानना है कि यदि जल्दी ही इस समस्या का समाधान नहीं निकला, तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
स्थानीय नेताओं और सामाजिक संगठनों का रुख
गांव के सामाजिक कार्यकर्ताओं और पंचायत प्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। उन्होंने सरकार और संबंधित विभाग से कार्रवाई की मांग की है। कुछ स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह परियोजना आदर्श थी, लेकिन इसकी निष्पादन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और अनियमितताएं हुई हैं, जिनके कारण परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं आए हैं।
सरकारी विभाग का पक्ष और स्थिति
जन स्वास्थ्य विभाग के कनिष्ठ अभियंता रवि पूनिया ने कहा कि गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए 1200 फीट गहरा बोर लगाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि तकनीकी समस्या की वजह से पंप सेट अभी निष्क्रिय पड़ा है। लेकिन ग्रामीणों का सवाल है कि इतनी महंगी परियोजना के बावजूद पंप क्यों नहीं चल रहा है? यदि तकनीकी समस्या है, तो उसकी मरम्मत क्यों नहीं की जा रही है? वे यह भी पूछते हैं कि आखिर कब तक वे इस इंतजार में रहें, जब तक कि उनकी समस्या का समाधान नहीं हो जाता।
पानी का संकट और भविष्य
बड़सीकरी कलां गांव का मामला एक जागरूकता का प्रतीक बन चुका है कि सरकारी योजनाएं तभी सफल हो पाती हैं जब उनमें पारदर्शिता और जवाबदेही हो। इस स्थिति में, ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार उनकी आवाज़ सुनेंगी और इस समस्या का स्थायी समाधान निकालेंगे। जल संकट का समाधान केवल तकनीकी उपकरण लगाने से नहीं होता बल्कि उसमें पारदर्शिता, जवाबदेही और सामुदायिक भागीदारी भी जरूरी है। यदि यह नहीं हुआ, तो ग्रामीणों का संघर्ष और भी तेज हो सकता है।
कैथल के इस छोटे से गांव में पेयजल का संकट न केवल एक स्थानिक समस्या है बल्कि यह सरकार के प्रशासनिक तंत्र की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार का भी आईना है। यह कहानी यह भी संदेश देती है कि जब तक जनता जागरूक नहीं होगी, तब तक उनकी जिंदगी में बदलाव नहीं आएगा।