कैथल की मेधा का परचम: किसान पुत्र अर्पणदीप ने हरियाणा 12वीं बोर्ड में किया टॉप, जिले का परिणाम भी शानदार

मालाएं पहनाकर अर्पणदीप का स्वागत करते हुए स्कूल स्टाफ

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News:  हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा घोषित 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणामों ने कैथल जिले के लिए दोहरी खुशी प्रदान की है। एक ओर जहां जिले का समग्र परीक्षा परिणाम पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय रूप से बेहतर रहा, वहीं दूसरी ओर जिले के एक छोटे से गांव श्योमाजरा के सरकारी स्कूल के छात्र अर्पणदीप सिंह ने पूरे राज्य में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती। यह सफलता न केवल अर्पणदीप और उसके परिवार के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह उन हजारों विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणास्रोत है जो सीमित साधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं और उन्हें साकार करने का अथक प्रयास करते हैं।

कैथल जिले का सराहनीय प्रदर्शन

 

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी 12वीं कक्षा के नवीनतम परीक्षा परिणामों में कैथल जिले ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता और प्रगति का सशक्त प्रमाण दिया है। इस वर्ष जिले का कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 91% रहा, जो पिछले वर्ष के 88.78% की तुलना में एक महत्वपूर्ण उछाल दर्शाता है। यह सुधार जिले की शिक्षा प्रणाली, शिक्षकों की लगन और विद्यार्थियों की मेहनत का সম্মিলিত परिणाम है।

आंकड़ों का विश्लेषण: सफलता की कहानी

इस वर्ष कैथल जिले से कुल 9426 विद्यार्थियों ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में भाग लिया था। इनमें से 8578 विद्यार्थी सफलतापूर्वक उत्तीर्ण हुए, जो जिले के शैक्षणिक माहौल में सकारात्मकता का संचार करता है। हालांकि, 176 विद्यार्थी इस परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहे, जबकि 681 विद्यार्थियों को कंपार्टमेंट आई है, जिन्हें अपने प्रदर्शन में सुधार के लिए एक और अवसर मिलेगा। इन आंकड़ों का गहन विश्लेषण करें तो यह स्पष्ट होता है कि अधिकांश विद्यार्थियों ने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है। 91% का उत्तीर्ण प्रतिशत यह दर्शाता है कि जिले में शिक्षा का स्तर निरंतर सुधर रहा है और विद्यार्थी भी अपनी पढ़ाई के प्रति अधिक गंभीर हो रहे हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी का संदेश और भविष्य की दिशा

जिला शिक्षा अधिकारी रामदिया गागट ने इन उत्कृष्ट परिणामों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “यह हमारे जिले के लिए गर्व का विषय है कि हमारे विद्यार्थियों ने इतना अच्छा प्रदर्शन किया है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष के परिणामों में आया सुधार हमारे शिक्षकों और विद्यार्थियों के अथक प्रयासों का फल है।” उन्होंने सभी उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बधाई दी और उनके परिश्रम की सराहना की। साथ ही, जो विद्यार्थी इस बार सफलता प्राप्त नहीं कर सके या जिन्हें कंपार्टमेंट मिली है, उन्हें निराश न होने और अधिक मेहनत व लगन के साथ पुनः प्रयास करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “असफलता जीवन का एक हिस्सा है, महत्वपूर्ण यह है कि हम अपनी गलतियों से सीखें और दोगुनी ऊर्जा के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें।” श्री गागट ने यह भी आश्वासन दिया कि शिक्षा विभाग उन विद्यार्थियों को हर संभव सहायता प्रदान करेगा जिन्हें अतिरिक्त मार्गदर्शन की आवश्यकता है।

अर्पणदीप सिंह – शिखर पर एक साधारण परिवार का सितारा

 

इस वर्ष के परीक्षा परिणामों का सबसे चमकदार सितारा बनकर उभरे हैं कैथल के गांव श्योमाजरा के सरकारी स्कूल के छात्र अर्पणदीप सिंह। अपनी असाधारण प्रतिभा और कड़ी मेहनत के बल पर अर्पणदीप ने न केवल अपने जिले का, बल्कि पूरे हरियाणा राज्य का नाम रोशन किया है। उन्होंने हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा की परीक्षा में 500 में से 497 अंक प्राप्त कर राज्य में प्रथम स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि अर्पणदीप एक साधारण किसान परिवार से आते हैं और उन्होंने सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करते हुए यह मुकाम हासिल किया है।

श्योमाजरा गांव से राज्य स्तर तक का सफर

 

अर्पणदीप का गांव श्योमाजरा, कैथल जिले का एक छोटा सा शांत गांव है। यहीं के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में अर्पणदीप ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। उनका यह सफर दर्शाता है कि सच्ची लगन और दृढ़ संकल्प हो तो भौगोलिक सीमाएं और संसाधनों की कमी सफलता के मार्ग में बाधा नहीं बन सकतीं। अर्पणदीप की इस उपलब्धि ने न केवल उनके गांव और स्कूल को गौरवान्वित किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि सरकारी शिक्षण संस्थान भी प्रतिभाओं को निखारने में किसी से पीछे नहीं हैं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि: संघर्ष, समर्थन और सपने

अर्पणदीप की सफलता के पीछे उनके परिवार का अथक संघर्ष, अटूट समर्थन और बड़े सपने देखने की हिम्मत है। उनके पिता, यादवेन्द्र सिंह एक किसान हैं जो दिन-रात खेतों में मेहनत करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनकी माता  रमनदीप कौर, घर संभालने के साथ-साथ एक छोटा सा बूटीक भी चलाती हैं, ताकि परिवार की आर्थिक स्थिति को सहारा मिल सके। अर्पणदीप का एक छोटा भाई भी है। यह जानकर आश्चर्य होता है कि अर्पणदीप के माता-पिता स्वयं केवल आठवीं कक्षा तक ही शिक्षित हैं, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।

पिता यादवेन्द्र सिंह ने गर्व से फूलते हुए बताया, “अर्पणदीप शुरू से ही पढ़ाई में बहुत होशियार और मेहनती रहा है। हमने कभी उसे खेतों में काम करने के लिए नहीं कहा, क्योंकि हम चाहते थे कि वह अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाए। आज उसने हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।” माता रमनदीप ने भी नम आंखों से अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “हमने उसे कभी घर के कामों में ज्यादा उलझने नहीं दिया, हालांकि वह अपनी इच्छा से थोड़ी बहुत मदद कर देता था। हमारी बस यही इच्छा थी कि वह खूब पढ़े और बड़ा आदमी बने। आज उसने हमारी उम्मीदों से भी बढ़कर कर दिखाया है।”

माता-पिता का त्याग और दूरदर्शिता

अर्पणदीप के माता-पिता का यह त्याग और दूरदर्शिता वास्तव में प्रेरणादायक है। सीमित आर्थिक साधनों और स्वयं कम शिक्षित होने के बावजूद, उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा और अपने बेटे को हर संभव सुविधा और प्रोत्साहन प्रदान किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि घरेलू परिस्थितियां अर्पणदीप की पढ़ाई में बाधा न बनें। उनका यह विश्वास कि उनका बेटा एक दिन बड़ा मुकाम हासिल करेगा, आज अर्पणदीप की सफलता के रूप में साकार हुआ है। उनकी आंखों में अपने बेटे को एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) के रूप में देखने का सपना है, और अर्पणदीप भी अपने माता-पिता के इस सपने को पूरा करने के लिए संकल्पित हैं।

अर्पणदीप की अध्ययन शैली और अनुशासन

 

अर्पणदीप की सफलता कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि वर्षों की सतत मेहनत, अटूट अनुशासन और गहन एकाग्रता का प्रतिफल है। उनके पिता यादवेन्द्र सिंह बताते हैं कि अर्पणदीप बचपन से ही पढ़ाई के प्रति गंभीर और जिज्ञासु रहा है। स्कूल से जो भी गृहकार्य मिलता, उसे वह पूरी लगन से पूरा करता।

नियमितता और समर्पण

अर्पणदीप ने अपनी पढ़ाई के लिए एक अनुशासित दिनचर्या बना रखी थी। वह स्कूल से आने के बाद घर पर रोजाना कम से कम 4 से 5 घंटे स्वाध्याय करते थे। उन्होंने बताया, “मैं स्कूल से आने के बाद दिन में लगभग दो घंटे पढ़ता था और फिर कुछ समय रात को पढ़ाई के लिए निकालता था। यह मेरा नियमित रूटीन था।” इस नियमितता और समर्पण ने ही उन्हें विषयों पर गहरी पकड़ बनाने में मदद की।

एकाग्रता और रणनीति

परीक्षाओं के दिनों में अर्पणदीप की मेहनत और एकाग्रता और भी बढ़ जाती थी। उन्होंने बताया, “परीक्षाओं के दौरान मैं सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई करता था। उस समय शांति रहती है और ध्यान केंद्रित करना आसान होता है।” जब परीक्षाओं की घोषणा हुई, तो उन्होंने अपना सामाजिक संपर्क भी सीमित कर लिया था। दोस्तों से मिलना-जुलना लगभग बंद हो गया था, और वे केवल फोन के माध्यम से ही आवश्यक संपर्क रखते थे। उनका पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित था।

तीन अंकों की कसक

अर्पणदीप ने 500 में से 497 अंक प्राप्त किए, जो एक असाधारण उपलब्धि है। हालांकि, उन्हें इस बात का थोड़ा मलाल है कि उनके तीन अंक कट गए। उन्होंने बताया, “मुझे सबसे अच्छा विषय अकाउंटेंसी लगता है,और उसमें मेरे पूरे अंक हैं। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरे तीन अंक कट जाएंगे। इनमें से एक अंक अंग्रेजी में और दो अंक बिजनेस स्टडी में कटे हैं। शायद यह किसी स्पेलिंग मिस्टेक की वजह से हुआ होगा।” यह छोटी सी कसक दर्शाती है कि अर्पणदीप अपने काम में कितनी पूर्णता (perfection) चाहते हैं और हर छोटी-बड़ी बात पर कितना ध्यान देते हैं।

शिक्षकों और स्कूल की भूमिका

 

किसी भी विद्यार्थी की सफलता में उसके शिक्षकों और शिक्षण संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान होता है। अर्पणदीप की इस ऐतिहासिक उपलब्धि में भी उनके स्कूल और गुरुजनों की अहम भूमिका रही है।

सरकारी स्कूल का गौरव

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय श्योमाजरा के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। स्कूल की प्रिंसिपल चरणजीत कौर ने  खुशी जाहिर करते हुए कहा, “अर्पणदीप ने न केवल हमारा, बल्कि पूरे जिले और राज्य का नाम रोशन किया है। वह पढ़ाई में तो उत्कृष्ट है ही, साथ ही पाठ्य सहगामी क्रियाओं में भी सक्रिय रूप से भाग लेता रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह स्कूल में कभी गैरहाजिर नहीं रहा, जो उसकी नियमितता और समर्पण को दर्शाता है।” प्रिंसिपल ने अर्पणदीप के शिक्षकों को भी इस शानदार उपलब्धि के लिए बधाई दी और उनकी सराहना की। स्कूल में रिजल्ट आते ही अर्पणदीप को बुलाकर माला पहनाकर उसका स्वागत किया गया और ढोल-नगाड़े बजाकर इस खुशी का इजहार किया गया।

गुरुओं का मार्गदर्शन और प्रेरणा

अर्पणदीप ने अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों और परिवार को दिया। उन्होंने विशेष रूप से अपने कक्षा इंचार्ज सुखदेव सिंह और कॉमर्स की अध्यापिका निधि के योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “सुखदेव सर और निधि मैडम ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में बहुत मदद की है। उन्होंने हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया, मेरी शंकाओं का समाधान किया और मुझे बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। मैं उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।” यह गुरु-शिष्य परंपरा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां समर्पित शिक्षक अपने विद्यार्थियों को सफलता के शिखर तक पहुंचाते हैं।

एक चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का सपना

 

राज्य में टॉप करने के बाद अर्पणदीप के हौसले बुलंद हैं और उनकी निगाहें अपने भविष्य के लक्ष्य पर टिकी हैं।

प्रेरणा और आकांक्षाएं

अर्पणदीप का सपना एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनना है। यह एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है, लेकिन अर्पणदीप अपनी मेहनत और लगन से इस सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा, “मेरे माता-पिता का सपना है कि मैं CA बनूं, और मैं उनके इस सपने को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा।” उनके परिवार की ओर से उन्हें इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरा सहयोग मिल रहा है।

अन्य विद्यार्थियों के लिए संदेश

अपनी सफलता पर बात करते हुए अर्पणदीप ने अन्य विद्यार्थियों को भी कड़ी मेहनत करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “मैं सभी विद्यार्थियों से कहना चाहता हूं कि वे पढ़ाई के लिए ज्यादा से ज्यादा समय निकालें। नियमित अध्ययन और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।” उनका यह संदेश लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

अर्पणदीप सिंह की यह सफलता केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि इसके कई व्यापक सामाजिक मायने भी हैं।

ग्रामीण प्रतिभा का उत्कर्ष

 

यह सफलता इस मिथक को तोड़ती है कि बड़ी उपलब्धियां केवल बड़े शहरों और महंगे स्कूलों के विद्यार्थी ही हासिल कर सकते हैं। अर्पणदीप ने यह साबित कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, और यदि उन्हें सही मार्गदर्शन और अवसर मिले तो वे भी चमत्कार कर सकते हैं। यह सफलता ग्रामीण भारत की असीम संभावनाओं को रेखांकित करती है।

शिक्षा के माध्यम से सामाजिक उत्थान

 

अर्पणदीप की कहानी शिक्षा के माध्यम से सामाजिक उत्थान का एक जीवंत उदाहरण है। एक किसान परिवार का बेटा, जिसके माता-पिता स्वयं बहुत कम पढ़े-लिखे हैं, अपनी मेहनत और शिक्षा के बल पर आज पूरे राज्य में चर्चा का विषय है। यह दर्शाता है कि शिक्षा कैसे पीढ़ियों के भविष्य को बदल सकती है और सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा दे सकती है।

उज्ज्वल भविष्य की कामना

 

कैथल जिले का बेहतर परीक्षा परिणाम और अर्पणदीप सिंह का राज्य में टॉप करना, हरियाणा के शैक्षणिक परिदृश्य में एक नया और प्रेरणास्पद अध्याय जोड़ता है। यह सफलता दर्शाती है कि कड़ी मेहनत, अटूट समर्पण, पारिवारिक समर्थन और शिक्षकों का सही मार्गदर्शन किसी भी सपने को हकीकत में बदल सकता है। अर्पणदीप की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए एक प्रकाशस्तंभ है जो सीमित साधनों के बीच अपने भविष्य को संवारने का प्रयास कर रहे हैं। हम अर्पणदीप के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह अपने सपनों को साकार कर देश और समाज की सेवा में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे। साथ ही, यह उम्मीद भी है कि कैथल जिला और हरियाणा राज्य शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रगति करते रहेंगे और अर्पणदीप जैसे और भी सितारे भविष्य में देश का नाम रोशन करेंगे।

 

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