करनाल- कैथल के परिवारों से विदेश भेजने के नाम पर लाख हड़पे, हैदराबाद की एकेडमी ने फर्जी स्पॉन्सर लेटर थमाया

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News:  विदेश जाकर बेहतर भविष्य बनाने का सपना आज भारत के असंख्य युवाओं और उनके परिवारों की आंखों में पलता है। “अमेरिकन ड्रीम” या विकसित देशों में सुनहरे अवसरों की चाह उन्हें अपरिचित राहों पर भी कदम बढ़ाने को प्रेरित करती है। दुर्भाग्यवश, इसी मासूम चाहत और मजबूरी का फायदा उठाने के लिए कुछ शातिर जालसाज भी सक्रिय रहते हैं, जो सुनहरे सपनों का सौदागर बनकर भोले-भाले लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाते हैं। ऐसा ही मामला हरियाणा के करनाल और कैथल जिलों से सामने आया है, जहां दो परिवारों के साथ उनके बच्चों को अमेरिका भेजने के नाम पर करीब 12 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। इस पूरे प्रकरण के केंद्र में हैदराबाद स्थित ‘पाको मार्शल आर्ट्स एकेडमी’ और उसका प्रोपराइटर सईद इफ़्तिकार है, जिस पर न केवल धोखाधड़ी बल्कि पैसे वापस मांगने पर जान से मारने की धमकी देने का भी गंभीर आरोप है। यह घटना उन तमाम जोखिमों और चुनौतियों को उजागर करती है जिनका सामना विदेश जाने के इच्छुक भारतीय करते हैं और यह भी दर्शाती है कि कैसे संगठित तरीके से भोले-भाले लोगों को निशाना बनाया जाता है।

सोशल मीडिया का मायाजाल

 

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया सूचना और संचार का एक शक्तिशाली माध्यम बन चुका है, लेकिन यही माध्यम कई बार धोखेबाजों के लिए अपना जाल फैलाने का आसान जरिया भी साबित होता है। करनाल की शिव कॉलोनी निवासी विक्रम और कैथल के मुंदड़ी गांव के नसीब सिंह, जो आपस में मित्र हैं, अपने-अपने भतीजे और बेटे के लिए अमेरिका में एक उज्ज्वल भविष्य की कामना कर रहे थे। वे चाहते थे कि उनके बच्चे सात समंदर पार जाकर शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त करें।

विज्ञापन की पड़ताल और पहला संपर्क

इसी उधेड़बुन में, उनकी नजर सोशल मीडिया पर तैर रहे एक आकर्षक विज्ञापन पर पड़ी। यह विज्ञापन हैदराबाद के वेंकटेश्वर कॉलोनी, सरूर नगर में स्थित ‘पाको मार्शल आर्ट्स एकेडमी’ का था। विज्ञापन में बड़े ही लुभावने तरीके से युवाओं को विदेश, विशेषकर अमेरिका भेजने की बात कही गई थी। विज्ञापन में दिए गए मोबाइल नंबर पर जब विक्रम और नसीब ने संपर्क साधा, तो उनकी बात एकेडमी के प्रोपराइटर सईद इफ़्तिकार से हुई। इफ़्तिकार ने बड़ी ही चतुराई और वाक्पटुता से उन्हें विश्वास दिलाया कि वह उनके बच्चों का अमेरिका जाने का सपना साकार कर सकता है। उसने उन्हें विस्तृत चर्चा और प्रक्रिया को समझने के लिए हैदराबाद आने का निमंत्रण दिया।

हैदराबाद का बुलावा: उम्मीदों का सफर

सईद इफ़्तिकार के आश्वासनों से प्रभावित होकर और अपने बच्चों के भविष्य की खातिर, विक्रम और नसीब सिंह हैदराबाद जाने के लिए तैयार हो गए। उनके मन में एक नई उम्मीद थी, एक विश्वास था कि शायद उन्हें सही व्यक्ति और सही मार्ग मिल गया है जो उनके जिगर के टुकड़ों को उनकी मंजिल तक पहुंचा देगा। वे इस बात से अनजान थे कि यह सफर उन्हें एक ऐसे धोखे के जाल में फंसा देगा जिससे निकलना उनके लिए अत्यंत पीड़ादायक सिद्ध होगा।

पाको मार्शल आर्ट्स एकेडमी: धोखेबाजी का कथित अड्डा

 

हैदराबाद पहुंचने पर विक्रम और नसीब सिंह की मुलाकात सईद इफ़्तिकार से हुई। इफ़्तिकार ने उन्हें अपनी ‘पाको मार्शल आर्ट्स एकेडमी’ दिखाई और बड़े-बड़े दावे किए। उसने बताया कि उसकी एकेडमी की अमेरिका में अच्छी जान-पहचान है और वह एकेडमी के माध्यम से ही उनके बच्चों को अमेरिका भेज देगा।

मालिक से मुलाकात और विश्वास की नींव

इफ़्तिकार का व्यवहार और उसकी बातें इतनी सधी हुई थीं कि विक्रम और नसीब उसके झांसे में आने लगे। उसने उन्हें कई सफल मामलों का हवाला भी दिया होगा (जो शायद काल्पनिक रहे हों) और यह विश्वास दिलाया कि उनके बच्चे सुरक्षित हाथों में हैं। उसने अपनी एकेडमी को एक वैध और प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे पीड़ितों का विश्वास और भी गहरा हो गया।

विदेश भेजने का अनोखा झांसा

कहानी में एक अनोखा मोड़ तब आया जब इफ़्तिकार ने बताया कि अमेरिका भेजने से पहले बच्चों को उसकी एकेडमी में दो महीने की मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग लेनी होगी। यह शायद उसकी योजना का एक हिस्सा था ताकि पूरी प्रक्रिया विश्वसनीय लगे और वह ट्रेनिंग के नाम पर भी अतिरिक्त पैसे ऐंठ सके। उसने दलील दी होगी कि यह ट्रेनिंग बच्चों के लिए अमेरिका में फायदेमंद साबित होगी या यह वीजा प्रक्रिया का एक हिस्सा है। इसके साथ ही, उसने प्रत्येक बच्चे को अमेरिका भेजने के लिए 33 लाख रुपये की भारी-भरकम रकम की मांग रखी। यह रकम सुनकर एक बार तो वे चौंके होंगे, लेकिन बच्चों के भविष्य और इफ़्तिकार द्वारा जगाई गई उम्मीदों के आगे उन्होंने इस पर भी विश्वास कर लिया।

दस्तावेजों और पासपोर्ट का समर्पण

 

इफ़्तिकार की बातों में आकर और उस पर पूर्ण विश्वास जताते हुए दोनों पीड़ितों ने अपने बच्चों के जरूरी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, शैक्षणिक प्रमाण पत्र और सबसे महत्वपूर्ण, उनके पासपोर्ट, आरोपी सईद इफ़्तिकार के हवाले कर दिए। यह एक ऐसा कदम था जिसने उन्हें पूरी तरह से आरोपी के रहमोकरम पर ला दिया था।

किश्तों में लूटे गए लाखों रुपये

 

एक बार जब पीड़ित पूरी तरह से सईद इफ़्तिकार के जाल में फंस गए, तो शुरू हुआ किश्तों में पैसे ऐंठने का सिलसिला। आरोपी ने बड़ी चालाकी से अलग-अलग समय पर और अलग-अलग बहानों से उनसे मोटी रकम वसूली।

कब, कहाँ और कैसे दिए पैसे

शिकायत के अनुसार, पीड़ित नसीब सिंह ने आरोपी सईद इफ़्तिकार को दो लाख रुपये नकद हैदराबाद में विक्रम की मौजूदगी में दिए। यह विश्वास की पहली किश्त थी। इसके उपरांत, विक्रम ने भी 16 मार्च 2022 को तीन लाख रुपये का भुगतान (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) के माध्यम से आरोपी के निर्दिष्ट बैंक खाते में हस्तांतरित की।

ठग की भूख यहीं शांत नहीं हुई

इसके ठीक एक सप्ताह बाद नसीब सिंह ने करनाल के पुराने बस अड्डे पर आरोपी को पुनः तीन लाख रुपये नकद दिए। यह दर्शाता है कि आरोपी पीड़ितों से संपर्क में था और उनसे पैसे लेने के लिए हरियाणा तक भी आया था। इसके बाद, बच्चों की तथाकथित ट्रेनिंग के नाम पर हैदराबाद में फिर से चार लाख रुपये नकद आरोपी के हवाले कर दिए गए। इस प्रकार, किश्त-दर-किश्त, दोनों परिवारों से कुल मिलाकर बारह लाख रुपये की भारी-भरकम राशि इस शातिर ठग ने कुछ ही समय में ऐंठ ली।

बच्चों की संक्षिप्त “ट्रेनिंग” और झूठे आश्वासन

 

आरोपी ने वादे के अनुसार बच्चों को अपनी एकेडमी में लगभग 10 दिनों तक रखा। यह “ट्रेनिंग” शायद नाममात्र की ही रही होगी, जिसका मुख्य उद्देश्य पीड़ितों को यह दिखाना था कि प्रक्रिया चल रही है। दस दिनों के बाद, बच्चों को यह कहकर वापस भेज दिया गया कि उनके विदेश भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और छह महीने के भीतर उनका वीजा लग जाएगा और वे अमेरिका के लिए उड़ान भर सकेंगे। यह आश्वासन सुनकर परिवार वाले कुछ समय के लिए आश्वस्त हो गए और बेसब्री से उस दिन का इंतजार करने लगे जब उनके बच्चे अमेरिका जाएंगे।

छह महीने का इंतजार और बढ़ती बेचैनी

 

छह महीने का निर्धारित समय कब बीत गया, पता ही नहीं चला। लेकिन वीजा या अमेरिका जाने की प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हुई। जब भी विक्रम और नसीब आरोपी सईद इफ़्तिकार से संपर्क करते, वह उन्हें कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देता। कभी दूतावास में देरी का बहाना, कभी प्रक्रियात्मक जटिलताओं का। धीरे-धीरे उनका धैर्य जवाब देने लगा और उनके मन में संदेह गहराने लगा। अपनी मेहनत की कमाई और बच्चों के भविष्य को दांव पर लगा देख, वे एक बार फिर हैदराबाद पहुंचे ताकि मामले की तह तक जा सकें।

नकली दस्तावेज और वीजा अस्वीकृति

हैदराबाद में इस बार सईद इफ़्तिकार ने उन्हें शांत करने और अपने जाल में और उलझाने के लिए एक नई चाल चली।

अमेरिकी दूतावास के नाम पर धोखा

आरोपी ने नसीब सिंह के बेटे पारस के लिए 19 जनवरी 2024 की एक अपॉइंटमेंट लेटर दी, जिसमें अमेरिकी दूतावास में इंटरव्यू का हवाला दिया गया था। यह देखकर एक बार फिर पीड़ितों के मन में उम्मीद की किरण जागी कि शायद अब काम बन जाएगा।

नकली स्पॉन्सर लेटर का खेल

इसके साथ ही,इफ़्तिकार ने एक स्पॉन्सर लेटर भी दिखाया, जिसे उसने अमेरिकी कंपनी या संस्था द्वारा जारी किया गया बताया। यह स्पॉन्सर लेटर वीजा प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। लेकिन जब इस अपॉइंटमेंट और स्पॉन्सर लेटर की गहनता से जांच की गई, तो पता चला कि यह पूरी तरह से फर्जी और कूटरचित था। जिस तथाकथित कंपनी या संस्था का नाम स्पॉन्सर लेटर पर था, उसका कोई अस्तित्व नहीं था, या उसने ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया था। इस फर्जीवाड़े के कारण, स्वाभाविक रूप से, पारस का वीजा आवेदन अस्वीकृत हो गया। यह वह क्षण था जब पीड़ितों के सामने सईद इफ़्तिकार का असली घिनौना चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो गया। उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, और उन्हें एहसास हुआ कि वे एक बहुत बड़े धोखे का शिकार हो चुके हैं।

पैसे वापसी की मांग पर जान से मारने की धमकियां

 

जब विक्रम और नसीब सिंह को यह स्पष्ट हो गया कि उनके साथ सरासर धोखाधड़ी हुई है, तो उन्होंने आरोपी सईद इफ़्तिकार से अपने दिए हुए 12 लाख रुपये वापस मांगे। उनका यह मांगना स्वाभाविक था, क्योंकि न तो उनके बच्चे विदेश जा पाए और न ही वीजा प्रक्रिया में कोई सच्चाई थी।

आरोपी का असली चेहरा

पैसे वापस मांगने पर सईद इफ़्तिकार अपने असली रंग में आ गया। जो व्यक्ति कुछ समय पहले तक विनम्रता और विश्वास का नकाब ओढ़े हुए था, वह अब अभद्रता और धमकियों पर उतर आया। उसने पैसे वापस करने से साफ इनकार कर दिया और उल्टे पीड़ितों को ही धमकाना शुरू कर दिया।

पीड़ितों का मानसिक उत्पीड़न और भय

आरोपी ने विक्रम और नसीब सिंह को जान से मारने की धमकी दी, ताकि वे डर जाएं और पैसे वापस मांगने की हिम्मत न कर सकें। इस धमकी से पीड़ित परिवार बुरी तरह सहम गए। एक तो उनकी जीवन भर की जमा पूंजी लुट चुकी थी, बच्चों का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था, और ऊपर से जान का खतरा मंडराने लगा था। यह उनके लिए एक अत्यंत कठिन और भयावह स्थिति थी।

पुलिस की शरण में पीड़ित परिवार

 

इस मानसिक उत्पीड़न और आर्थिक क्षति से त्रस्त होकर, और किसी अन्य विकल्प के अभाव में, विक्रम और नसीब सिंह ने कानून का सहारा लेने का फैसला किया।

करनाल पुलिस अधीक्षक से शिकायत

उन्होंने करनाल जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) के समक्ष एक लिखित शिकायत प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने अपने साथ हुई पूरी घटना का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने सईद इफ़्तिकार और उसकी ‘पाको मार्शल आर्ट्स एकेडमी’ द्वारा की गई धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने और जान से मारने की धमकियों का पूरा कच्चा-चिट्ठा पुलिस के सामने रखा।

मामला दर्ज और जांच आरंभ

पुलिस अधीक्षक ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। शिकायत की प्रारंभिक जांच के बाद, थाना शहर करनाल (करनाल सिटी पुलिस स्टेशन) में आरोपी सईद इफ़्तिकार, प्रोपराइटर ‘पाको मार्शल आर्ट्स एकेडमी, हैदराबाद’ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं, जिनमें धोखाधड़ी (धारा 420), आपराधिक विश्वासघात (धारा 406) और जान से मारने की धमकी (धारा 506) शामिल हो सकती हैं, के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले के जांच अधिकारी बलवान सिंह ने बताया कि शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है और पुलिस विभिन्न पहलुओं पर गहनता से जांच कर रही है। इसमें आरोपी की तलाश, बैंक खातों की जांच, और हैदराबाद स्थित एकेडमी की वास्तविकता का पता लगाना शामिल है।

वीजा धोखाधड़ी का व्यापक जाल और समाज पर प्रभाव

 

यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है। देशभर में आए दिन इस तरह के वीज़ा धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहते हैं, जहां भोले-भाले लोगों को विदेश भेजने के नाम पर ठग लिया जाता है।

क्यों फंसते हैं लोग ऐसे झांसों में?

इसके कई कारण हैं:

अज्ञानता: लोगों को वीजा प्रक्रिया की सही जानकारी नहीं होती।
अधीरता: वे जल्द से जल्द विदेश जाना चाहते हैं और शॉर्टकट अपनाने को तैयार रहते हैं।
सामाजिक दबाव: समाज में विदेश जाकर बसने को सफलता का पैमाना माना जाता है।
शातिर ठग: धोखेबाज इतने पेशेवर और चालाक होते हैं कि वे आसानी से लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। वे आकर्षक विज्ञापन, फर्जी प्रशंसापत्र और नकली वेबसाइटों का सहारा लेते हैं।

धोखाधड़ी के तरीके और उनसे बचाव

 

ठग कई तरीके अपनाते हैं, जैसे नौकरी दिलाने के नाम पर, शिक्षा वीजा के नाम पर, या टूरिस्ट वीजा को वर्क वीजा में बदलने के नाम पर। इनसे बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है:

-हमेशा पंजीकृत और प्रतिष्ठित इमिग्रेशन सलाहकारों से ही संपर्क करें।
-किसी भी एजेंट या संस्था की पृष्ठभूमि की पूरी जांच करें।
-किसी भी वादे पर आंख मूंदकर भरोसा न करें, खासकर यदि वह बहुत आकर्षक या अवास्तविक लगे।
-पैसे का लेनदेन हमेशा बैंकिंग चैनलों के माध्यम से करें और उसकी रसीद अवश्य लें।
-सरकारी वेबसाइटों और दूतावासों से वीजा प्रक्रिया की सही जानकारी प्राप्त करें।

फर्जी संस्थाओं की कार्यप्रणाली

 

इस मामले में ‘पाको मार्शल आर्ट्स एकेडमी’ का नाम सामने आया है। कई बार ऐसी संस्थाएं महज दिखावे के लिए होती हैं, जिनका असली मकसद धोखाधड़ी करना होता है। वे एक वैध व्यवसाय का मुखौटा पहनकर लोगों का विश्वास जीतते हैं और फिर उन्हें ठग लेते हैं।

आगे की कार्रवाई और पीड़ितों के लिए उम्मीद

पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच कितनी तेजी से और प्रभावी ढंग से आगे बढ़ती है। चूंकि आरोपी हैदराबाद में स्थित है, इसलिए यह एक अंतर-राज्यीय मामला बन जाता है, जिसमें करनाल पुलिस को हैदराबाद पुलिस के सहयोग की भी आवश्यकता होगी। पीड़ितों के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने खोए हुए पैसे वापस पाना और आरोपी को सजा दिलाना होगी। कानूनी प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है, लेकिन उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है।

जागरूकता और सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार

 

करनाल और कैथल के इन दो परिवारों के साथ हुई यह धोखाधड़ी एक गंभीर चेतावनी है। यह हमें सिखाती है कि सपनों का पीछा करते समय विवेक और सतर्कता का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। विदेश जाने की इच्छा रखना गलत नहीं है, लेकिन इसके लिए अवैध या संदिग्ध रास्ते अपनाना विनाशकारी साबित हो सकता है। इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए जहां एक ओर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक सक्रिय और प्रभावी होने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर आम जनता को भी जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है। किसी भी आकर्षक विज्ञापन या एजेंट के झांसे में आने से पहले सौ बार सोचना और पूरी तरह से जांच-पड़ताल करना ही ऐसे ठगों से बचने का एकमात्र उपाय है। उम्मीद है कि इस मामले में पीड़ितों को जल्द न्याय मिलेगा और आरोपी को उसके किए की सजा मिलेगी, ताकि भविष्य में कोई और सईद इफ़्तिकार किसी के सपनों का सौदा न कर सके।

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