Kamal Nath: कमलनाथ पर भाजपा में मतभेद, 1984 के दंगों के आरोपों को लेकर सिख नेताओं ने जताई आपत्ति

नई दिल्ली, BNM News: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने के मुद्दे पर पार्टी में घमासान छिड़ गया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि 1984 के सिख दंगों के आरोपी कमलनाथ को पार्टी में लेने से सिख समाज के बीच गलत संदेश जाएगा। इसका दिल्ली और पंजाब सहित कई राज्यों में नुकसान हो सकता है। पार्टी के सिख नेताओं का दावा है कि उन्होंने पार्टी के उचित फोरम पर अपनी बात उठा दी है और कमलनाथ को पार्टी में लेने पर असहमति दर्ज कराई है। पार्टी में यह घमासान ऐसे समय में छिड़ा है, जब कांग्रेस नेता कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। एक इंटरव्यू में भाजपा नेता तजिंदर बग्गा ने कहा कि भाजपा में कमलनाथ जैसे व्यक्ति की कोई जगह नहीं है, लेकिन नकुल नाथ के भाजपा में आने को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। कमलनाथ 1984 के सिख दंगों के आरोपी हैं। उनके खिलाफ कई प्रत्यक्षदर्शी सबूत हैं। मेरे आठ दिन धरने पर बैठने के बाद एसआईटी की जांच शुरू हुई। उन्होंने गुरुतेग बहादुर के पवित्र स्थल को खराब करने का काम किया है। हमें दिक्कत सिर्फ कमलनाथ से है। हमारा विरोध सिर्फ कमलनाथ के खिलाफ है।

कमलनाथ को पार्टी में लेने से नकारात्मक संदेश जाएगा

 

पार्टी के सिख नेताओं का कहना है कि अब तक वे अपने समुदाय के लोगों से यही कहकर वोट मांगते आए हैं कि भाजपा उन्हें न्याय दिलवाएगी। कमलनाथ, जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार के साथ उन कांग्रेस नेताओं में शामिल रहे हैं जो 1984 के सिख दंगों के दौरान दंगाइयों का नेतृत्व कर रहे थे। इन दंगों में 3500 से ज्यादा सिखों की हत्या की गई थी। कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को इन्हीं दंगों में शामिल होने के मामले में सजा हो चुकी है तो जगदीश टाइटलर अदालती कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। कमलनाथ अब तक साक्ष्यों-गवाहों के अभाव में बचे हुए हैं, लेकिन भाजपा नेता सिख दंगों की जांच को दोबारा खुलवाने और न्याय दिलाने की मांग करते रहे हैं। ऐसे में भाजपा नेताओं का कहना है कि कमलनाथ को पार्टी में लेने से नकारात्मक संदेश जाएगा जिससे बचा जाना चाहिए।

सही फोरम पर रख दी अपनी बात

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सिख समुदाय के प्रभावशाली नेता सरदार आरपी सिंह ने कहा कि कमलनाथ को पार्टी में लेने से सिख समुदाय के लोगों में असमंजस की स्थिति है। उन्होंने पार्टी के उचित फोरम पर अपनी बात रखी है। उन्हें पूरा भरोसा है कि सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पार्टी नेतृत्व उचित निर्णय लेगा।

भाजपा का कठिन लक्ष्य

 

भाजपा के दिल्ली राष्ट्रीय अधिवेशन (17-18 फरवरी) में पार्टी नेताओं ने लोकसभा चुनाव 2024 में 370 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 370 सीटों की जीत पार्टी संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने कश्मीर में अनुच्छेद 370 लगाने का विरोध किया था।

कई विपक्षी नेताओं को जोड़ने की रणनीति

 

भाजपा 200 के करीब सीटों पर जीत सुनिश्चित मानकर चलती है। जबकि वह 161 सीटों को अपने लिए बेहद कठिन श्रेणी में रखती है, जिन पर पार्टी को कभी जीत नहीं मिली है। इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए विपक्ष के कई नेताओं को पार्टी से जोड़कर इन पर जीत सुनिश्चित करने की रणनीति अपना रही है। इसका प्रयास पूरे देश में अलग-अलग राज्यों में चल रहा है।

छिंदवाड़ा को जीतने की कवायद

इन 161 सीटों में मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भी शामिल है, जहां प्रचंड मोदी लहर में भी भाजपा जीत नहीं हासिल कर पाई। भाजपा के लिए छिंदवाड़ा की सीट अबूझ पहेली साबित हुई है। 1997 के एकमात्र चुनाव में यहां से भाजपा को जीत मिली थी। उसके अलावा कांग्रेस को छोड़ कोई दल यहां से जीत हासिल नहीं कर पाया। 1980 से इस सीट पर कांग्रेस नेता कमलनाथ का प्रभाव है। वे अब तक नौ बार यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं, जबकि 1996 में उनकी पत्नी अलका नाथ और 2019 में उनके बेटे नकुलनाथ ने जीत हासिल की थी।

कमलनाथ पर अटकलें

राहुल गांधी इस समय भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं। वे प्रयागराज में एक जनसभा को संबोधित कर सकते हैं। 19 फरवरी को वे अमेठी-रायबरेली में परंपरागत सीट पर लोगों से जुड़ सकते हैं। कमलनाथ को इसी अवसर पर भाजपा में शामिल कराकर राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा करने की भाजपा की रणनीति हो सकती है। यही कारण है कि माना जा रहा है कि कमलनाथ 18 या 19 फरवरी को भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, सिख नेताओं की असहमति के बाद असमंजस बढ़ गया है।

 

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